सोयाबीन का भाव पहुंचा 10 साल के निचले स्तर पर | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
किसान साथियो मध्य प्रदेश में सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन की कीमतें पिछले दस सालों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। किसानों को अपनी फसल 3500 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। सीजन की शुरुआत से पहले ही कीमतों में आई इस भारी गिरावट ने किसानों की आय पर गहरा असर डाला है। चिंता की बात यह है कि मंडियों में सोयाबीन का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे चल रहा है। केंद्र सरकार ने आगामी खरीफ मार्केटिंग सीजन के लिए सोयाबीन का एमएसपी 4850 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, लेकिन किसानों को वास्तविकता में इससे काफी कम दाम मिल रहे हैं। इस प्रकार, किसानों को प्रति क्विंटल पर 1000 से 1300 रुपये तक का नुकसान हो रहा है। यह गिरावट किसानों की आय को प्रभावित करने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। किसानों को हुए इस भारी नुकसान के लिए सरकार को उचित मुआवजा देने और भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
सोयाबीन की उत्पादन लागत और बिक्री मूल्य के बीच अंतर बढ़ा
मध्य प्रदेश में सोयाबीन किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य न मिलने की समस्या गहराती जा रही है। केंद्र सरकार ने खरीफ मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की रिपोर्ट के आधार पर तय किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, सोयाबीन की उत्पादन लागत 3261 रुपये प्रति क्विंटल आंकी गई है। लेकिन वास्तविकता में किसानों को अपनी फसल 3500 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर ही बेचनी पड़ रही है। यह अंतर किसानों के लिए चिंता का विषय है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के आंकड़ों से पता चलता है कि 2013-14 में सोयाबीन का औसत भाव 3823 रुपये प्रति क्विंटल था, जो वर्तमान कीमतों के काफी करीब है। इसका मतलब है कि पिछले दस वर्षों में सोयाबीन की कीमतों में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है, जबकि उत्पादन लागत लगातार बढ़ती जा रही है। इस स्थिति में किसानों को अपनी फसल बेचकर मुनाफा कमाना मुश्किल हो रहा है। यह स्थिति किसानों की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर रही है और कृषि क्षेत्र को भी प्रभावित कर रही है। सरकार को किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
मध्य प्रदेश के किसानों को सोयाबीन की खेती से हो रहा भारी नुकसान
मध्य प्रदेश कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार शंकर सिरोही ने रूरल वॉयस को बताया है कि प्रदेश के किसान सोयाबीन की खेती से भारी नुकसान उठा रहे हैं। मंडियों में सोयाबीन का दाम इतना कम मिल रहा है कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम है। सिरोही के अनुसार, सोयाबीन की कीमतों में पिछले साल की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछले साल इसी समय सोयाबीन का दाम लगभग 5000 रुपये प्रति क्विंटल था, लेकिन अब यह गिरकर 3500 रुपये के आसपास आ गया है। इस भारी गिरावट के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है और उन्हें अपनी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
मध्य प्रदेश कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार सिरोही ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रदेश में सोयाबीन उत्पादक किसानों की स्थिति काफी दयनीय हो गई है। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश देश में सोयाबीन का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, फिर भी यहां एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर सोयाबीन की खरीद नाममात्र की होती है। इस साल भी सोयाबीन की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद थी, लेकिन सीजन शुरू होने से पहले ही कीमतों में भारी गिरावट आ गई है। सिरोही ने कहा कि यदि कीमतें इसी तरह गिरती रहीं तो किसानों को मजबूरन सोयाबीन की खेती छोड़नी पड़ेगी। उन्होंने आगाह किया कि अगर सरकार ने किसानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया और उन्हें उचित समर्थन मूल्य नहीं दिया तो प्रदेश में कृषि संकट गहरा सकता है। यह स्थिति किसानों के लिए बेहद चिंताजनक है। सोयाबीन की खेती कई किसानों की आजीविका का मुख्य साधन है और कीमतों में गिरावट से उनकी आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ रहा है।
आयात शुल्क में कटौती से सोयाबीन किसानों की बढ़ीं मुश्किलें
मध्य प्रदेश कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार सिरोही ने सोयाबीन की कीमतों में भारी गिरावट के लिए आयात शुल्क में की गई कटौती को एक प्रमुख कारण बताया है। उन्होंने कहा कि पहले सोयाबीन रिफाइंड तेल पर 32 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाया जाता था, जिससे आयात पर रोक लगती थी और घरेलू उत्पादों की मांग बढ़ती थी। लेकिन अब इस शुल्क को घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे दूसरे देशों से सस्ते दामों पर तेल का आयात बढ़ गया है। इसके परिणामस्वरूप घरेलू बाजार में सोयाबीन की मांग कम हो गई है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय बाजार में अर्जेंटीना, ब्राजील और अमेरिका जैसे देशों का दबदबा बढ़ने से भी भारतीय सोयाबीन की मांग प्रभावित हुई है। आयात शुल्क में कटौती के इस फैसले से घरेलू सोयाबीन उत्पादकों को भारी नुकसान हो रहा है और उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
वैश्विक सोयाबीन बाजार में अर्जेंटीना, ब्राजील और अमेरिका का दबदबा है। ये तीन देश विश्व के कुल सोयाबीन उत्पादन का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा पैदा करते हैं। भारत की हिस्सेदारी इसमें महज 2.5 से 3 प्रतिशत के बीच ही सिमटी रहती है। भारत मुख्य रूप से यूरोप को सोयाबीन निर्यात करता है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन प्रमुख उत्पादक देशों का बढ़ता प्रभाव भारतीय सोयाबीन की मांग पर नकारात्मक असर डाल रहा है। पिछले साल इन देशों में सोयाबीन का उत्पादन कम होने के कारण कीमतें कुछ हद तक अच्छी रहीं थीं, लेकिन इस साल इन देशों में उत्पादन बढ़ने की संभावना है। इससे वैश्विक बाजार में सोयाबीन की आपूर्ति बढ़ेगी और कीमतों में और गिरावट आने की आशंका है। यह स्थिति भारतीय सोयाबीन किसानों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि उन्हें अपनी फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
सोयाबीन का भाव पहुंचा 10 साल के निचले स्तर पर
किसान सत्याग्रह मंच के संस्थापक सदस्य शिवम बघेल ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सोयाबीन की कीमतें पिछले 10 सालों के निचले स्तर पर आ गई हैं। उन्होंने बताया कि किसानों को आज जो दाम मिल रहा है, वह 2013-14 के बराबर है। पिछले कुछ वर्षों से सोयाबीन की कीमतों में लगातार गिरावट का रुझान देखा गया है, लेकिन इस साल तो यह गिरावट और भी ज्यादा चिंताजनक है। वर्तमान में सोयाबीन का दाम 3500 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गया है, जिससे किसानों के लिए अपनी फसल की उत्पादन लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। शिवम बघेल ने सरकार से अपील की है कि वह किसानों को इस संकट से बचाने के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाए। उन्होंने कहा कि लगातार घटती कीमतों के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है और कई किसान खेती छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। यह स्थिति निश्चित रूप से चिंताजनक है। सोयाबीन मध्य प्रदेश के कई किसानों की आय का मुख्य स्रोत है और कीमतों में इस तरह की गिरावट से पूरे कृषि क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। सरकार को किसानों की इस समस्या पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और उन्हें उचित मुआवजा देने के साथ-साथ भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए ठोस उपाय करने चाहिए।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।