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पुरखों की जमीन बेचने से पहले कोर्ट का यह आदेश जरूर देख लेना। जाने क्या है नया नियम

पुरखों की जमीन बेचने से पहले कोर्ट का यह आदेश जरूर देख लेना। जाने क्या है नया नियम
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अगर आप भी अपनी पैतृक ज़मीन बेचना चाहते हैं तो, पहले कोर्ट का यह आदेश पढ़ लें।

किसान भाइयों, खेती की ज़मीन विशेष रूप से पैतृक कृषि भूमि (ancestral agricultural land) का अपना एक खास स्थान है। यह केवल खेती के लिए नहीं, बल्कि परिवार की धरोहर और पीढ़ियों से चली आ रही संपत्ति का प्रतीक भी है। इस भूमि के माध्यम से न केवल परिवार की आजीविका चलती है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होती है। जब किसी परिवार का सदस्य अपनी पैतृक कृषि भूमि को बेचने का विचार करता है, तो यह एक बड़ा और संवेदनशील मामला बन सकता है। भारत में संपत्ति की बिक्री के लिए अलग-अलग कानून होते हैं, और जब बात पैतृक कृषि भूमि की होती है, तो इससे जुड़ी कुछ विशेष कानूनी प्रक्रियाएं और नियम होते हैं। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने पैतृक कृषि भूमि को बेचने के मामले में एक अहम फैसला दिया है, जो यह निर्धारित करता है कि भूमि को किसे बेचा जा सकता है और इस प्रक्रिया में किसे प्राथमिकता दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि जब कोई व्यक्ति अपनी पैतृक कृषि भूमि बेचने का विचार करता है, तो उसे पहले अपने परिवार के अन्य सदस्यों को यह भूमि बेचने का अवसर देना होगा। इस रिपोर्ट में, हम सुप्रीम कोर्ट के इस अहम फैसले की पूरी जानकारी देंगे और बताएंगे कि इस फैसले से खेती की ज़मीन बेचने के संबंध में क्या नया बदलाव हुआ है। हम यह भी समझेंगे कि इस फैसले का किसानों और परिवारों पर क्या प्रभाव पड़ेगा और यह निर्णय कैसे पारिवारिक संपत्ति के अधिकारों को संरक्षित करता है। तो चलिए इस पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।

सुप्रीम कोर्ट का अहम निर्णय

किसान साथियों, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में यह साफ किया कि अगर कोई व्यक्ति अपनी पैतृक कृषि भूमि बेचना चाहता है, तो उसे पहले अपने परिवार के अन्य सदस्यों को यह भूमि बेचने का अवसर देना चाहिए। यह आदेश हिमाचल प्रदेश से संबंधित एक मामले में दिया गया था, जिसमें एक व्यक्ति ने अपनी पैतृक भूमि को एक बाहरी व्यक्ति को बेचने का प्रयास किया था। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, जब भूमि किसी हिन्दू परिवार की हो, तो परिवार के अन्य सदस्यों को पहले भूमि खरीदने का अवसर देना होगा। यह निर्णय इस मायने में महत्वपूर्ण है कि इससे यह सुनिश्चित होता है कि भूमि केवल परिवार के भीतर ही रहे और बाहरी व्यक्ति को इसमें हिस्सा न मिले। इस तरह के फैसले से पारिवारिक संपत्ति की सुरक्षा होती है और यह सुनिश्चित होता है कि भूमि पर अधिकार केवल परिवार के सदस्यों के पास रहे।

कैसे बेचे कृषि भूमि को

किसान भाइयों, भारत में संपत्ति की बिक्री के लिए कुछ विशेष कानूनी प्रावधान होते हैं, और जब बात पैतृक कृषि भूमि की हो, तो यह प्रक्रिया थोड़ी अलग होती है। सामान्य संपत्तियों की बिक्री के मुकाबले पैतृक भूमि के मामले में कुछ विशेष कानूनी नियम होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। जब कोई व्यक्ति अपनी पैतृक भूमि बेचने का निर्णय लेता है, तो उसे पहले यह सुनिश्चित करना होता है कि क्या परिवार के अन्य सदस्य इस भूमि को खरीदने में रुचि रखते हैं। अगर परिवार के किसी सदस्य को भूमि खरीदने का मन है, तो उसे पहले यह भूमि दी जानी चाहिए। केवल तभी जब कोई परिवार का सदस्य खरीदने के लिए इच्छुक नहीं होता, तो भूमि को बाहरी व्यक्ति को बेचा जा सकता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि भूमि पर अधिकार परिवार के भीतर ही बना रहे और इसे बाहर के किसी व्यक्ति के हाथ न जाने दिया जाए।

परिवार के सदस्यों का अधिकार

साथियों, इस फैसले का एक अहम पहलू यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी व्यक्ति का निधन बिना वसीयत (will) के होता है, तो उसकी संपत्ति स्वाभाविक रूप से परिवार के अन्य सदस्यों को मिलती है। यह संपत्ति उनके कानूनी अधिकार के तहत आती है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी पैतृक भूमि बेचना चाहता है, तो उसे पहले अपने परिवार के बाकी सदस्य को इस भूमि के बारे में सूचित करना होगा। यह नियम इस उद्देश्य से बनाया गया है कि परिवार के भीतर संपत्ति का बंटवारा और वितरण सही तरीके से हो। जब परिवार के सदस्य एकमत होकर भूमि को बेचने का निर्णय लेते हैं, तभी इसे बाहरी व्यक्ति को बेचा जा सकता है। यह प्रक्रिया इस बात को सुनिश्चित करती है कि पारिवारिक संपत्ति बाहर न चली जाए और यह परिवार के भीतर बनी रहे।

कृषि भूमि का कानूनी प्रावधान

किसान भाइयों, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कृषि भूमि पर लागू होने वाली कानूनी धारा 22 (Section 22) के तहत भूमि के विक्रय में परिवार के अन्य सदस्यों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होता है कि भूमि का वितरण परिवार के भीतर ही हो और बाहरी व्यक्ति को इसमें शामिल नहीं किया जाए। इस धारा के तहत, यदि किसी व्यक्ति को अपनी संपत्ति बेचनी है, तो उसे पहले अपने परिवार के सदस्यों को इस संपत्ति को खरीदने का अवसर देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि पहले के प्रावधान समाप्त हो गए हैं, तो भी यह नियम लागू रहेंगे। इसका मतलब यह है कि पुराने नियमों का प्रभाव इस निर्णय से प्रभावित नहीं होगा और यह कानून भूमि के अधिकारों से जुड़े हुए रहेंगे।

विस्तार से समझें

किसान साथियों, इस फैसले को और बेहतर समझने के लिए हम एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए कि लाजपत नामक एक व्यक्ति ने अपनी पैतृक भूमि पर अपने दो बेटों, संतोष और नाथू को हिस्सेदारी दी। जब लाजपत का निधन हुआ, तो यह भूमि उनके दोनों बेटों को मिल गई। बाद में, संतोष ने अपनी भूमि को एक बाहरी व्यक्ति को बेच दिया। लेकिन नाथू, जो इस बिक्री से खुश नहीं था, ने अदालत में याचिका दायर की। नाथू का कहना था कि उसे धारा 22 के तहत पहले भूमि का अधिकार मिलना चाहिए था। अदालत ने नाथू के पक्ष में निर्णय दिया और कहा कि संतोष को पहले नाथू को यह भूमि ऑफर करनी चाहिए थी। यह उदाहरण स्पष्ट करता है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में परिवार के सदस्य को प्राथमिकता देने की बात की है, ताकि भूमि पर बाहरी व्यक्ति का कब्जा न हो और परिवार के भीतर संपत्ति का वितरण सही तरीके से हो। इस फैसले से न केवल पारिवारिक संपत्ति के अधिकारों का संरक्षण होता है, बल्कि यह पारिवारिक सद्भाव बनाए रखने में भी मदद करता है, जिससे संपत्ति को बाहरी लोगों से बचाया जा सकता है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।