ठंड में फ़सल को पाले से बचाने के सरल उपाय
ठंड में फ़सल को पाले से बचाने के सरल उपाय
ठंड से रबी की फसलों की उपज पर पड़ सकता है असर - जानें, पूरी जानकारी
सर्दी का मौसम शुरू होते ही सबके सामने ठंड एक समस्या बनकर खड़ी हो जाती है। ठंड का मौसम रबी फ़सलों को फायदा और नुकसान दोनों दे सकता है। जब सर्दी अपनी चरम सीमा पर होती है, उस वक्त किसानों को भी अपनी फसलों को बचाने की चिंता सताने लगती है। कड़क सर्दी के कारण फसलों पर पाला पड़ने की आंशका बढ़ जाती है, जिससे रबी की फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है। कुछ ऐसे छोटे मोटे उपाय हैं जिनको अपनाने से किसान अपनी आलू, अरहर, चना, सरसों, तोरिया, बागवानी फसलें, गेहूं, जौ आदि फसलों में पाले के असर को कम कर सकते हैं। इस रिपोर्ट में हम उन सबकी चर्चा करेंगे। WhatsApp पर भाव पाने के लिए ग्रुप join करे
कब पड़ता है पाला
प्रायः पाला पड़ने की आशंका एक जनवरी से 10 जनवरी तक अधिक रहती है। जब आसमान साफ हो, हवा न चल रही हो और तापमान कम हो जाये तब पाला पड़ने की आशंका बढ़ जाती है। पाला गेहूं और जौ में 10 से 20% तथा सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ, अफीम, मटर, चना, गन्ने में लगभग 30 से 40% तक तथा सब्जियों में जैसे टमाटर, मिर्ची, बैंगन आदि में 40 से 60% तक लगभग नुकसान कर सकता है। धान में बड़ी तेजी के संकेत | 1121 धान का भाव जा सकता है 5000 पार - रिपोर्ट
पाले से बचने के तरीके
गंधक के तेजाब का छिड़काव करके
सरसों, गेहू, चावल, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने के लिए गंधक का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाया जा सकता है। बल्कि इससे पौधों में लौह तत्व एवं रासायनिक तत्व भी बढ़ जाते है, जो पौधों में रोगो से लड़ने की क्षमता एवं फसल को जल्दी पकने में सहायक होते है। बारानी फसल में जब पाला पड़ने की आशकां हो तो पाले की आशंका वाले दिन फसल पर गधंक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत का छिड़काव करें। इस प्रकार इसके छिड़काव से फसल के आसपास के वातावरण में तापमान बढ़ जाता है और तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिर पाता है, इससे पाले से होने वाले नुकसान से फसल को बचाया जा सकता है। छिड़काव का असर 10 से 15 दिन तक रहता है। चावल के भाव का क्या है इशारा, नए साल में कितने और बढ़ेंगे धान के भाव? बासमती तेजी मंदी रिपोर्ट
पौधों को ढककर
पाले से सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में होता है। नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। इससे सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधे पाले से बच जाते हैं, लेकिन यह महंगी तकनीक है। गांव में पुआल का इस्तेमाल पौधों को ढकने के लिए किया जा सकता है। पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिण-पूर्वी भाग खुला रहे, ताकि पौधों को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे। पुआल का प्रयोग दिसंबर से फरवरी तक ही करें। नर्सरी पर छप्पर डालकर भी पौधों को खेत में रोपित करने पर पौधों के थावलों के चारों ओर कड़बी या मूंज की टाटी बांधकर भी पौधों को पाले से बचाया जा सकता है। आज से 1 लाख तक बढ़ जाएंगे ट्रैक्टर के दाम, जानिए क्या है वज़ह
वायुरोधक द्वारा
पाले से बचाव के लिए अगर सम्भव हो सके तो खेत के चारों ओर मेड़ पर पेड़-झाड़ियों की बाड़ लगा देनी चाहिए जाती है। लेकिन बड़े खेत के लिए यह महंगा साबित हो सकता है ऐसा करने से शीतलहर द्वारा होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। अगर खेत के चारों ओर मेड़ पर पेड़ों की कतार लगाना संभव न हो तो कम से कम उत्तर-पश्चिम दिशा में जरूर पेड़ की कतार लगानी चाहिये, जो इस दिशा में आने वाली शीतलहर को रोकने का काम करेगी। पेड़ों की कतार की ऊंचाई जितनी अधिक होगी शीतलहर से सुरक्षा उसी के अनुपात में बढ़ती जाती है ये भी पढे :- देखें आज के गेहूं/कनक के लाइव रेट wheat kanak gehu Live Rate Today 02 Jan 2022
न्यूट्रीशियन और फांगीसाइड छिड़काव
इस समय माइक्रो न्यूट्रीशियन और फांगीसाइड का भी छिड़काव कर सकते है। इससे भी फसल को काफी राहत मिलेगी। आप सल्फर का भी छिड़काव 20-30 ग्राम /15 लीटर (कृषि विभाग या दवाई देने वाले दुकानदार से पूछ कर) के हिसाब से कर सकते है।खेत की सिचाई के लिए बनी चारो तरफ की नालिया को पानी से भर देने से भी काफी राहत मिलती है। ये भी पढे :-मजबूत संकेतों के बावजूद सरसों में नरमी | देखें आज की तेजी मंदी रिपोर्ट
रबी सीजन की मुख्य फसलों के लिए विशेष कृषि परामर्श
गेहूं की फसल - कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बढ़ती ठंड से जहां गेहूं की फसलों को फायदा होने की संभावना तो है, लेकिन अब इसमें पाला पड़ने का डर बन गया हैं। पाला के असर से बचने के लिए गेहूं की फसल में आवश्यकता अनुसार और समय से सिंचाई कर देनी चाहिए। सिंचाई के 2 से 3 दिन बाद यूरिया का छिड़काव कर लेना चाहिए। गेहूं की फसल में यदि दीमक की व्याधि के लिए क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी/2 लीटर की दर से 20 किग्रा रेत का मिश्रण शाम के समय खेतों में छिड़कने के पश्चात हल्की सिंचाई करने की सलाह दी जाती है।
मक्का - जिन किसानों ने मक्का फसल की लगाई है। उनको मक्का फसल में बुआई के 15 से 25 दिन बाद पहली निराई- गुड़ाई करने की सलाह दी जाती है। जिन किसानों ने अगेती फसलों में निराई-गुड़ाई का काम पूरा कर लिया है, तो वह दूसरी निराई-गुड़ाई करें। बुवाई के 30 से 45 दिनों के बाद दूसरी निराई-गुड़ाई करना फायदेमंद बताया गया है। रासायनिक विधि में एट्राजीन 500 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। खरपतवार कार्य करने के पश्चात खाद का प्रयोग टॉप ड्रेसिंग के रूप में करें। तना छेदक रोग को नियंत्रित करने के लिए कार्बेरिल-50 की 1 किग्रा/हेक्टेयर या डाइमेथोएट-30 प्रतिशत 250 मि.ली./हेक्टेयर की दर से कीटनाशक का छिड़काव करें। ये भी पढे :- Aaj Ka Narma Ka bhav नरमा और कपास के ताजा मंडी भाव Narma Price Today 02 January 2023
सरसों - किसान साथियो सरसों की फ़सल पर ठण्ड का अच्छा और बुरा दोनों तरह का प्रभाव पड़ सकता है। पाले की आशंका के दिनों में हल्की सिंचाई कर दें। ठण्ड के मौसम में किसानों को सरसों की फसल में फूल आने से पहले या फूल निकलने के दौरान नाइट्रोजन 35 से 40 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से डालने की सलाह दी जाती है। सरसों को चेपा कीट तना सड़न, आर्द गलन रोग (डम्पिंग ऑफ) आदि से बचाने की जरूरत होती है। इस के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि जब सरसो की फसल पर इन का प्रकोप हो कीट एवं रोग से बचाने के लिए (ईमोथोएट 30 प्रतिशत ईसी 1.0 लीटर, एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत ईसी 2.5 लीटर, अक्सीडिमोटान मिथाइल 25 प्रतिशत ईसी एक लीटर) इनमें से किसी भी एक का 500 लीटर पानी में ड़ालकर घोल बनाकर छिड़काव करें। सापेक्षिक आर्द्रता को ध्यान में रखते हुए सफेद रतुआ के हमले से बचने के लिए डाइथेन-एम-45 / 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
आलू और टमाटर - उच्च सापेक्ष आर्द्रता के कारण आलू और टमाटर में झुलसा संक्रमण के आसार को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने कहा है कि किसान फसल की निरंतर निगरानी की करे। और लक्षण दिखाई देने पर फसलों में कारबैंडिजम / 1 ग्राम/लीटर पानी या डाइथेन-एम-45/2 ग्राम/लीटर पानी का छिड़काव कर दे। ये भी पढे :- देखें आज के सरसों के लाइव रेट Sarso Live Rate Today 02 Jan 2022
इस प्रकार हम छोटे मोटे प्रयासो से अपनी रबी की फसल, नर्सरी तथा छोटे फल वृक्षों को पाले से और ठण्ड के मौसम में होने वाले रोगों के कारण होने वाले नुकसान से बहुत ही आसान एवं कम खर्चीले तरीकों द्वारा बचा सकते हैं। विदेशों में महंगे पौधों काे पाले से बचाने के लिए हीटर का प्रयाेग भी किया जाता है, लेकिन हमारे देश में अभी यह संभव नहीं है। हमारा यह विश्वास है कि किसान भाई फसल की बढ़वार व पैदावार बढ़ाने के लिए ऊपर बताये गये इन तरीकों को अपनाते हैं तो निश्चित रूप से पाले के कारण रबी फसलाें में हाेने वाले नुकसान को काफी हद तक बचाने में सफलता मिल सकती है।