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गेहूं के बाजार को लेकर क्या है ताज़ा अपडेट ? जानें इस रिपोर्ट में

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किसान साथियों, 2024-25 के रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन 1175.10 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जो पिछले साल के मुकाबले काफी बेहतर है। लेकिन, इसके बावजूद सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रखने का फैसला किया है, ताकि घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता और कीमतों को नियंत्रित रखा जा सके। इसके अलावा सरकार ने गेहूं की भंडारण सीमा भी तय कर दी है ताकि जमाखोरी को रोका जा सके। आपको बता दें कि इस समय गेहूं की कीमतें सरकारी रेट से काफी ऊपर चल रही हैं। इस समय खुले बाजार में गेहूं की कीमतें 2700 से लेकर 2750 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रही हैं। लेकिन बावजूद इसके, इस साल सरकारी खरीद ने भी अच्छी रफ्तार पकड़ी है, और अब तक 300 लाख टन से अधिक गेहूं खरीदा जा चुका है। हालांकि, कुछ राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश में खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है, जबकि पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश ने अपने टारगेट को पार कर लिया है। इसके अलावा, म्यांमार जैसे देशों से कृषि उत्पादों के निर्यात को लेकर नई नीतियां बनाई गई हैं, जो व्यापारियों के लिए राहत भरी खबर है। आइए, आज की इस रिपोर्ट में हम गेहूं की कीमतों, सरकारी खरीद, निर्यात प्रतिबंध, और मौसम की स्थिति पर विस्तार से चर्चा करें।

गेहूं के निर्यात पर लगे प्रतिबंध

भारत सरकार ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) को स्पष्ट कर दिया है कि वह गेहूं के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को अभी हटाने वाली नहीं है। यह फैसला घरेलू खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। हालांकि, सरकार ने यह भी साफ किया है कि यह प्रतिबंध स्थायी नहीं है, बल्कि अस्थायी तौर पर लगाया गया है। आपको बता दें कि सरकार द्वारा मई 2022 में पहली बार गेहूं के निर्यात पर रोक लगाई गई थी, क्योंकि उस समय उत्पादन कम होने के कारण घरेलू बाजार में कमी आई थी। लेकिन इस बार भले ही उत्पादन अच्छा हुआ है, फिर भी वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव और घरेलू मांग को देखते हुए सरकार ने प्रतिबंध जारी रखने का फैसला किया। इसके अलावा मानवीय आधार पर कुछ देशों को गेहूं की आपूर्ति की जा सकती है, लेकिन व्यापारिक निर्यात पर पूरी तरह रोक है। भारत ने WTO को बताया कि उसने GATT 1994 के Article XI 2(A) और कृषि समझौते के Article 12.1 के तहत यह कदम उठाया है। सरकार का मानना है कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह फैसला जरूरी था।

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गेहूं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध

इस साल सरकारी खरीद ने अच्छी प्रगति की है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 5 जून तक कुल 299.30 लाख टन गेहूं खरीदा जा चुका है, जो संशोधित लक्ष्य 333 लाख टन का 90% है। खुले बाजार में कीमतें ऊंची होने के बावजूद पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश सरकार ने अपने लक्ष्य का 95% से अधिक गेहूं खरीद लिया है। वहीं राजस्थान में लक्ष्य से थोड़ा अधिक खरीद हुई है। लेकिन उत्तर प्रदेश में सिर्फ 34% खरीद हो पाई है, जो चिंता का विषय है। लेकिन फिर भी 5 जून तक सरकारी गोदामों में 364 लाख टन से अधिक गेहूं का स्टॉक मौजूद है। जानकारों का मानना है कि सरकार द्वारा गेहूं की इतनी अधिक खरीद करने के पीछे उसका लक्ष्य PMGKAY (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना) और OMSS (ओपन मार्केट सेल स्कीम) के तहत गेहूं की आपूर्ति करना है।

सरकार प्रयास

साथियों, जैसा कि आपको पता है कि इस समय गेहूं की कीमतें MSP से काफी ऊपर चल रही हैं, जो सरकार के लिए एक चिंता का विषय बना हुआ है। इसलिए सरकार गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। गेहूं की कीमतों में हो रही लगातार तेजी को देखते हुए सरकार ने भंडारण सीमा (Stock Limit) लागू की है, ताकि जमाखोरी रोकी जा सके। इसके अलावा यदि गेहूं की कीमतें बढ़ती रहीं तो सरकार द्वारा OMSS के तहत बाजार में गेहूं उतारा जा सकता है। केंद्र सरकार द्वारा MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) इस साल 2425 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। और कुछ राज्यों ने तो इस पर भी 150 रुपए प्रति क्विंटल तक अलग से घोषणा भी कर रखी है। लेकिन बावजूद इसके, बाजार में गेहूं 2700 से 2750 रुपए प्रति क्विंटल पर बिक रहा है। इस समय दिल्ली में गेहूं का भाव 2735-2740 रुपए/क्विंटल पर आ गया है। वहीं इंदौर में कीमतें 2430-2660 रुपए/क्विंटल तक पहुंच गई हैं। और उत्तर प्रदेश की मंडियों में भी भाव सरकारी MSP के करीब आ गए हैं।

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आगे क्या होगा

साथियों, इस समय दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की मंडियों में गेहूं की आवक अलग-अलग है। और सरकार द्वारा भंडारण सीमा तय किए जाने के कारण व्यापारी अपना स्टॉक बेचने में जुट गए हैं। साथ ही निर्यात प्रतिबंध के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय गेहूं की सप्लाई नहीं हो पा रही है, जो आगे चलकर गेहूं की कीमतों को प्रभावित कर सकती है। और यदि गेहूं की कीमतें नियंत्रित नहीं होती हैं तो सरकार OMSS के तहत गेहूं बेच सकती है अगर कीमतें बढ़ती हैं। इसके अलावा जानकारों का मानना है कि निर्यात प्रतिबंध कम से कम इस साल तक जारी रहने की उम्मीद है। इन सभी पहलुओं को देखते हुए, गेहूं का बाजार अभी स्थिर है, लेकिन आने वाले महीनों में स्थिति बदल सकती है। व्यापारी भाई बाजार की स्थिति पर नजर बनाए रखें। व्यापार अपने विवेक और संयम से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।

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