देशी और काबुली चना के बाजार से आई बड़ी अपडेट | जाने आगे भाव में तेजी आएगी या मंदी
किसान साथियो और व्यापारी भाइयो काबुली चने का उत्पादन इस बार पूर्व के अनुमान से कम रहने की संभावना है, जिसका मुख्य कारण जनवरी और फरवरी के महीनों में सामान्य से अधिक तापमान का दर्ज किया जाना है। विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान भाव में अब और अधिक गिरावट की संभावना नहीं है, बल्कि आगे चलकर यह लाभकारी साबित हो सकता है। पिछले वर्ष का उत्पादन अधिक होने के कारण इस बार काबुली चने का पुराना स्टॉक अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में बचा हुआ है। इस वर्ष जनवरी-फरवरी में तापमान सामान्य से सात-आठ डिग्री सेल्सियस अधिक रहने के कारण कुछ क्षेत्रों में फलियों में दाने छोटे रह गए हैं, जबकि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के लगभग 60 प्रतिशत खेतों में फसल सामान्य रूप से विकसित हुई है। वर्तमान में पुराने माल का स्टॉक अधिक होने के कारण, महाराष्ट्र का काबुली चना जो अगस्त में 114/115 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर बिका था, अब गिरकर 70/72 रुपये प्रति किलोग्राम और गुजरात का माल 67/69 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है। अब कीमतों में और गिरावट की संभावना नहीं है, हालांकि निकट भविष्य में बड़ी तेजी की उम्मीद भी नहीं है। बाजार में तेजी मई-जून के आसपास आने की संभावना है, इसलिए इन भावों पर खुलकर व्यापार करना उचित है। उल्लेखनीय है कि काबुली चने का मुख्य उत्पादन आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में होता है, जबकि कुछ मात्रा में ललितपुर-झांसी क्षेत्र में भी इसका उत्पादन होता है। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आपको रोजाना भाव और आगे का अनुमान साथ में आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें।
काबुली उर्फ डॉलर चना के बाजार की क्या है स्थिति
उत्पादक मंडियों में वर्तमान में 2/3 रुपए बेपड़ते का व्यापार हो रहा है, और अब इन भावों में और गिरावट की संभावना नहीं दिख रही है। यह मंदी मुख्य रूप से मार्च क्लोजिंग के बाद बाजार में रुपए की तरलता में कमी के कारण आई है। महाराष्ट्र का जो माल अभी बिक रहा है, उसके भाव अगस्त की तुलना में लगभग 39/40 रुपए प्रति किलो तक गिर चुके हैं। इसके अतिरिक्त, मेक्सिको से भी नया माल आ रहा है, जो पहले 125/126 रुपए प्रति किलो बिकने के बाद अब 93/96 रुपए पर आ गया है। मंडियों में माल का अधिक दबाव नहीं है। कारोबारी वर्ग यह अनुमान लगा रहा है कि पिछले दो दिनों में आवक में जो कमी आई है, उसे देखते हुए बाजार में तेजी आ सकती है। इसी कारण से ज्यादा बिकवाली का दबाव नहीं है। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आपको रोजाना भाव और आगे का अनुमान साथ में आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें। वर्तमान में अगेती फसल का काबुली चना स्टॉक में जा चुका है और काफी खपत भी हो चुका है, जबकि पिछेती फसल का काबुली चना अभी बाजार में आ रहा है। कारोबारियों का मानना है कि इस बार हल्के और भारी माल के भाव में अधिक अंतर देखने को मिल सकता है, हालांकि कुल उत्पादन में केवल 7 प्रतिशत की कमी का ही अनुमान है।
काबुली उर्फ डॉलर चना में आगे क्या रह सकता है
पिछले दो वर्षों से काबुली चने का उत्पादन लगभग 30-31 लाख मैट्रिक टन रहा था, लेकिन इस बार इसका अनुमान 27-28 लाख मैट्रिक टन तक लगाया जा रहा है। ललितपुर-झांसी लाइन में भी इस बार माल का कोई विशेष दबाव नहीं है और व्यापारियों ने पुराना माल काफी हद तक बेच दिया है। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आपको रोजाना भाव और आगे का अनुमान साथ में आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें। एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि आयात ड्यूटी लगने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में काबुली चने के वर्तमान भाव के अनुसार आयात करना बिल्कुल भी लाभकारी नहीं है, बल्कि वहां ऊंचे भाव होने के कारण निर्यात का समर्थन मिलने की भी संभावना है। इसलिए, काबुली चने में धैर्य रखने के बाद व्यापार लाभदायक साबित हो सकता है। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे
देशी चना में आगे क्या रह सकता है
साथियो कल दिल्ली के बाजार में चने के दाम में 10 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई, जबकि सुबह के सत्र में इसकी शुरुआत कमजोर रही थी आज की बात करे तो 40 रूपये की तेजी के साथ राजस्थान जयपुर लाइन पर 5850 पर खुला है । व्यापारियों का मानना है कि चने के बाजार में स्टॉकिस्टों की सक्रियता बनी हुई है, जिसके कारण इसके भाव में तेजी और मंदी का दौर जारी रहने की संभावना है। उत्पादक राज्यों, कर्नाटक और महाराष्ट्र में चने की आवक पहले की तुलना में कम हो गई है, लेकिन मध्य प्रदेश और राजस्थान में आवक अभी भी बनी रहेगी। खपत का सीजन होने के कारण, दाल मिलों से चने की मांग भी स्थिर रहने की उम्मीद है। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आपको रोजाना भाव और आगे का अनुमान साथ में आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें। चने की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद सीमित मात्रा में ही हो रही है। हालांकि, चालू रबी सीजन में व्यापारी चने के उत्पादन के अनुमान को कम मान रहे हैं। दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया से आयातित चने का स्टॉक बंदरगाहों पर अधिक मात्रा में उपलब्ध है, जिसके कारण इसके भाव में बड़ी तेजी की संभावना अभी कम है। बाकी व्यापार अपने विवेक से करे
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।