ऑर्गेनिक फसलों के लिए जारी हो सकता है नया MSP | जाने संसदीय कमेटी ने क्या कहा
किसान साथियों भारत में कृषि क्षेत्र में एक बड़े बदलाव की संभावना बन रही है। संसद की स्थायी समिति ने सुझाव दिया है कि जैविक फसलों के लिए भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लागू किया जाए। वर्तमान में, सरकार पारंपरिक फसलों के लिए MSP घोषित करती है, लेकिन जैविक खेती को भी इस दायरे में शामिल करना एक नई पहल होगी। समिति ने अपनी रिपोर्ट संसद में पिछले सप्ताह प्रस्तुत की, जिसमें यह तर्क दिया गया कि जैविक खेती को अपनाने वाले किसानों को प्रारंभिक वर्षों में कम उत्पादन का सामना करना पड़ता है। इस कारण उन्हें एक निश्चित वित्तीय समर्थन देने की जरूरत है ताकि वे बिना किसी आर्थिक चिंता के इस बदलाव को अपना सकें। समिति ने यह भी कहा कि MSP की यह नई व्यवस्था किसानों को रासायनिक-आधारित खेती से प्राकृतिक खेती की ओर आकर्षित करने में मदद करेगी।
जैविक खेती की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहन
स्थायी समिति के अनुसार, जैविक खेती का विस्तार तभी संभव होगा जब किसान यह विश्वास कर सकें कि यह आर्थिक रूप से लाभदायक है। इस दिशा में MSP का प्रावधान एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। कांग्रेस के लोकसभा सांसद चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता में गठित 30-सदस्यीय समिति ने अपनी पिछली रिपोर्ट में भी किसानों के लिए MSP की कानूनी गारंटी की सिफारिश की थी। हालांकि, यह भी स्पष्ट किया गया कि यह सुझाव पारंपरिक फसलों के लिए दी जा रही MSP व्यवस्था को कमजोर नहीं करेगा, बल्कि इसे और अधिक व्यापक बनाएगा। समिति ने जोर दिया कि MSP के कानूनी ढांचे को जैविक फसलों तक विस्तारित किया जाना चाहिए ताकि किसानों को जैविक खेती की ओर बढ़ने में कोई संकोच न हो।
MSP निर्धारण की प्रक्रिया
समिति ने जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सत्ताधारी और विपक्षी दलों के सांसद शामिल हैं, का मानना है कि जैविक उत्पादों के लिए MSP को पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक निर्धारित किया जाना चाहिए। इसका कारण यह बताया गया कि जैविक खेती में उत्पादन की लागत अधिक होती है और शुरूआती वर्षों में पैदावार में गिरावट देखने को मिलती है। इसके अलावा, जैविक खेती अपनाने के लिए किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि जैविक खादों की उपलब्धता, जैविक प्रमाणन की जटिल प्रक्रिया और बाजार में उचित मूल्य न मिल पाना। इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, समिति ने सरकार से अनुरोध किया कि एक विस्तृत अध्ययन किया जाए, जिससे जैविक खेती की लागत को समझा जा सके और उसके आधार पर एक उपयुक्त MSP निर्धारित किया जाए।
वर्तमान में, सरकार 23 पारंपरिक फसलों के लिए MSP निर्धारित करती है, लेकिन इसमें केवल उत्पादन लागत को ही ध्यान में रखा जाता है। समिति ने कहा कि जैविक फसलों के लिए MSP तय करते समय केवल उत्पादन लागत पर ध्यान केंद्रित करना पर्याप्त नहीं होगा। इसके बजाय, जैविक खेती को सफलतापूर्वक अपनाने में आने वाली सभी चुनौतियों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। जैविक खेती अपनाने वाले किसानों को अतिरिक्त वित्तीय सहायता की जरूरत होती है, ताकि वे इस परिवर्तन को सुगमता से अपना सकें। सरकार को चाहिए कि MSP निर्धारण के लिए एक वैज्ञानिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाए, जिससे किसानों को वास्तविक लाभ मिल सके।
अलग बजट और अनुदान का सुझाव
जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए समिति ने सरकार को सुझाव दिया कि एक अलग बजट निर्धारित किया जाए, ताकि जैविक खेती अपनाने वाले किसानों को वित्तीय सहायता दी जा सके। जैविक खेती के विस्तार से न केवल किसानों को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि इससे मिट्टी और जल संसाधनों की गुणवत्ता भी सुधरेगी। वर्तमान में, अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी और जल प्रदूषित हो रहे हैं। जैविक खेती को बढ़ावा देने से इन समस्याओं का समाधान हो सकता है। समिति का मानना है कि यदि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाए, तो आने वाले वर्षों में भारत का कृषि क्षेत्र अधिक टिकाऊ और लाभदायक बन सकता है
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।