यूरोपीय गेहूं वायदा में करीब एक प्रतिशत की गिरावट। गिरावट का क्या है कारण, जानें इस रिपोर्ट में
किसान साथियों, गेहूं वायदा बाजार पिछले कुछ दिनों से बड़े उतार-चढ़ाव से गुजर रहा है, खासकर यूरोपियन फ्यूचर्स मार्केट में। जिन निवेशकों और किसानों की नजर अंतरराष्ट्रीय अनाज बाजार पर रहती है, उनके लिए यह हफ्ता काफी मायनों में खास और थोड़ा तनावपूर्ण रहा। पेरिस स्थित यूरोनेक्स्ट एक्सचेंज पर गेहूं की कीमतों में जो हलचल देखी गई, उसने मार्केट में एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या ग्लोबल गेहूं की सप्लाई वाकई इतनी भरपूर है कि कीमतें टिक नहीं पा रहीं। असल में यूरोप, अमेरिका और रूस जैसे देशों में मौसम की मार और निर्यात नीतियों के बीच फंसे गेहूं के दाम अब बाजार की असल स्थिति को दिखा रहे हैं। एक तरफ रूस में उत्पादन उम्मीद से ज्यादा होने की खबरें हैं, तो दूसरी ओर अमेरिका और चीन जैसे देशों में मौसमी चुनौतियां बनी हुई हैं। इस जटिल स्थिति में कारोबारियों और विश्लेषकों की राय अब बहुत हद तक इस पर टिकी हुई है कि अगला टेंडर कब आता है और कीमतें कहां जाकर थमती हैं। गेहूं की सतत चढ़ाव-उतार की स्थिति को विस्तार से समझने के लिए चलिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।
गेहूं वायदा 1.10% की गिरावट
पेरिस स्थित यूरोनेक्स्ट एक्सचेंज, जो कि यूरोप का प्रमुख कृषि वायदा प्लेटफॉर्म माना जाता है, वहां सितंबर डिलीवरी वाले मिलिंग गेहूं वायदा में बीते सप्ताह के अंत में लगभग 1.10% की गिरावट दर्ज की गई। इसके बाद इसका भाव 207 यूरो प्रति टन तक फिसल गया। जबकि हफ्ते के तीसरे कारोबारी दिन यह वायदा तेजी के साथ 213 यूरो तक पहुंच गया था, जो कि 17 अप्रैल के बाद का सबसे ऊंचा स्तर था। गेहूं में यह गिरावट ऐसे समय आई जब बाजार को लग रहा था कि हालिया तेजी और सपोर्ट स्तर को देखते हुए गेहूं की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं। लेकिन जैसे ही निर्यात मांग कमजोर होती दिखी और सप्लाई भरपूर रहने के संकेत मिले, बाजार ने अपनी चाल बदल ली। व्यापारी वर्ग ने तेजी की बजाय मुनाफावसूली को तरजीह दी और पोजिशन हल्की कर दी। इसका सीधा असर फ्यूचर्स कीमतों पर पड़ा और वे एक बार फिर दबाव में आ गईं। एक और दिलचस्प पहलू यह है कि यूरोनेक्स्ट की यह गिरावट पूरी तरह से अकेली नहीं थी। इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बन रहा दबाव और अलग-अलग देशों में नीति बदलाव भी बराबर के भागीदार थे।
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शिकागो गेहूं वायदा भी दबाव में
शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (CBOT), जो कि अमेरिका का प्रमुख अनाज एक्सचेंज है, वहां भी गेहूं वायदा में गिरावट देखी गई। अमेरिका में मेमोरियल डे की छुट्टी से पहले ट्रेडर्स ने अपनी-अपनी पोजिशन को री-एडजस्ट (re-adjust) करना शुरू कर दिया। इससे बाजार में अस्थिरता बढ़ गई। अगर सप्ताह की शुरुआत की बात करें तो हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकी गेहूं वायदा में एक अच्छी-खासी तेजी देखी गई थी। इसकी बड़ी वजह थी रूस और चीन में बिगड़ता मौसम (adverse weather) और अमेरिका में गेहूं की रेटिंग में गिरावट। इसने बाजार में अचानक शॉर्ट कवरिंग (short covering) को जन्म दिया और तेजी की लहर दौड़ी। लेकिन जैसे ही सप्ताह के अंत में व्यापारी छुट्टी से पहले मुनाफावसूली के मूड में आए, बाजार में गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा अमेरिका में फसल को लेकर चिंता की स्थिति बनी हुई है। अप्रत्याशित नुकसान (unexpected crop damage) का खतरा बाजार को लगातार प्रभावित कर रहा है। हालांकि फिलहाल कोई बड़ा नुकसान सामने नहीं आया है, लेकिन मौसम की चाल को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
रूस ने निर्यात मूल्य सिफारिश हटाई
रूस, जो कि दुनिया के सबसे बड़े गेहूं निर्यातकों में से एक है, उसने मई और जून के लिए निर्यात मूल्य की न्यूनतम सिफारिश (minimum export price recommendation) को हटा लिया है। यह फैसला काले सागर क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए लिया गया है। अब रूसी निर्यातकों को कीमत तय करने में थोड़ी ज्यादा छूट मिल गई है, यानी वे अधिक लचीले भाव पर माल बेच सकते हैं। हालांकि यह बदलाव डिमांड साइड (demand side) पर कोई बड़ा असर नहीं डाल पाया है क्योंकि अभी भी वैश्विक बाजार में नई मांग की कमी (lack of new import demand) बनी हुई है। बाजार को उम्मीद थी कि जैसे ही रूस यह कदम उठाएगा, अंतरराष्ट्रीय खरीदार सक्रिय होंगे, लेकिन ऐसा फिलहाल नहीं हुआ है। इसकी एक वजह यह भी है कि रूसी रूबल (Ruble), डॉलर के मुकाबले दो साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, जिससे रूस के निर्यात महंगे पड़ सकते हैं। यही कारण है कि नई डील्स की संभावनाएं कमजोर हो गई हैं।
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रूस और फ्रांस में उत्पादन अनुमानों में बदलाव
सॉवइकॉन (SovEcon) नाम की एक रूस-आधारित सलाहकार फर्म ने अपने 2025 सीज़न के गेहूं उत्पादन पूर्वानुमान (wheat production forecast) को बढ़ाकर 8.10 करोड़ टन कर दिया है, जो पहले 7.98 करोड़ टन था। यह अनुमान बताता है कि रूस में मौसम और फसल की स्थिति उम्मीद से बेहतर बनी हुई है। इसी तरह फ्रांसएग्रीमेर (FranceAgriMer) की रिपोर्ट बताती है कि फ्रांस में सॉफ्ट गेहूं की गुणवत्ता में हल्की गिरावट आई है। लेकिन उत्तरी यूरोप में बारिश की वापसी (return of rainfall) से फसलों को राहत मिल रही है। खासतौर पर फ्रांस और जर्मनी में हुई हालिया वर्षा ने सूखे की स्थिति को थोड़ा संतुलित किया है। हालांकि रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अभी तक किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय टेंडर (global tender) की घोषणा नहीं हुई है, जिससे असल मांग का स्तर सामने आ सके। जब तक कोई बड़ा टेंडर नहीं आता, बाजार में अनिश्चितता बनी रहेगी।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।