बाजरे के बाजार की बदल सकती है दिशा | खपत में गया 83% तक बाजरा | जाने कैसा रह सकता है आगे बाजार
किसान साथियो और व्यापारी भाइयो सितंबर और अक्टूबर में आई बाजरे की नई फसल का 83 प्रतिशत हिस्सा स्टॉक और खपत करने वाले उद्योगों में पहुंच चुका है। इस समय उत्पादक मंडियों में बाजरे की आवक लगभग खत्म हो चुकी है, क्योंकि व्यापारी पहले ही माल खरीद चुके हैं। अब मंडियों में नाममात्र की आवक रह गई है। बाजरे की खपत के लिए अभी लगभग आठ महीने का समय बाकी है, और इस स्थिति में वर्तमान भाव में किसी बड़े उतार-चढ़ाव की संभावना नहीं दिख रही है। बाजरे का मुख्य उत्पादन राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के सीमावर्ती क्षेत्रों में होता है। इसके अलावा, पश्चिमी बिहार और मध्य प्रदेश में भी बाजरे की फसल ली जाती है। इस साल बाजरे की बुआई ज्यादा हुई थी, लेकिन चूंकि पुराने स्टॉक की उपलब्धता कम थी, इसलिए नई फसल आते ही 15-20 दिनों तक सीधे खलिहानों से ही बिकती रही। डिस्टिलरी प्लांट्स की मजबूत खरीदारी के कारण भी इस बार मंडियों में बाजरे का स्टॉक ज्यादा नहीं बन पाया। लेकिन मकर संक्रांति के बाद सरकार ने इथेनॉल कंपनियों को 2250 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर 24 लाख टन चावल बेचने की घोषणा कर दी। इस फैसले के बाद बाजरे की खपत में गिरावट आई और बाजार में मंदी का माहौल बन गया।
मौजूदा मार्किट अपडेट
हरियाणा और राजस्थान में बाजरा की कीमतों में स्थिरता बनी रही, जहां संगरूर, बरनाला, पटियाला और लुधियाना में बाजरा 2455 से 2475 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बिक रहा है। वहीं, करनाल, कुरुक्षेत्र और पानीपत में इसकी कीमत 2425 से 2455 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज की गई। सिवानी मंडी में बाजरा का नेट भाव 2315 रुपये रहा, जबकि जहांगीराबाद में बाजरा 2350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बना रहा। दूसरी ओर, दाहोद मंडी में बाजरा का भाव 2200 रुपये प्रति क्विंटल तक दर्ज किया गया। कुल मिलाकर, विभिन्न मंडियों में बाजरा की कीमतों में अधिक उतार-चढ़ाव नहीं देखा गया और बाजार की स्थिति सामान्य बनी रही। नोट :- अगर आपको धान, चावल, सरसों, सोयाबीन, और चना के लाइव भाव whatsapp पर चाहिए तो आप 500 रुपए दे कर 6 महीनो तक लाइव भाव की सर्विस ले सकते है | जिन्हे लेनी है वही व्हाट्सअप पर मैसेज करे 9518288171 इस नंबर पर खाली भाव पूछने के लिए काल या मैसेज ना करे |
आगे क्या रह सकता है बाजरे के भाव में
इस बार बाजरे का उत्पादन लगभग 170-175 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है, लेकिन इसकी खपत कुल उत्पादन से 19% अधिक हो चुकी है। दूसरी ओर, डिस्टिलरी प्लांटों के पास बाजरे का स्टॉक लगभग खत्म हो गया है। एथेनॉल कंपनियों पर चावल का असर जितना पड़ना था, वह पड़ चुका है, जिससे अब बाजरे के भाव पर इसका ज्यादा प्रभाव नहीं रहेगा। वर्तमान हालात में, इटावा, औरैया, कासगंज, छर्रा, एटा और मैनपुरी की मंडियों में बाजरे के भाव 2200-2210 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुके हैं। वहीं, राजस्थान के भीलवाड़ा, दुर्ग, शेखावाटी और मरुधर क्षेत्र में यह 2250-2260 रुपये प्रति क्विंटल तक दर्ज किया गया है। दूसरी तरफ, मौली और बरवाला मंडियों में सूखे बाजरे की मांग 2440-2450 रुपये प्रति क्विंटल तक देखी जा रही है, जबकि बेहतर गुणवत्ता वाला सूखा बाजरा 2470 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। हालांकि, इन कीमतों पर बाजरा बाजार में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नहीं हो रहा है। बाजरे की नई फसल को आए हुए छह महीने बीत चुके हैं और सितंबर से पहले नई आवक की कोई संभावना नहीं है। साठी बाजरा जून के महीने में आगरा-मथुरा लाइन में आता है, लेकिन अभी उसमें काफी समय बचा है। इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए किसानों और व्यापारियों को घबराकर बाजरा बेचने की जरूरत नहीं है। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।