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प्याज के बाजार की आज क्या है दिशा दशा | जाने मंडियों से क्या मिल रही है रिपोर्ट

प्याज के बाजार की आज क्या है दिशा दशा | जाने मंडियों से क्या मिल रही है रिपोर्ट
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नमस्कार दोस्तों, किसान भाइयों, और प्यारे साथी! आज की मंडी भाव टुडे रिपोर्ट में आप सभी का स्वागत है। आज तारीख 24 अक्टूबर 2024 है और दिन है बृहस्पतिवार। आइए जानते हैं आज प्याज के बाजार की ताजा स्थिति, आवक, कीमतें और बाजार में होने वाले संभावित बदलावों के बारे में।

आज की प्याज की आवक और मंडी स्थिति

आज अलवर मंडी में कुल 122 कट्टे प्याज की आवक रही है। इसके साथ ही नासिक से 6 गाड़ियां और कर्नाटक से नई प्याज की गाड़ियां भी पहुंची हैं। नेफेड की 20 गाड़ियां जो कल खड़ी थीं, अभी भी बाजार में हैं। एनसीसीएफ की 6 नई गाड़ियां आई हैं। इसके अलावा, पुणे से 5 गाड़ियां, राजस्थान से 6 गाड़ियां, और मध्य प्रदेश से 7 गाड़ियां पहुंची हैं। कुल मिलाकर 53 गाड़ियां बाजार में मौजूद हैं, जिनमें से 18 गाड़ियां ताजा प्याज की हैं।

वर्तमान में कर्नाटक और नासिक से प्याज की आवक और गुणवत्ता पर काफी ध्यान दिया जा रहा है। कर्नाटक का प्याज अच्छा बिक रहा है, जिसमें हल्की और बेहतर क्वालिटी के बीच कीमतें 40 से 48 रुपये प्रति किलो चल रही हैं। वहीं, पुणे के प्याज का भाव 1700 से 1800 रुपये प्रति मन 40 किलो है, जो लगभग 45 रुपये प्रति किलो तक है।

नासिक का नया प्याज दिवाली के बाद बाजार में आना शुरू हो जाएगा, और इसे अच्छा रिस्पॉन्स मिल भी सकता है। नासिक का प्याज अपनी क्वालिटी के लिए जाना जाता है, खासकर मोटे प्याज की मांग होटल और कैटरिंग इंडस्ट्री में काफी अधिक रहती है। मोटा प्याज, जैसा कि आपने बताया, घी कम लगता है और ग्रेवी बेहतरीन बनती है,

पुराने प्याज का प्रतिशत बाजार में अब कम हो गया है। लगभग 15% प्याज पुराना बचा है, जो बुढ़ापे में आ चुका है। इसे जितनी जल्दी हो सके बेचना सही रहेगा, क्योंकि नई फसल के आने के बाद पुराना प्याज बाजार में टिक नहीं पाएगा। हालांकि, पुराने प्याज की भी अपनी जगह है और इसे आदर के साथ संभालना चाहिए क्योंकि किसान ने मेहनत से इसका उत्पादन किया है।

एमपी की स्थिति पर बात करें तो वहां भी अब प्याज का स्टॉक कम होता जा रहा है, और अब नवंबर तक पुरानी फसल का ही अधिकतर इस्तेमाल होगा। अलवर से प्याज की आवक भी बढ़ रही है, जो मीडियम साइज का प्याज होगा, जबकि महाराष्ट्र और कर्नाटक से मोटा प्याज आता है, जो होटल और रेस्टोरेंट्स के लिए आदर्श होता है।

रैक की स्थिति और व्यापारियों की प्रतिक्रिया

कुछ दिनों पहले जो रैक आया था, जो बहुत तेजी से 200 से 300 रुपये अधिक भाव में बिक गया। यह रैक एक ही दिन में साफ हो गया, जिससे व्यापारियों और किसानों को उम्मीद से ज्यादा मुनाफा हुआ। हालांकि, पहले इस रैक को लेकर घबराहट थी कि कहीं इसका भाव गिर न जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

दोस्तों दिल्ली के बाहर की मंडियों जैसे जम्मू, पंजाब, हरियाणा, और यूपी में भी प्याज का अच्छा उठाव देखने को मिला है। दिल्ली में बिकने वाले प्याज का बड़ा हिस्सा बाहर की मंडियों में चला गया, जहां मांग ज्यादा थी और कीमतें भी बेहतर मिल रही थीं। अब जम्मू-कश्मीर की मंडियों में भी प्याज की गाड़ियां लोड हो रही हैं।

प्याज की डिमांड और सप्लाई

प्याज की मांग पूरे साल बनी रहती है। चाहे वह सब्जी बनाने के लिए हो या सलाद में इस्तेमाल करने के लिए, प्याज हर जगह जरूरी है। हलवाई से लेकर कैटरिंग तक, हर जगह प्याज का उपयोग होता है, इसलिए प्याज की सप्लाई में कोई कमी नहीं होती। अक्टूबर से जनवरी तक, प्याज की मांग स्थिर रहेगी और बाजार में उठाव भी अच्छा बना रहेगा।

सर्दियों का मौसम आते ही लोग फास्ट फूड, चाइनीज और इटालियन फूड्स की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं। इन सभी में प्याज का प्रमुख स्थान है, और इस समय प्याज की मांग और भी बढ़ जाती है। प्याज की कीमत सर्दियों में अधिक हो जाती है, क्योंकि पुराने स्टॉक खत्म होने लगते हैं, और नई फसल तैयार नहीं होती।

दिवाली के बाद, खासकर 5 नवंबर के बाद, अलवर मंडी में पूरे भारत से व्यापारी आने लगते हैं। बिहार, बंगाल, हरियाणा, और पंजाब जैसे राज्यों के व्यापारी यहां से प्याज खरीदते हैं। इस समय अलवर का प्याज पूरे देश में प्रमुखता से बिकने लगता है, क्योंकि दक्षिण भारत के कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, और तेलंगाना जैसे क्षेत्रों से प्याज की सप्लाई कम हो जाती है

कर्नाटक की प्याज की स्थिति और बारिश का प्रभाव
आज मंडी में कर्नाटक से प्याज की कुल 5-6 गाड़ियां पहुंची हैं। कर्नाटक का प्याज बेहतर क्वालिटी का होता है, जो 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है, जबकि हल्की क्वालिटी 40 रुपये प्रति किलो में बिक रही है। हालांकि, कर्नाटक से प्याज की गाड़ियां अब लगभग आधी रह गई हैं। क्योकि कर्नाटक से प्याज मंडी तक पहुंचने में 4-5 दिन लगते हैं। लेकिन, भारी बारिश के कारण गाड़ियां देर से पहुंच रही हैं, और प्याज खराब हो रही है। बारिश की वजह से प्याज गीली हो जाती है, जिससे उसकी गुणवत्ता पर असर पड़ता है। महाराष्ट्र, तेलंगाना, और आंध्र प्रदेश से भी प्याज की आवक में बाधाएं आ रही हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों में भी भारी बारिश हो रही है।

इस साल कर्नाटक के किसानों को बारिश ने बहुत परेशान किया है। फसल के उत्पादन और कटाई दोनों के समय भारी बारिश हुई, जिससे किसानों को बड़ा नुकसान हुआ। किसानों को इस बार अच्छी कीमतें तो मिल रही हैं, लेकिन बारिश के कारण उनका प्याज खराब हो गया है। पिछले कुछ सालों में कर्नाटक के किसानों को प्याज से अच्छा मुनाफा हुआ था, लेकिन इस साल बारिश की वजह से उनका नुकसान हो गया। कर्नाटक का मौसम उत्तर भारत से काफी अलग है, और जब उत्तर भारत में बारिश होती है, तो कर्नाटक में गर्मी होती है। इस कारण वहां के किसानों को मौसम की अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है, जो उनकी फसल पर सीधा प्रभाव डालती है।

सर्दियों में प्याज की मांग और आपूर्ति दोनों ही चुनौतीपूर्ण रहते हैं। कर्नाटक और दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में हो रही भारी बारिश के कारण प्याज की गुणवत्ता और आपूर्ति पर असर पड़ रहा है। इसके चलते अलवर और अन्य प्रमुख मंडियों में प्याज की कीमतें बढ़ सकती हैं।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।