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सोयाबीन के बाजार में क्या है रुझान

mandi
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सोयाबीन बाजार में इस हफ्ते जो हलचल दिखी, उसे देखकर लगता है कि आने वाले समय में सोयाबीन की कीमतों में और भी सुधार हो सकता है। लेकिन सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि देशभर में सोयाबीन की बिजाई पिछले साल के मुकाबले कमजोर चल रही है, यानी खेतों में बोवाई की रफ्तार धीमी है। वहीं मंडियों में पुराने स्टॉक की आवक भी सुस्त हो गई है। इन दोनों वजहों से सप्लाई टाइट है, और यही स्थिति बाजार को धीरे-धीरे गर्म कर रही है।

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क्रशिंग यूनिट्स की मांग इस हफ्ते अचानक तेज हुई, जिससे प्लांट डिलीवरी भाव में 100 से 200 रुपए प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी देखने को मिली। मध्य प्रदेश में सोयाबीन का भाव 4450 से 4600, महाराष्ट्र में 4550 से 4700 और राजस्थान में 4500 से 4800 रुपए प्रति क्विंटल तक जा पहुंचा है। नैफेड भले ही अपने स्टॉक से माल बाजार में उतार रहा हो, लेकिन कीमतों में जो गैप है, वह बना हुआ है। इसका मतलब है कि नैफेड की बिक्री भी फिलहाल बाजार को ठंडा करने में पूरी तरह सफल नहीं हो रही। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सपोर्ट मिला है — अर्जेंटीना और ब्राजील में सोया तेल के भाव मजबूत हैं, जिससे घरेलू बाजार को सहारा मिला है। हालांकि, एक बात गौर करने लायक है कि सोया रिफाइंड तेल की कीमतों में सोयाबीन जितनी तेजी नहीं आई। खंडवा में इसका भाव 1215 रुपए और पीथमपुर में 1220 रुपए प्रति 10 किलो के आसपास रहा।

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महाराष्ट्र के प्लांटों में भी केवल 5 से 10 रुपए प्रति 10 किलो का उतार-चढ़ाव दर्ज हुआ, जबकि मुंबई, कोटा और कांडला जैसे बड़े बाज़ारों में थोड़ी-बहुत बढ़त नजर आई। कुल मिलाकर, तेल के दाम स्थिर हैं, लेकिन कच्चे माल यानी सोयाबीन में हलचल नजर आ रही है। अब बात करें सोया डीओसी (डिओइल्ड केक) की, तो इसमें इस हफ्ते ज़ोरदार तेजी देखी गई। एक रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के एक प्लांट में इसका भाव 4500 रुपए तक बढ़कर 32000 से 35300 रुपए प्रति टन तक पहुंच गया। अन्य प्लांटों में भी 1500 रुपए प्रति टन तक की तेजी देखने को मिली, और महाराष्ट्र में तो 2500 रुपए प्रति टन तक का उछाल दर्ज हुआ। इसकी सबसे बड़ी वजह रही निर्यात मांग का बढ़ना, खासकर जब इंटरनेशनल मार्केट में प्रोटीन बेस्ड फीड की डिमांड बनी हुई है।

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इस सारी तेजी के पीछे जो सबसे अहम फैक्टर है, वो है क्रशिंग इकाइयों की ओर से लगातार खरीदी। प्लांट मालिकों को स्टॉक चाहिए, और किसानों के पास ताजा माल की कमी है। यही बैलेंस कीमतों को ऊपर खींच रहा है। अब बाजार की निगाहें आने वाली बारिश, खेतों की स्थिति और अगस्त-सितंबर में आने वाली नई फसल पर टिकी हैं। अगर यह रुख यूं ही बना रहा, तो किसान फिर से सोयाबीन की ओर आकर्षित होंगे, और खरीफ सीजन में बिजाई का आंकड़ा पिछली भरपाई कर सकता है। अभी बाजार की चाल पूरी तरह से डिमांड-सप्लाई, इंटरनेशनल ट्रेंड और नैफेड की नीति पर निर्भर है। व्यापार अपने विवेक से करें।

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