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सरसों उत्पादन का नया अनुमान जारी | जानिए कितना होगा सरसों उत्पादन

sarso report

अखिल भारतीय रबी तिलहन सेमिनार : किसान साथियो दो दिन तक चले अखिल भारतीय रबी तिलहन सेमिनार का 43वां संस्करण 12 मार्च को जयपुर में संपन्न हुआ। इस सेमिनार में सरसों किसानो के हित को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। आज की रिपोर्ट में हम सेमिनार में हुई मुख्य बातों को कवर करेंगे WhatsApp पर भाव पाने के लिए ग्रुप join करे

राजस्थान को सरसों उत्पादक राज्य घोषित करने की मांग
सेमिनार में सबसे मुख्य बात यह रही कि इसमे राजस्थान को सरसों प्रदेश घोषित करने की मांग की गई है। इसके अलावा विदेशी तेलों पर आयात शुल्क 20-25 प्रतिशत करने की अपील की गई। सेमिनार का आयोजन मस्टर्ड आइल प्रोड्यूसर्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया (MOPA) द्वारा दी सेन्ट्रल आर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इण्डस्ट्री एवं ट्रेड (कुईट) की देखरेख में किया गया जिसमें खाद्य तेल पर लागू सभी प्रकार के नियमों, कानूनों एवं विभिन्न करों पर विस्तृत चर्चा की गई। देखें आज के सरसों के ताजा मंडी भाव | Today Latest Musterd Price 11 March 2023

आयात पर निर्भर भारत
मोपा के अध्यक्ष श्री बाबूलाल ने सेमिनार में कहा कि भारत के कुल सरसों उत्पादन का करीब 40 से 45 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान में पैदा होता है। सरसों एक ऐसी फ़सल है जो कम पानी में पैदा हो जाती है । उन्होंने दोहराया कि देश में जितना तिलहन पैदा होता है या जितना तेल खाया जाता है उसका पचास परसेंट से ज्यादा तेल विदेश से आयात करना पड़ता है। विडंबना यही है कि आयात पर निर्भर होने के बावजूद भी सरसों किसानों के लिए कुछ खास नहीं किया जा रहा है। सरसों किसानों के लिए खुशखबरी | सरकार 15 मार्च से MSP पर शुरू करेगी खरीद

इस साल सरसों का कितना होगा उत्पादन
 एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री बाबूलाल डाटा ने सरसों तेल व सभी खाद्य तेलों के कारोबार बाजार पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि खाद्य तेल उद्योग इस समय भारी संकट के दौर से गुज़र रहा है। इस साल सरसों की बुवाई पिछले साल की तुलना में काफी अधिक हुई है। इसलिए सरसों का उत्पादन बढ़ने की प्रबल संभावना है। हालांकि जनवरी माह में  पाला पड़ने से फसल को कुछ नुक्सान भी हुआ है। इस के बावजूद भी सरसों का उत्पादन अच्छा होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि सभी पक्षों से प्राप्त जानकारी अनुसार इस साल सरसों का कुल उत्पादन 115 लाख टन तक होने की संभावना है अखिर कहाँ जाकर रुकेगा सरसों का भाव | सरसों बेचने से पहले ये रिपोर्ट जरूर देख लें

आयात शुल्क बढ़ाने की मांग
सेमिनार में खाद्य तेलों के आयात शुल्क को लेकर काफी चर्चा की गई। जैसा कि सब जानते हैं कि आयातित तेलों पर आयात शुल्क न होने या नाममात्र होने से घरेलू तेल तिलहन भाव कई दिनों से लगातार दबाव में है। इससे सबसे ज्यादा नुक्सान किसानों को हो रहा है जिन्हें सरसों के MSP के बराबर रेट भी नहीं मिल पा रहे हैं। किसानों के अलावा सरसों तेल कारोबारी भी बड़े घाटे में है। अध्यक्ष ने कहा कि विदेशी तेलों पर आयात शुल्क 20-25 प्रतिशत तक करने की जरूरत है। साथ ही निर्यात पर 10 प्रतिशत इंसेंटिव मिलना चाहिए। उन्होंने जीएम सरसों सीड और इसके आयात इसके अव्यवहारिक बताया। सेमिनार में इस बात को भी रखा गया कि सरसों की सरकारी खरीद पहली अप्रैल से शुरू होती है। जबकि फसल फरवरी में ही आनी शुरू हो जाती है। इसलिए सरकारी को खरीद 1 मार्च से शुरू होना चाहिए गेहूँ में नौ इंच की बाली का क्या है राज | देखें रिपोर्ट

मोपा द्वारा क्रॉप एस्टीमेशन के आंकड़े इस प्रकार हैं

1. उत्तरप्रदेश- 14 लाख टन
2. राजस्थान- 52 लाख टन
3. पंजाब और हरियाणा - 9 लाख टन
4. मध्य प्रदेश- 16 लाख टन
5. पश्चिम बंगाल - 6 लाख टन
6. गुजरात - 4.75 लाख टन
7. ईस्टर्न इंडिया और अन्य- 11.25 लाख टन

कुल= 113 लाख टन, कैर्री फॉरवर्ड- 6 लाख टन