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512 किलो प्याज बेचकर कमाये मात्र 2 रुपये | क्या किसान साथियो की आय हुई है दोगुनी | देखें रिपोर्ट

512 किलो प्याज बेचकर कमाये मात्र 2 रुपये | क्या किसान साथियो की आय हुई है दोगुनी | देखें रिपोर्ट

महाराष्ट्र किसान 512 kg प्याज मामला: दोस्तो अगर आप किसान (Farmer) हैं, तो आप जरूर अपनी फसल को बेचने के लिए दूसरे शहर जाते ही होंगे। ऐसे में महाराष्ट्र के इस किसान की आपबीती आपको जरूर सुननी चाहिए।
 

क्या है मामला
सोचिए अगर आप मंडी में अपनी फसल बेचने गए हैं और फ़सल बेचने के बाद हिसाब करने के समय आपको अपनी फ़सल के बदले पर सिर्फ 2 रुपये का चेक थमा दिया जाए। सोचिए अगर ऐसा आपके साथ हो, तो आप कैसा महसूस करेंगे। कहने को इसे आप व्यवस्था की खामी या फसल की बंपर पैदावार की मार कहेंगे। कुछ ऐसा ही हुआ महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के बरशी तालुका के एक गांव बोरगांव के किसान राजेंद्र तुकाराम चव्हाण (58 वर्षीय) के साथ। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला WhatsApp पर भाव पाने के लिए ग्रुप join करे

प्याज बेचने के लिए 70 KM की यात्रा
टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान राजेंद्र तुकाराम चव्हाण अपनी 512 किलोग्राम प्याज की बेचने के लिए अपने गाँव से 70 किलोमीटर दूर सोलापुर एपीएमसी (APMC) मंडी पहुंचे। फ़सल के भाव को जानकर उनके तोते उड़ गए। काफी सोच विचार के बाद उन्हें प्याज की गिरी हुई कीमतों की वजह से अपनी उपज को महज 1 रुपये प्रति किलो के हिसाब से ही बेचना पड़ा।  मंडी में जैसा कि आमतौर पर होता है हिसाब किताब करने के समय प्याज खरीदने वाले व्यापारी ने 512 रुपये की कुल राशि से 509.50 रुपये परिवहन शुल्क, हेड-लोडिंग और वजन शुल्क आदि में काट लिया। इसके बाद चव्हाण का शुद्ध बकाया राशि 2.49 रुपये की रही। पेमेंट करने की कानूनी बाध्यता के कारण उन्हें 2 रुपये का पोस्ट-डेटेड चेक दिया गया है। इस चेक का भुगतान तुकाराम 15 दिनों के बाद ले सकते है। 49 पैसे की शेष राशि चेक में नहीं दिखाई गई थी, क्योंकि बैंक के लेन-देन आमतौर पर राउंड फिगर में होते है। अब बची राशि को किसान सीधे व्यापारी से लेना होगा। गेहूं की फसल को गर्मी से बचाना है तो अभी से करले ये जरूरी काम

कौन है जिम्मेदार
किसान साथियो तुकाराम के साथ जो हुआ वो और बहुत सारे किसानो के साथ हो रहा होगा। आपको क्या लगता है इस व्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है। क्या किसान की आय ऐसे कभी दोगुनी हो पाएगी। क्या सभी फ़सलों का MSP तय होना चाहिए। और इससे भी जरूरी ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे कि किसान साथियो की फ़सल को MSP से नीचे नहीं खरीदा जा सके। आपने देखा ही होगा कि इन दिनों सरसों के रेट 8000 से गिरकर MSP रेट 5450 के नीचे चले गए हैं। अगर व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो किसान ऐसे ही लूटते पिटते रहेंगे। अपने सुझाव comment box में जरूर दें । 1 मार्च से हो रहा है इन नियमों में बदलाव | हो जाए सावधान