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सरसों में बदल सकता है माहौल जानिए क्या है खबर | सरसों तेजी मंदी रिपोर्ट

sarso live rate

किसान साथियो काफी समय हो चुका है जबसे सरसों लगातार दबाव में चल रही है। ये दबाव केवल विदेशी बाजारों की पतली हालत के कारण बना है। बीते एक महीने में सरसों का भाव मंडियों में 500 से 700 रुपये प्रति क्विंटल तक कम हो गया है । हमारा मानना है कि सरसों में अब बुरा समय खत्म हो सकता है। हमने पहले भी अपनी रिपोर्ट में बताया हुआ था कि बुरा समय बहुत लंबे समय तक नहीं चल सकता। इस रिपोर्ट में हम कुछ ऐसे पहलुओं की चर्चा करेंगे जो सरसों में तेजी की तरफ इशारा कर रहे हैं

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ताजा मार्केट अपडेट 

दोस्तों शनिवार को तेल पहन के बाजार में मिला जुला रुख देखने को मिला सरसों और पाम तेल के भाव में मामूली गिरावट देखने को मिली जबकि मूंगफली और बिनौला तेल फिर कारोबार करते दिखाई दिए।  सरसों के भाव  (Mustard Mandi Prices) में स्थिरता से लेकर मामूली नरमी का ही माहौल देखने को मिला है जयपुर में कंडीशन सरसों का भाव ₹6300 प्रति क्विंटल पर रहा। ब्रांडेड कंपनियों ने सरसों के भाव में थोड़ी बहुत कटौती जरूर की है लेकिन हाजिर मंडियों में भाव लगभग स्थिर बने रहे। गनीमत यह है कि कमजोर भाव पर बिकवाली कम देखी जा रही है।

हाजिर मंडियों में लेटेस्ट भाव

हाजिर मंडियों में लेटेस्ट भाव की बात करें तो राजस्थान की नोहर में सरसों का भाव 5300 से 5889  रुपये प्रति क्विंटल, संगरिया में 5200 से 5501  रुपये प्रति क्विंटल, पीलीबंगा में 5105 से 5551  रुपये प्रति क्विंटल, जैतसर में 4700 से 5294  रुपये प्रति क्विंटल, अनूपगढ़ में 5071 से 5492  रुपये प्रति क्विंटल, रायसिंहनगर में 4900 से 5646  रुपये प्रति क्विंटल, सूरतगढ़ में 5273 से 5578  रुपये प्रति क्विंटल, घड़साना में 5000 से 5650  रुपये प्रति क्विंटल, श्रीगंगानगर में 5200 से 5625  रुपये प्रति क्विंटल, ऐलनाबाद में 5000 से 5690  रुपये प्रति क्विंटल, आदमपुर में 5850  रुपये प्रति क्विंटल, भट्टू में 5600  रुपये प्रति क्विंटल का रहा।

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क्या है खबर

जयपुर की मरुधर एजेंसी की एक रिपोर्ट आई है जिसके अनुसार 1 अक्टूबर को देशभर में किसानों और स्टॉकिस्टों के पास लगभग 34.50 लाख टन सरसों होने का अनुमान है। मौजूदा भाव पर स्टॉकिस्टों को नुकसान हो रहा है। इसलिए उनके द्वारा इस भाव पर सरसों निकालने की उम्मीद कम है। हमारा मानना है कि अब सरसों केवल मजबूत हाथों में रह गई है। जिन किसानों ने अभी तक सरसों को होल्ड कर रखा है अब वो नीचे के भाव पर ज्यादा माल निकालने के फेवर में नहीं दिख रहे हैं। 7 महीने में लगभग 70% से ज्यादा सरसों की क्रशिंग हो चुकी है और आने वाले 5 महीनों में 30% से कम सरसों बची है। हालांकि यह स्टॉक भी पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है। ऐसे में यदि सरसों की आवक घटने का ट्रेंड बना रहता है तो भाव में सुधार होने की संभावना है। किसान साथियों सोशल मीडिया पर खबरें चल रही हैं कि पाम तेल के आयात पर शुल्क बढ़ाया गया है। हालांकि अभी तक इस खबर की पुष्टि नहीं हो पायी है। लेकिन अगर ऐसा होता है तो यह भी सरसों मे मजबूती का संकेत माना जा सकता है।

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विदेशी बाजारों की अपडेट

विदेशी बाजारों में फ़िलहाल गिरावट थम गई है। लेकिन इसकी स्थिरता पर संशय है। पाम के भाव अपने टॉप भाव के आधे से भी नीचे चले गए हैं। मलेशिया और इंडोनेशिया में पाम (Palm oil) के उत्पादन का पीक सीज़न जाने वाला है। ऐसे में हो सकता है कि स्टॉक में आगे चलकर कमी देखने को मिले। कहने का मतलब यही है कि अगर विदेशी बाजार में गिरावट रुक जाती है और तेजी का माहौल बन जाता है तो भारतीय बाजारों में सरसों को बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। आर्थिक मंदी की आशंका (global economic slowdown) के चलते बड़ी तेजी की उम्मीद कम है। लेकिन थोड़े बहुत सुधार की गुंजाईश जरूर है। हमारा मानना है कि अगर आपने अभी तक सरसों को रोक के रखा हुआ है तो इन भावों पर सरसों को निकालने में समझदारी नजर नहीं आती। बाकी व्यापार अपने विवेक से करें