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खल के बाजार में हो सकता है बड़ा फेरबदल | जाने क्या खल की मांग में आएगा सुधार

खल के बाजार में हो सकता है बड़ा फेरबदल | जाने क्या खल की मांग में आएगा सुधार
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किसान साथियो और व्यापारी भाइयो चीन दुनिया का सबसे बड़ा तिलहन आयातक देश है। सोयाबीन, सोयामील और साथ ही रैपसीड मील यानी कि सरसों खल के मामले में उसकी मांग लगातार बनी रहती है। चीन-यूएस टैरिफ टकराव और कनाडा पर टैक्स के चलते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सरसों खली और सोया मील की मांग बढ़ने लगी है। इसका असर भारत में भी दिखने लगा है और जो रेट लगातार पिट रहे थे अब सम्भलने लगे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में संभावित मांग को देखते हुए कीर्ति प्लांट पर सोयाबीन के भाव ₹4200 से बढ़कर ₹4900 प्रति क्विंटल तक चढ़ गए हैं। सोया मील की कीमतों में भी मजबूती देखी जा रही है क्योंकि ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित हो रही है।  अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आपको रोजाना भाव और आगे का अनुमान साथ में आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें।

चीन और अमेरिका के बीच चल रही टैरिफ वॉर और चीन द्वारा कनाडा की कृषि वस्तुओं पर 100% टैक्स लगाए जाने के कारण चीन का फोकस अब अन्य देशों से खली खरीदने की तरफ हो सकता है। और इसके लिए भारत प्रमुख उम्मीदवार बनकर उभर सकता है। भारत के पास उच्च गुणवत्ता वाली सरसों खली और रैपसीड मील की प्रचुरता है, जिसे निर्यात किया जा सकता है। वाणिज्यिक दृष्टिकोण से देखें तो यदि भारत चीन को सरसों खल और सोया मील का निर्यात फिर से शुरू करता है, तो यह व्यापार ₹4,000 से ₹6,000 करोड़ तक का हो सकता है। यह आंकड़ा चीन की कुल मांग और भारत की उत्पादन क्षमता पर आधारित संभावित गणना है। भारत का सोया और सरसों उत्पादन इतना है कि वह घरेलू जरूरतों को पूरा करने के बाद भी बड़ी मात्रा में निर्यात करने में सक्षम है, बशर्ते क्वालिटी मानक पूरे किए जाएं और फाइटोसेनेटरी शर्तें चीन द्वारा स्वीकार हों। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चीन बड़ी मात्रा में सोया DOC का आयात नहीं करता है वह बड़े पैमाने पर सोयाबीन आयात करता हैहै और उसे घरेलू तौर पर प्रोसेस करता है। लेकिन सरसों खली की आयात डिमांड चीन में काफी रहती है। और इसका सीधा आयात होता है।

MANDI BHAV TODAY

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चीन हर साल लगभग 3 मिलियन टन रेपसीड मील (सरसों खली) आयात करता है, जिसमें से करीब 2 मिलियन टन कनाडा से आता था। लेकिन टैक्स बढ़ने के कारण अब यह सप्लाई बाधित हो चुकी है। दूसरी तरफ, चीन का सरसों खल प्रोडक्शन 11.4 मिलियन टन और खपत 14.7 मिलियन टन के आसपास है, जिससे लगभग 3.3 मिलियन टन की कमी बनती है। यह कमी अब भारत जैसे देशों से आयात करके पूरी की जा सकती है।  भारत ने हाल ही में तीन हफ्तों में ही 52,000 टन सरसों खली चीन को भेज दी है, जबकि पिछले पूरे साल यह आंकड़ा सिर्फ 13,000 टन था। यह बताता है कि चीन से भारत में मांग बढ़ रही है, और यही वजह है कि सरसों खली के भाव ₹2050 से बढ़कर ₹2300 प्रति क्विंटल तक पहुंच चुके हैं।

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साथियो चीजें जितनी आसान दिख रही हैं उतनी आसान हैं नहीं। अगर चीन को निर्यात करना है तो भारत को तत्काल स्तर पर तीन कदम उठाने की आवश्यकता है। पहला, 'क्लब रूट फ्री' प्रमाणन की प्रक्रिया को पारदर्शी और वैज्ञानिक बनाना होगा। दूसरा, चीन के कृषि एवं व्यापार मंत्रालयों से उच्चस्तरीय संवाद शुरू करना होगा ताकि पुराने प्रतिबंध हटाए जा सकें। और तीसरा, निर्यात के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं से गुणवत्तायुक्त उत्पादों की सर्टिफिकेशन प्रक्रिया तेज करनी होगी। इस समय खली व्यापारियों के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे वैश्विक बाजार की हलचलों, खासकर चीन की आयात नीति और टैरिफ बदलावों पर कड़ी नजर रखें। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आपको रोजाना भाव और आगे का अनुमान साथ में आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें। आने वाले समय में अगर चीन और कनाडा का तनाव बढ़ता है या अमेरिका के साथ रिश्ते और बिगड़ते हैं, तो भारत से खली की मांग और तेजी से बढ़ेगी, जिससे घरेलू भाव और ऊपर जा सकते हैं।बाकि व्यापार अपने विवेक से करे

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।