गेहूं में खाद डालने का क्या है सही समय | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
किसान साथियो गेहूं की बुवाई के बाद, किसानों के लिए फसल की देखभाल सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक होती है। यदि फसल का सही तरीके से ध्यान रखा जाए तो न केवल उसकी गुणवत्ता बढ़ती है, बल्कि पैदावार भी बेहतर होती है। गेहूं की फसल में यूरिया खाद डालना एक अहम कदम है, क्योंकि यह नाइट्रोजन का अच्छा स्रोत होता है, जो पौधों की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, खाद की सही मात्रा और सही समय पर छिड़काव करना आवश्यक है, क्योंकि अधिक या कम यूरिया खाद का उपयोग फसल को नुकसान भी पहुंचा सकता है। आइए, हम गेहूं की फसल में यूरिया खाद डालने के सही तरीके के बारे में विस्तार से समझें।
बुवाई के बाद यूरिया का छिड़काव कब करना चाहिए
गेहूं की बुवाई के बाद, पहले 15 से 20 दिन के भीतर फसल का पहला पानी देना होता है। इस समय पौधों की जड़ें अभी अच्छी तरह से विकसित नहीं हुई होती हैं, लेकिन वे अपना विकास शुरू कर चुकी होती हैं। इस पहले पानी के बाद, यूरिया का पहला छिड़काव करना बहुत जरूरी है। यूरिया खाद पौधों को नाइट्रोजन की आपूर्ति करती है, जो उनकी वृद्धि को प्रोत्साहित करता है। इस समय पर यूरिया डालने से गेहूं के पौधे जल्दी से बढ़ने लगते हैं और मजबूत होते हैं, जिससे बाद में अच्छी पैदावार मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
गेहूं में दूसरी बार यूरिया का छिड़काव कब करे
लगभग 45 दिन बाद, जब पौधे थोड़े बड़े हो जाते हैं और उनकी जड़ें भी मजबूत हो चुकी होती हैं, तब दूसरे पानी की आवश्यकता होती है। इस पानी के बाद, यूरिया खाद का दूसरा छिड़काव किया जाता है। यूरिया का यह दूसरा छिड़काव पौधों की हरियाली को बनाए रखने में मदद करता है और पौधों के पत्तों की वृद्धि को उत्तेजित करता है। इस समय पौधों को पर्याप्त नाइट्रोजन की जरूरत होती है, ताकि वे तेजी से बढ़ सकें और अच्छी गुणवत्ता वाले दाने विकसित कर सकें। सही समय पर दूसरा छिड़काव करने से गेहूं की फसल का स्वास्थ्य बेहतर रहता है और यह बीमारी से भी बची रहती है।
गेहूं में तीसरी बार यूरिया का उपयोग कब करे
करीब 80 से 100 दिनों के भीतर गेहूं की फसल पूरी तरह से विकसित हो रही होती है। इस समय, पौधों के ऊपर के हिस्से में अच्छे और मोटे दाने बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस समय यूरिया खाद का तीसरा छिड़काव किया जाता है। यूरिया का यह छिड़काव पौधों में अच्छे दाने बनने के लिए महत्वपूर्ण होता है। जब यह खाद सही समय पर डाली जाती है, तो इससे गेहूं के दाने मोटे और मजबूत बनते हैं। इस समय खाद का उचित मात्रा में छिड़काव करके हम दानों की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ा सकते हैं।
खाद डालने का सही समय और उनके बीच का अंतर
गेहूं की फसल में यूरिया खाद देने का सबसे अहम पहलू यह है कि खाद को सही समय पर और सही अंतराल पर डाला जाए। यदि खाद का छिड़काव बहुत जल्दी या देर से किया जाता है, तो इससे पौधों की वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यूरिया खाद की अधिकता से पौधों में जलन, पत्तियों की जलन और दाने की गुणवत्ता में कमी हो सकती है। वहीं, कम यूरिया डालने से पौधों की वृद्धि धीमी हो सकती है और पैदावार में भी गिरावट आ सकती है। इसलिये, खाद का सही समय पर और सही मात्रा में उपयोग करना बहुत आवश्यक है।
यूरिया खाद डालने के अलावा अन्य पोषक तत्वों का भी रखे ध्यान
यद्यपि यूरिया खाद गेहूं की फसल के लिए नाइट्रोजन का एक बेहतरीन स्रोत है, लेकिन केवल यूरिया खाद से ही पूरी फसल का पोषण नहीं हो सकता। गेहूं की फसल को फास्फोरस, पोटाश, और अन्य सूक्ष्म तत्वों की भी जरूरत होती है। इसलिए, यूरिया खाद के साथ-साथ इन तत्वों का भी ध्यान रखना चाहिए। फास्फोरस से पौधों की जड़ों का विकास बेहतर होता है, जबकि पोटाश से पौधों की मजबूती बढ़ती है और वे रोगों से बचते हैं। इसके अलावा, अच्छी गुणवत्ता वाली गेहूं की पैदावार के लिए, फसल में समय-समय पर सूक्ष्म तत्व जैसे कि जिंक, सल्फर आदि की भी आवश्यकता होती है।
नोट:- इस रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।