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दिल्ली-यूपी से लेकर अंडमान तक मौसम का बदला मिजाज | जाने मौसम विभाग ने क्या दी अपडेट

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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इस वर्ष अब तक गर्मी अपने चरम पर नहीं पहुंच पाई है, क्योंकि जैसे ही धूप अपनी तीव्रता दर्शाने लगती है, वैसे ही अचानक मौसम करवट ले लेता है। मंगलवार की सायं कुछ ऐसा ही दृश्य देखा गया, जब आसमान में गहरे बादल छा गए और गरज के साथ तेज हवाएं चलने लगीं। इस परिवर्तनशील मौसम ने न सिर्फ तापमान को नियंत्रित रखा, बल्कि आम लोगों की दिनचर्या को भी प्रभावित किया। मौसम विभाग की ओर से जारी ताज़ा जानकारी के अनुसार, आने वाले चार दिनों में दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार में गरज-चमक के साथ वर्षा होने की आशंका जताई गई है। यह मौसमी घटनाएं दिन में उमस और रात में हल्की ठंडक का मिला-जुला अनुभव करवा रही हैं, जिससे वातावरण में अस्थिरता बनी हुई है।

उत्तर भारत में सक्रिय मौसमी प्रणाली

मौसम विभाग ने स्पष्ट किया है कि अगले कुछ दिनों तक उत्तर और मध्य भारत के बड़े हिस्से गरज के साथ बारिश की चपेट में रहेंगे। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी और मध्य जिलों, बिहार के उत्तरी हिस्सों, राजस्थान के पूर्वी इलाकों और मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में मौसमी गतिविधियों की अधिकता देखी जा रही है। महाराष्ट्र के विदर्भ तथा मराठवाड़ा क्षेत्रों में भी बादल घिरने और बिजली चमकने की स्थिति बन सकती है। इन हालातों से यह संकेत मिलता है कि तापमान में वृद्धि को फिलहाल रोका जा सकता है, लेकिन आर्द्रता के कारण लोगों को चिपचिपाहट और बेचैनी झेलनी पड़ सकती है। भारी बारिश के कारण कुछ स्थानों पर जलभराव और यातायात अवरुद्ध होने जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

पहाड़ी राज्यों में कैसा मौसम का हाल

उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम ने एक सुखद करवट ली है। यहां पिछले कुछ दिनों से बढ़ते तापमान में अचानक गिरावट आई है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि ऊपरी वायुमंडलीय दबाव और पश्चिमी विक्षोभ की हल्की सक्रियता के कारण इन इलाकों में गरज-चमक के साथ तेज बारिश होने की प्रबल संभावना बनी हुई है। स्थानीय प्रशासन को सतर्क किया गया है, ताकि यात्रियों और श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कठिनाई न हो। खासकर चारधाम यात्रा के मार्गों पर भूस्खलन और चट्टानों के खिसकने का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए यात्रियों को चेतावनी के साथ पूरी तैयारी करने की सलाह दी गई है।

बंगाल की खाड़ी में मानसून की दस्तक

दक्षिण-पश्चिम मानसून ने इस वर्ष अपेक्षाकृत समय से पूर्व ही भारत की सीमाओं में प्रवेश कर लिया है। मौसम विभाग के अनुसार, यह प्रवाह बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्सों, अंडमान सागर के दक्षिण भागों तथा निकोबार द्वीप समूह में पहुंच चुका है। निकटवर्ती समुद्री क्षेत्रों में पछुआ हवाओं की तीव्रता में तेज़ी आई है, जिससे इस क्षेत्र में बादलों का जमाव बढ़ गया है। समुद्र तल से लेकर चार किलोमीटर तक की ऊँचाई पर हवाओं की गति 20 से 25 समुद्री मील तक पहुंच चुकी है, जो मानसून की सक्रियता का स्पष्ट संकेत है। इन स्थितियों ने मानसून की प्रगति के लिए आवश्यक सभी मापदंडों को पूरा कर दिया है, जिससे इसके अगले चरण में प्रवेश की संभावना मजबूत हो गई है।

मौसम वैज्ञानिकों का पूर्वानुमान

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने अप्रैल महीने में 2025 के दक्षिण-पश्चिम मानसून को लेकर जो अनुमान प्रस्तुत किया था, वह अब धीरे-धीरे सटीक होता नजर आ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस वर्ष एल नीनो प्रभाव सक्रिय नहीं रहेगा, जिससे वर्षा की मात्रा सामान्य से अधिक रह सकती है। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए यह एक शुभ संकेत है, क्योंकि देश की लगभग 42 प्रतिशत जनसंख्या आज भी खेती-बाड़ी पर निर्भर है। अच्छी बारिश न केवल फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि जलाशयों और सिंचाई परियोजनाओं को भी समृद्ध बनाएगी। इसके अलावा, पेयजल संकट से जूझ रहे क्षेत्रों को भी इससे राहत मिल सकती है।

मानसून की संभावित समय-सारणी

हर वर्ष की भांति इस बार भी मानसून के 27 मई तक केरल के तटवर्ती हिस्सों में पहुंचने की उम्मीद है। सामान्यतः मानसून एक जून को केरल में दस्तक देता है और आठ जुलाई तक समूचे देश को आच्छादित कर लेता है। इसके बाद, 17 सितंबर से उत्तर-पश्चिम भारत से यह पीछे हटना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरे देश से विदा ले लेता है। यदि यह प्रवाह इस बार पूर्व निर्धारित समय पर केरल में पहुंचता है, तो यह 2009 के बाद पहली बार होगा, जब मानसून ने समय से पहले कदम रखा हो। उस वर्ष मानसून ने 23 मई को ही दस्तक दी थी, जिसने कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की थी।

पिछले दो दिनों में निकोबार क्षेत्र में मध्यम से भारी बारिश दर्ज की गई है। इसके पीछे प्रमुख कारण स्थानीय समुद्री हवाओं की दिशा में आए बदलाव और बंगाल की खाड़ी में दबाव प्रणाली का विकास है। इसके साथ ही, आउटगोइंग लांगवेव रेडिएशन (ओएलआर) में भी गिरावट आई है, जो क्षेत्र में गहन बादल निर्माण की पुष्टि करता है। इन बदलावों ने मानसून के आगमन के लिए आवश्यक वातावरण को सशक्त किया है, जिससे अब इसकी प्रगति और अधिक व्यापक रूप में देखने को मिलेगी।

सोर्स मौसम विभाग

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।