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सोयाबीन के भाव में और गिरावट की गुंजाईश कम | जाने इस सोयाबीन रिपोर्ट मे

जाने इस सोयाबीन रिपोर्ट मे
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किसान साथियो और व्यापारी भाइयों सोयाबीन का बाजार इस समय दबाव के माहौल से गुजर रहा है। हालत इतनी खराब है कि MSP के भाव मिलने के लाले पड़ गए हैं। बाजार को उठने के लिए किसी बड़े ट्रिगर की जरूरत है लेकिन कहीं से कोई ऐसा समाचार नहीं मिल रहा है। ताजा अपडेट यह है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की समाप्ति के साथ बंदरगाहों पर गतिविधियाँ सामान्य होने लगी हैं। कांडला और मुंद्रा जैसे प्रमुख पोर्ट्स पर जहाजों की बर्थिंग दोबारा शुरू हो गई है, जिससे आपूर्ति सुचारु रूप से बहाल होती दिख रही है। व्यापारिक हलकों में माना जा रहा है कि पोर्ट संचालन के सामान्य होने से खाद्य तेल बाजार भी अपने पुराने स्तर पर लौट आया है और सप्लाई चेन में किसी बड़े अवरोध की संभावना अब नहीं रही। हालांकि सोयाबीन के भाव में अब और गिरावट की गुंजाईश काफी कम है हमारा ऐसा कहने के पीछे क्या वज़ह है आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं।

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*नाफेड की सोयाबीन बिकवाली अपडेट*

साथियो सोयाबीन की सरकारी बिकवाली चल रही है। सरकारी एजेंसी नाफेड ने 14 मई को आयोजित टेंडर में एक बार फिर सभी बिड्स को रिजेक्ट कर दिया। नाफेड लगातार कम भाव के बिड्स को अस्वीकार कर रही है और सरकार द्वारा भी सस्ते भाव पर सोयाबीन बेचने में दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है। हालांकि नाफेड के पास अभी भी लगभग 15 लाख टन सोयाबीन का स्टॉक मौजूद है, जो बाजार पर दबाव बनाए हुए है। यदि खाद्य तेल की कीमतों में कोई तेज़ बढ़ोतरी होती है, तो नाफेड मूल्य नियंत्रण के उद्देश्य से कम भाव पर भी बिड स्वीकार कर सकती है। इसलिए, फिलहाल कीमतों में किसी बड़ी तेजी के संकेत नहीं हैं, लेकिन नाफेड की नीतियों के चलते बड़ी गिरावट की आशंका भी सीमित बनी हुई है।

*घट सकता है सोयाबीन का रकबा*

पिछले दो वर्षों से सोयाबीन बाजार में कोई विशेष तेजी नहीं देखी गई है। लगातार दो सीजन में नुकसान झेलने के कारण किसानों की लागत भी नहीं निकल पाई, जिससे अब बुआई को लेकर रुझान कमजोर होता नजर आ रहा है। मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख राज्य में किसानों का झुकाव मक्के की ओर बढ़ता दिख रहा है, जहां उत्पादन बेहतर और लाभ की संभावना अधिक मानी जा रही है। किसानों की प्रारंभिक सोच को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले खरीफ सीजन में मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में सोयाबीन की बुआई में कमी देखी जा सकती है। USDA की रिपोर्ट कहती है कि कम भाव के चलते अमेरिका में भी सोयाबीन का रकबा 86 मिलियन एकड़ से घट पर 82.7 मिलियन एकड़ रह सकता है। भारत में भी इसी अनुपात में कमी हो सकती है। हालांकि रकबे का घटना या बढ़ना मौसम के हालातों पर भी निर्भर करेगा।

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*विदेशी बाजारों से अपडेट*

अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर अभी भी दबाव की स्थिति बनी हुई है। शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (CBOT) में सोया तेल वायदा 0.64 सेंट की गिरावट के साथ 48.79 सेंट प्रति पाउंड पर आ गया है, जबकि सक्रिय सोयाबीन अनुबंध $10.51-1/4 प्रति बुशल पर बंद हुआ। इसकी प्रमुख वजह अमेरिकी जैव ईंधन नीति को लेकर फैली अनिश्चितता है, जहां नवीकरणीय डीजल के लक्ष्य को लेकर संशय बना हुआ है।

*क्या कहते हैं पाम तेल के आंकड़े*

भारत में पाम तेल के महीने दर महीने आयात के आंकड़ों पर नजर डालें तो मार्च 2025 में यह 14% बढ़कर 4.24 लाख टन रहा, जो रमजान से पहले स्टॉकिंग डिमांड और प्रतिस्पर्धी मूल्य के चलते हुआ। लेकिन अन्य तेलों के मुकाबले पाम का आयात घटा है। 2024-25 में पहली बार ऐसा हुआ है जब पाम तेल का आयात सोयाबीन और सूरजमुखी तेल जैसे नरम तेलों की तुलना में कम हो गया है। इसके पीछे प्रमुख कारण पाम तेल का अधिक भाव का होना है, जिससे रिफाइनर अब अपेक्षाकृत सस्ते विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं।

*बाजार से क्या मिल रही है आवाज*

किसान साथियो और व्यापारी भाइयों सोयाबीन के मौजूदा बाजार को देखें तो कीर्ति प्लांट पर सोयाबीन के भाव 4550 के आस पास चल रहे हैं। कई दिनों से बाजार सीमित दायरे में घूम रहा है। कीर्ति प्लांट पर 4500 के भाव स्तर पर बड़ा सपोर्ट है जिसके नीचे जाने पर बाजार में थोड़ी गिरावट हो सकती लेकिन यहाँ से आगे बड़ी गिरावट की आशंका नहीं है। दो साल से सोयाबीन के भाव पिट रहे हैं इसलिए सोयाबीन का रकबा घटने की आशंका अब जोर पकड़ने लगी है। रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में सोयाबीन का रकबा 86 मिलियन एकड़ से घट कर 82.7 मिलियन होने का अनुमान लगाया गया है। साथियों सोयाबीन को कमजोर करने वाले ज्यादातर फैक्टर बाजार ने देख लिए हैं अब इससे ज्यादा हालात के खराब होने की आशंका कम है। धीरे धीरे बाजार का सेंटिमेंट बदलने लगा है। साथियो हमने अक्सर देखा है कि किसी भी फसल में मंदी का दौर बहुत लंबे समय तक नहीं टिक सकता। लेकिन सोया के बाजार में जिस तरह से माहौल बिगड़ा है उसे सुधरने में समय लगेगा। चूंकि पोर्ट्स पर बर्थिंग शुरू होने के कारण आपूर्ति में कोई बाधा नहीं रही इसलिए सप्लाई की समस्या नहीं है। मौजूदा हालातों के विश्लेषण के बाद कहा जा सकता है कि निकट भविष्य में कोई तेजी नहीं लगती लेकिन गिरावट अब रुक जानी चाहिए। नाफेड द्वारा अभी नीचे भाव पर सोयाबीन न बेचे जाने से से भी बाजार को सपोर्ट मिल रहा है। कुल मिलाकर, आने वाले कुछ दिनों तक सोयाबीन बाजार लगभग इन्हीं स्तरों के आसपास सीमित दायरे में ही कारोबार करता रहेगा। तेजी के लिए मानसूनी मौसम तक इंतजार करना पड़ सकता है। व्यापार अपने विवेक से करें। *मंडी मार्केट मीडिया के लिए लवकेश कौशिक की रिपोर्ट*

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।