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जीरे में मंदी की आहट के बाद आवक में आई कमी | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

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पिछले दिनों जीरे की थोक कीमत में मंदी आनी शुरू होते ही ऊंझा में इस प्रमुख किराना जिंस की आवक भी घट गई। व्यापारिक सूत्रों के अनुसार, इस प्रमुख किराना जिंस में जीरे की आवक में करीब 22-23 हजार बोरियों की कमी आई है। ऊंझा से मंदी के समाचार आने के साथ ही, यहां स्थित स्थानीय थोक किराना बाजार में भी लिवाली कमजोर पड़ने से जीरा सामान्य तथा मशीन क्लीन 300-300 रुपये मंदा हो गया है। अभी हाल ही में इसमें 200 रुपये की मंदी आई थी। व्यापारिक सूत्रों के मुताबिक, भीषण गर्मी के कारण और ऊंझा से आ रही मंदी के समाचारों के कारण बाजार की धारणा प्रभावित हो रही है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करे

ऊंझा मंड़ी स्थित व्यापारी जतिन पटेल ने बताया कि जीरे की थोक कीमत में मंदी आनी शुरू होते ही किसानों ने एक बार फिर अपनी इस प्रमुख किराना जिंस की बिक्री सीमित कर दी है। आज ऊंझा मंड़ी में जीरे की आवक घटकर करीब 22-23 हजार बोरियों की ही हुई। मंडी स्थित एक अन्य व्यापारी दीक्षित पटेल ने बताया कि भीषण गर्मी तथा हाल ही में आई मंदी की वजह से भी किसानों ने अपनी इस फसल की बिक्री सीमित कर दी है। उम्मीद से नीची कीमत पर कोई भी किसान अपनी जीरा फसल बेचना नहीं चाहता है। इसका परिणाम आवक में आई नवीनतम कमी के रूप में दिखाई दे रहा है। बहरहाल, आवक बेशक अपेक्षाकृत रूप से नीची हो रही है लेकिन दिसावरों, स्टॉकिस्टों तथा निर्यातकों की लिवाली भी कमजोर ही बनी होने से ऊंझा मंड़ी में आज और मंदा हुआ। यह 200 रुपए और मंदा होकर फिलहाल क्वालिटीनुसार 5900-6000 रुपए प्रति 20 किलोग्राम रह गया। इससे पूर्व भी इसमें 200-300 रुपए की मंदी आ चुकी है।

व्यापारिक सूत्रों ने बताया कि वैसे तो जीरे की खपत का कोई विशेष सीजन नहीं होता है। इसकी खपत पूरे वर्ष चलती रहती है लेकिन विशेषकर चीन समेत तुर्की और सीरिया आदि जैसे देशों में नई फसल को देखते हुए घरेलू बाजारों में इस प्रमुख किराना जिंस का थोक व्यापार प्रभावित हो रहा है। उन्होंने आगे बताया कि आमतौर पर मानसून सीजन शुरू होने तथा मानसून के चार महीनों की संभावित खपत को पूरा करने के लिए दिसावरों के व्यापारी तथा स्टॉकिस्ट अपनी-अपनी जरूरत के लिए एडवांस में ही खरीद कर लेते हैं। मानसून विभाग द्वारा उपलब्ध कराई जानकारी पर यदि विश्वास करें तो एक जून को मानसून केरल पहुंच जाएगा और दो जुलाई तक यह राजधानी दिल्ली में दस्तक दे देगा। इस आधार पर कह सकते हैं कि 15-20 जून के आसपास गुजरात में भी मानसून की दस्तक होने की संभावना है। 2760 रुपये में अपने गेहूँ को बेचने के लिए लिंक पर क्लिक करे

दूसरे शब्दों में कहें तो दिसावरी व्यापारियों द्वारा ऊंझा से जीरे की अपनी संभावित खपत को पूरा करने के लिए की जाने वाली खरीद के लिए अब एक महीने से भी कम का ही समय शेष रह गया है। बहरहाल, उधर, मसाला बोर्ड के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार हाल ही में समाप्त हुए वित्त वर्ष 2023-24 के आरंभिक 11 महीनों यानी अप्रैल-फरवरी, 2023-24 में जीरे का कुल 1,32,019.06 टन का हुआ। इससे 4885.79 करोड़ रुपए की आय हुई। एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में देश से 3690.93 करोड़ रुपए मूल्य के 1,67,052.75 टन जीरे का निर्यात हुआ था। व्यापारियों को उम्मीद है कि जब तक गर्मी के प्रकोप में कमी नहीं आएगी तथा कीमत सामान्य से ऊंची बनी रहेगी, तब तक जीरे में व्यापारिक गतिविधियां प्रभावित होने के आसार हैं। इसका अर्थ यह है कि इसमें टिकाऊ तेजी आनी अभी मुश्किल लग रही है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।