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सरकार की बिक्री नीति के बावजूद भी गेहूं के भाव मे मंदी नहीं

सरकार की बिक्री नीति के बावजूद भी गेहूं के भाव मे मंदी नहीं
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किसान साथियों गत दिवाली से वर्तमान दिवाली के बीच गेहूं का उत्पादन कम होने तथा केंद्रीय पूल में खपत के अनुरूप बफर स्टॉक की कमी होने से महंगाई के दीये जलते चले गए। जो गेहूं वर्ष 2022 की दिवाली पर 2620/2630 रुपए प्रति क्विंटल मिल डिलीवरी में लॉरेंस रोड पर बिका था, वह माल की कमी से इस बार 2750/2760 रुपए प्रति क्विंटल की ऊंचाई पर पहुंच गया यानी गत दिवाली की अपेक्षा 130 रुपए प्रति क्विंटल के करीब ऊंचे भाव रहे। सरकार द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य वर्ष 2023-24 के लिए बढ़ाकर 2275 रुपए प्रति कुंतल कर दिया गया। यानी 150 रुपए की वृद्धि की गई, जिससे किसानों को उनकी लागत का लाभ मिल सके। जानकारों का कहना है कि गेहूं की फसल आने पर उत्पादक मंडियों में गेहूं नीचे में 2200 रुपए तक बिक गया तथा लॉरेंस रोड पर भी 2350/2360 रुपए तक व्यापार हो गया था, लेकिन उसके बाद लगातार स्टॉकिस्टों की लिवाली आने से भाव बढ़ता चला गया। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

हालांकि सरकार द्वार जून-जुलाई से ही लगातार खुले बाजार में टेंडर द्वारा गेहूं की बिक्री की जा रही है तथा टेंडर में बिक्री मूल्य भी काफी न्यूनतम स्तर 2125 / 2150 रुपए प्रति क्विंटल कर दिए गए हैं तथापि रोलर फ्लोर मिलों की क्षमता के अनुरूप गेहूं नहीं मिलने से लगातार तेजी का रुख बना हुआ है, जिससे आम उपभोक्ताओं को आटा, मैदा, सूजी काफी महंगा खरीदना पड़ रहा है। ऐसा आभास हो रहा है कि जितना सरकार के गोदामों स्टॉक रिकॉर्ड में देखा जा रहा है... उतना वास्तविकता में नहीं है। यही कारण है कि रोलर फ्लोर मिलों को क्षमता के अनुरूप गेहूं नहीं मिल पा रहा है तथा गेहूं लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकार ने पहले स्टॉक सीमा 3000 टन से घटकर 2000 टन कर दिया गया। इसके अलावा मिलों को उनकी मीलिंग के लिए क्वांटिटी भी पहले की अपेक्षा बढ़ा दी गई, इन सब के बावजूद भी जितना मीलिंग के लिए गेहूं चाहिए, उतना दिल्ली सहित देश की मिलों को नहीं मिल पा रहा है। यह भी पढ़े :- तो इस तरह से 5000 के पार हो जाएंगे धान के भाव, बासमती तेजी मंदी रिपोर्ट

जिस कारण अक्टूबर महीने के शुरू में जो गेहूं 2610 रुपए प्रति क्विंटल मिल क्वालिटी लॉरेंस रोड पर बिका था, उसके भाव 2910 रुपए प्रति क्विंटल हो गए थे, लेकिन बाद में सरकार द्वारा रोलर फ्लोर मिलों को 100 टन से बढ़ाकर 200 टन गेहूं साप्ताहिक दिया गया, जिससे 150 रुपए की गिरावट आ गई। गत वर्ष इन दिनों गेहूं के भाव 2630 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे थे। अब तो वर्तमान स्थिति को देखकर रूस या अन्य निर्यातक देशों से सरकार को शीघ्र आयात कर देने चाहिए या व्यापारियों को अनुमति दे देनी चाहिए। वर्तमान में वहां से आयात सौदे करने पर संभवत 2275 / 2300 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास भारतीय बंदरगाहों पर आकर पड़ेगा तथा वह आयातित गेहूं दक्षिण भारत की रोलर फ्लोर मिलों की मांग को आसानी से वहां सस्ते भाव में पूर्ति कर देगा। दक्षिण भारत की रोलर फ्लोर मिलों की आपूर्ति पूरी होने के बाद उत्तर भारत के लिए जो गेहूं बफर स्टॉक से दिया जा रहा है, वह पर्याप्त हो जाता, क्योंकि रैक द्वारा उत्तर भारत से गेहूं दक्षिण भारत के लिए जा रहा है। वहां की लगातार मांग बनी हुई है।

जानकारों का कहना है कि सरकार द्वारा समय-समय पर अथक प्रयास किया जा रहा है, इस बार विषम परिस्थिति के बावजूद केंद्रीय पूल में सरकार की अच्छी सूझबूझ से 262 लाख मीट्रिक टन के करीब खरीद हो चुकी है, जबकि गत वर्ष 187 लाख मीट्रिक टन ही रह गई थी। इस तरह सरकार अपने दिशा में उचित प्रयास कर रही है, लेकिन सरकार से यह सुझाव है कि जितना जल्दी हो सके, गेहूं का आयात किया जाए अन्यथा इस बार पिछले वर्ष से भी विकट स्थिति पैदा हो जाएगी, क्योंकि गत वर्ष की अपेक्षा लगभग 130 रुपए प्रति क्विंटल इन दोनों भाव तेज हो गए हैं तथा नई फसल आने में अभी लंबा समय बाकी है। गत वर्ष ज्यादा तेजी जनवरी में आई थी, इस बार सरकार द्वारा आयात संबंधित तत्परता नहीं किया गया, तो यह दिसंबर जनवरी में फिर तेज हो जाएगा।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।