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क्या जीरा के भाव में तेजी आएगी या नहीं | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

क्या जीरा के भाव में तेजी आएगी या नहीं | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
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किसान भाईयो जीरा एक प्रमुख मसाला फसल है,जो हर घर में उपयोग में लाया जाता है। पिछले एक डेढ़ साल की बात करें तो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में जीरे के दामों में काफी उतार चढ़ा हुआ है। पिछले साल इसी त्यौहारी सीजन में जीरे के भाव₹60000 प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे, लेकिन अगर ताजा आंकड़ों की बात की जाए तो फिलहाल भारत की मंडियो मैं जीरे के भाव 24000-30000 के बीच में रुके हुए हैं। वह कौन से कारण है जिसकी वजह से जीरे के दामों में इतना उतार चढ़ाव हो रहा है, हालांकि इस वक्त जीरे के भाव मैं कोई ज्यादा हलचल देखने को नहीं मिल रही है, लेकिन फिर भी जीरे के दामों में आई गिरावट किसानों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। आज की रिपोर्ट में हम उन घटकों का विश्लेषण करेंगे जिसके कारण जीरे का बाजार ऊपर नहीं उठ पा रहा, तो आईए जानते हैं इस रिपोर्ट में। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

पिछले साल किस कारण से बढे थे जीरा के दाम
भाइयों जैसा कि हमने अपनी पिछली रिपोर्ट में भी बताया था की पिछले साल इन दिनों जीरे के भाव आसमान को छू रहे थे। जिसका प्रमुख कारण घरेलू बाजार में जीरे की मांग का बढ़ना, विदेश से भारत के जीरे की अधिक डिमांड, देश में जीरे का स्टॉक कम पड़ना और देश में जीरे का उत्पादन कम मात्रा में होना बताया जा रहा है। पिछले वर्ष भारी वर्षा और ओलावृष्टि के कारण जीरे की नई खेप काफी प्रभावित हुई थी, जिसके कारण जीरे का उत्पादन काफी कम मात्रा में हो पाया था। पिछले साल विदेशो में भारतीय जीरे की डिमांड बहुत अधिक हो गई थी जिसका सीधा-सीधा असर जीरे के दामों पर देखा जा रहा था।

फ़िलहाल जीरा की क्या पोजीशन है
साथियों देश में जीरे की सबसे बड़ी मंड़ी ऊंझा में इस प्रमुख किराना मसाले की मांग का अभाव बन जाने से इसकी कीमत पर दबाव बना हुआ है। एक सर्वे के अनुसार व्यापारियों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि फिलहाल जीरे में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय, दोनों ही, मांग का अभाव बना हुआ है। इसकी वजह से व्यापारी चिंतित हो गए हैं।स्थानीय थौक किराना बाजार में स्टॉकिस्टों की लिवाली सुस्त पड़ने से जीरा सामान्य रूप से 25,800/26,300 रुपए प्रति क्विंटल के पूर्वबंद स्तर पर ही रुका रहा। एक दिन पूर्व इसमें 200 रुपए की मंदी आई थी। व्यापारियों ने बताया कि फिलहाल जीरे की विक्री सुस्त बनी हुई है। हाल ही में इसमें करीब 1500-1700 रुपए की गिरावट भी आ चुकी है, इसके बाद भी न तो दिसावरों और न ही स्थानीय स्टॉकिस्ट बाजार में आ रहे हैं। ऊंझा मंडी स्थित व्यापारियों से बात करने पर पता चला कि आज मंडी में जीरे की करीब 5-7 हजार बोरियों की आवक हुई। एक दिन पूर्व आई करीब 100 रुपए की मंदी के बाद कामकाज सुस्त पड़ने से इस प्रमुख किराना जिंस की कीमत में स्थिरता का वातावरण बन गया। आज आंकड़ों के अनुसार जीरे की कीमतों में 0.34% की गिरावट आई है। घरेलू और निर्यात मांग में कमी के साथ-साथ वैश्विक आपूर्ति में कमी के कारण जीरे की कीमतों में गिरावट आई है। मौजूदा मांग के बावजूद इस सीजन में अधिक उत्पादन की अटकलों के कारण कीमतों पर दबाव देखने को मिला है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

मंडियों में क्या मिल रहे है जीरा के भाव
साथियों गुजरात की ऊंझा मंडी में जीरे की थोक कीमत क्वालिटी के अनुसार 4925-4975 रु प्रति 20 किलोग्राम के पूर्वस्तर पर ही जमी रही। अगर बात की जाए अन्य मंडियों की तो बबरा में 21 350, थराद में 21250, उपलेटा में 20600, थारा में 22900,भनवाद 21600, राजकोट 22755, धनेरा 19755, विजयनगर 24500, भगत की कोठी 25400, जोधपुरी 21350, मेड़ता सिटी 22000, किशनगढ़ 21500, ब्यावर 23500, महाराष्ट्र की मंडियों में 31000, मध्य प्रदेश की मंडियों में 25740, उत्तराखंड की मंडियों में 25000 रूपए प्रति क्विंटल के रहे।

जीरा में गिरावट का क्या है कारण
साथियों कई किसान भाइयों और व्यापारियों ने जीरे का भंडारण काफी अधिक मात्रा में कर रखा है, उनको उम्मीद थी कि जीरे के दामों में कुछ तेजी देखने को मिलेगी लेकिन अब वह भंडारण किए हुए जीरे को धीरे-धीरे करके निकलना शुरू कर दिया है गुजरात की उंझा मंडी में एक अन्य व्यापारी दीक्षित पटेल ने बताया कि दशहरे के बाद राजस्थान और गुजरात जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में जीरे की नई फसल की बिजाई भी शुरू होनी है। इसे देखते हुए किसानों ने धीरे-धीरेर अपनी फसल की विक्री भी बढ़ानी शुरू कर दी है। उन्होंने आगे बताया कि कुछ समय पूर्व तक मंडी में जीरे की आवक 3-4 हजार बोरियों के निचले स्तर पर होने के बाद फिलहाल यह बढ़ती हुई करीब 6-8 हजार बोरियों की होने लगी है। व्यापारियों ने बताया कि आवक बढ़ने के बावजूद, स्थानीय स्टॉकिस्टों और निर्यातकों की मांग का अभाव बना होने से जीरे की थोक कीमत दबाव में बनी हुई है। यही वजह है कि जीरे की थोक कीमत रुक-रुककर घटती जा रही है। इससे भी बड़ी हैरानी की बात यह है कि घटी कीमत पर भी खरीददार बाजार में नहीं आ रहे हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

जीरे में तेजी की कितनी है उम्मीद
व्यापार विश्लेषकों का अनुमान है कि आने वाले समय में जीरे के निर्यात में वृद्धि होगी। सरकार को जीरे के निर्यात को बढ़ाने के लिए विशेष योजनाएं बनाने की जरूरत है। अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार की बात करें तो, अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय जीरे की डिमांड अधिक रहती है। अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय जीरे की मांग और अधिक होती है तो इसका असर जीरे के दामों पर जरूर दिखाई देगा, और भाव बढ़ने की उम्मीद भी बन जाएगी। गत एक जून से शुरू हुआ वर्तमान मानसून सीजन के करीब तीन महीने बीत गए हैं। अब उम्मीद की जा रही है कि दिसावरों और स्थानीय स्टॉकिस्टों की जीरे में सक्रियता बढ़ेगी लेकिन पिछले कुछ दिनों से यह भी नहीं हो रहा है। देखना यह है कि इनकी सक्रियता कब शुरू होती है। बहरहाल,पिछले सीजन की तुलना में इस साल जीरे की कीमते नीची होने से इसके निर्यात पर सकारात्मक असर हुआ है। मसाला बोर्ड के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2024-25 के आरंभिक दो महीनों में देश से 1607.29 करोड़ रुपए मूल्य के कुल 61,463.38 टन जीरे का निर्यात हुआ है। बीते वित्त वर्ष की आलोच्य अवधि में इसकी  42,988.50 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 1502.27 करोड़ रु की आय हुई थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार और मौजूदा हालातो को देखते हुए यही अनुमान लगाया जा सकता है कि जब तक स्टॉकिस्टों, दिसावरों और निर्यातकों की लिवाली नहीं बढ़ती है,तब तक जीरे की थोक कीमतों मैं सुधार की गुंजाइश कम ही नजर आ रही है।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी सार्वजनिक स्रोतों और निजी अनुभव पर आधारित है बाजार भाव में किसी भी वक्त फेरबदल हो सकता है, इसीलिए किसान भाइयों से अनुरोध है कि वह व्यापार अपने विवेक और समझदारी से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।