Movie prime

जीरा जा सकता है 30000 के पार | जाने क्या है खबर

जीरा जा सकता है 30000 के पार | जाने क्या है खबर

जीरे में बन रहा है और तेजी का माहौल देखें रिपोर्ट
किसान साथियो जीरा का भाव आने वाले दिनों में और बढ़ सकता हैं। जीरे में लग सकता है महंगाई का तड़का और जीरा छू सकता है 30000 का स्तर। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पैदावार में कमी होने के साथ-साथ  एक्सपोर्ट की भारी मांग ने जीरे की कीमतों को पहले ही इस साल करीब 80 से 85 फीसदी तक बढ़ा दिया है जानकारों का कहना है कि आने वाले महीनों में जीरा 20 से 25% तक और महंगा हो सकता है। WhatsApp पर भाव पाने के लिए ग्रुप join करे
 दरअसल पिछले 3 से 4 सालों से जीरे की कीमतें 130 से ₹150 प्रति किलो की रेंज में बनी हुई थी ऐसे में किसानों ने इस बार रबी के सीजन में अधिक मुनाफे के लिए जीरे की जगह सरसों जैसी दूसरी फसलों की खेती करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा इस बार चालू सीज़न में जीरे की फसल के लिहाज से मौसम भी अनुकूल नहीं रहा है जिसकी वजह से जीरे की पैदावार 25 फ़ीसदी से ज्यादा घट चुकी है।  यही वजह है कि हमें जीरे के भाव में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है क्या नरमा कपास में पिछले साल जैसी तेजी संभव है - रिपोर्ट

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कि जीरे की बुवाई अक्टूबर से दिसंबर महीने के बीच होती है और इस की कटाई फरवरी से अप्रैल के बीच की जाती है। गुजरात और राजस्थान जीरे की खेती के प्रमुख केंद्र हैं। ऊंझा मंडी मैं लगभग 60% जीरा राजस्थान से आता है जबकि 40% जीरा गुजरात से आता है। राजस्थान के जोधपुर नागौर जैसलमेर में जीरे की अच्छी खासी खेती की जाती है जबकि गुजरात के साबरकांठा, बनासकांठा, सौराष्ट्र और कच्छ के इलाकों में जीरा मुख्यतौर पर बोया जाता है। सरसों के भाव को लेकर जरुरी रिपोर्ट

दोनों राज्यों के किसान और व्यापारी अपनी फसल बेचने के लिए उंझा मंडी में जाते हैं। इस साल किसानों ने जीरे की खेती कम की है जीरे की जगह उन्होंने सरसों जैसी और गेहूं जैसी दूसरी फसलों की खेती को चुना है। एक अनुमान के मुताबिक गुजरात में किसानों ने 300000 हेक्टेयर से कुछ अधिक जमीन में जीरे की खेती की है जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 470000 हेक्टेयर का था। ऐसी ही राजस्थान में भी जीरे की खेती का रकबा 20.25% तक सिकुड़ा है। जीरे की खेती में मौसम का बड़ा हाथ होता है मौसम में थोड़ा सा परिवर्तन भी जीरे की पैदावार को घटा सकता है पिछले कई सालों से जिले की कीमत ₹150 से नीचे बनी हुई थी। ऐसे में किसानों ने किसानों ने जीरे से थोड़ा बहुत मुंह मोड़ा है  और जीरे की जगह कपास सरसों मूंगफली आदि की खेती करने का फैसला किया है। राजस्थान और गुजरात जैसे प्रमुख जीरा उत्पादक राज्यों में इस बार अच्छी मानसूनी बारिश हुई है। अच्छी मानसून के अलावा जीरे के अच्छे भाव होने के कारण नए सीज़न में जीरे की बुवाई बढ़ सकती हैक्या नए सीजन पर MSP के पार रहेंगे गेहूं के भाव - रिपोर्ट

बाजार के जानकारों ने जीरे में अच्छी तेजी आने का अनुमान व्यक्त किया गया है। नयी फ़सल शुरू होने से पहले के भाव ₹300 प्रति किलो के पार जा सकते हैं। चालू सीज़न के दौरान जीरे के उत्पादन में एक तिहाई गिरावट आने के बाद से जीरे के भाव ने लगातार लगातार नए रिकॉर्ड बनाए हैं। इस दौरान समुद्री भाड़ा भी कुछ दिन से लगातार बढ़ता हुआ दिखाईं दिया है। जिसकी वज़ह से निर्यात प्रभावित हुआ है। भारत के अलावा तुर्की और सीरिया में भी जीरा उत्पादन होता है। जीरा उत्पादन में अब अफगानिस्तान और ईरान भी चुनौती दे रहे हैं। ऐसे में बाजार के जानकारों का कहना कि जीरे के भाव 30000 रुपये प्रति क्विंटल के पार जा सकते हैं। सरसों वायदा कारोबार पर रोक बढ़ी | 15 दिन की स्थिरता के बाद अब किस तरफ मुड़ेंगे सरसों के रेट