Movie prime

सोयाबीन का वायदा कारोबार फिर से शुरू करने की उठ रही मांग | जाने क्या होगा इसका फायदा

सोयाबीन का वायदा कारोबार फिर से शुरू करने की उठ रही मांग | जाने क्या होगा इसका फायदा
WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now

स्वदेशी खाद्य तेल उद्योग से वायदा कारोबार पर लगी रोक हटाने की गुहार

भारत का खाद्य तेल और तिलहन उद्योग कृषि अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल किसानों की आजीविका से जुड़ा है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और तेल उत्पादन में भी अहम भूमिका निभाता है। हाल ही में इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IVPA) और सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने खाद्य तेल और तिलहन के वायदा कारोबार पर लगी रोक को हटाने की मांग की है। इन संगठनों का मानना है कि वायदा कारोबार की बहाली से न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि पूरे उद्योग की मूल्य श्रृंखला को भी मजबूती मिलेगी।

वायदा कारोबार किसानों के लिए ही नहीं बल्कि व्यापारियों के लिए भी एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो मूल्य जोखिम प्रबंधन में मदद करता है। यह भविष्य में कीमतों को लेकर होने वाले उतार चढ़ाव से भी एक सुरक्षा कवच प्रदान करता है। वायदा कारोबार की मदद से किसान अपनी फसलों के उचित मूल्य को लेकर आश्वस्त रहते हैं, जिससे वे अपनी फसलों के क्षेत्रफल और उत्पादन में वृद्धि करने के लिए प्रेरित होते हैं। इसके अतिरिक्त, यह पूरे कृषि क्षेत्र को स्थिरता प्रदान करता है और व्यापार को एक संरचित और संतुलित प्रणाली देता है।

हालांकि, दो साल पहले सोयाबीन और सरसों जैसे तिलहन की कीमतों में तेज़ी के बढ़ने के कारण सरकार ने वायदा कारोबार पर रोक लगा दी थी। इसका उद्देश्य बाजार को स्थिर करना था, लेकिन इसके दुष्परिणाम भी सामने आए। वायदा कारोबार पर प्रतिबंध के बाद सोयाबीन का बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से 500-600 रुपये प्रति क्विंटल नीचे चला गया। इस स्थिति में किसानों को अपनी लागत वसूल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा, जिससे उनका खेती के प्रति उत्साह कम हो गया।

खाद्य तेलों के आयात शुल्क

सरकार ने खाद्य तेलों के आयात शुल्क में 20% तक की बढ़ोतरी की थी ताकि घरेलू बाजार में तिलहन की कीमतों को स्थिर किया जा सके। लेकिन इस कदम का कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया। किसान और उद्योग संगठन यह मानते हैं कि आयात शुल्क बढ़ाने की बजाय वायदा कारोबार की बहाली अधिक प्रभावी उपाय होगा।

वायदा कारोबार की बहाली से किसानों को अपनी फसलों का उचित भाव मिलेगा और उद्योग को स्थिरता मिलेगी। इसके अलावा, यह किसानों को तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और IVPA जैसे संगठनों ने बार-बार सरकार से वायदा कारोबार पर लगी रोक हटाने का आग्रह किया है। हाल ही में इन संगठनों ने केंद्रीय मंत्रियों को ज्ञापन भेजकर अपनी चिंताओं को साझा किया है। सरसों की फसल, जो रबी सीजन की सबसे महत्वपूर्ण तिलहन फसल है, पर भी इस प्रतिबंध का असर देखने को मिल सकता है। कीमतों में नरमी के कारण किसान इस फसल की खेती के प्रति कम रुचि दिखा सकते हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि सरकार वायदा कारोबार की बहाली के लिए कदम उठाए।

👉 चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट

👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव

👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें

About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।