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अखिर क्यूं नहीं रुक रही है गेहूं के बाजार में तेजी | जानिए सरकार का क्या है रुख

अखिर क्यूं नहीं रुक रही है गेहूं के बाजार में तेजी | जानिए सरकार का क्या है रुख
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किसान भाइयों गेहूं एक महत्वपूर्ण अनाज है जो विश्व भर में खाद्य सुरक्षा की रीड है भारत में गेहूं का उत्पादन एक प्रमुख कृषि गतिविधि है, जो देश की खाद्य सुरक्षा और किसानो की आय में महत्वपूर्ण योगदान करता है। इस रिपोर्ट में हम गेहूं उत्पादन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे, जिनमें इसकी महत्ता ,उत्पादन प्रक्रिया,चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं शामिल है।हाल के दिनों में, गेहूं की कीमतों में तेजी देखी गई है, जिसका मुख्य कारण गेहूं की आपूर्ति में कमी है।इस स्थिति में, सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि वह गेहूं की बिक्री को नियंत्रित करने और कीमतों को स्थिर रखने के लिए कदम उठा सकती है।

आपूर्ति घटने से गेहूं में तेजी
हाल के दिनों में गेहूं की कीमतों में तेजी देखी गई है, जिसका मुख्य कारण गेहूं की आपूर्ति में कमी है। गेहूं का उत्पादन और आयात में कमी के कारण गेहूं की आपूर्ति में कमी आई है गेहूं की आपूर्ति एमपी, हरियाणा पंजाब, राजस्थान एवं यूपी की मंडियों में काफी कम हो गई है जिससे फ्लोर मिलो एवं आटा चक्कियों को प्रोसेसिंग के अनुरूप गेहूं नहीं मिल रहा है। जिसका असर चालू सप्ताह में दिखाई दिया। गेहूं के दामों में 75 से 80 रूपए प्रति क्विंटल की तेजी दर्द की गई है तथा आगे की तेजी-मंदी सरकारी बिक्री नीति पर निर्भर करेगी।

उत्पादन कितना हुआ
किसान साथियों पिछले साल की अपेक्षा इस साल गेहूं का उत्पादन अधिक हुआ है, उत्पादन अधिक होने के बावजूद भी केंद्रीय पूल में वर्ष 2024-2025 विपणन वर्ष के लिए कल गेहूं की खरीद 267 लाख मीट्रिक टन के आसपास ही रह गई, जो गत वर्ष 262 लाख मीट्रिक टन ही हुई थी। गेहूं का उत्पादन सरकारी अनुमान के अनुसार इस साल 1121 लाख मीट्रिक टन हुआ है, जबकि पिछले वर्ष उत्पादन 1090 लाख मीट्रिक टन न ही हुआ था। सोचने वाली बात तो यह है कि उत्पादन अधिक होने के बावजूद भी सरकार को पर्याप्त मात्रा में गेहूं नहीं मिल पाया जिसका सर सीधा-सीधा गेहूं के दामों पर दिखाई दिया।

खुले बाजार में गेहूं की खरीद
शुरुआत में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रूपए प्रति क्विंटल था जबकि अप्रैल से लेकर 15 जून तक खुले बाजार में गेहूं की खरीद व्यापारियों द्वारा मध्य प्रदेश, यूपी और राजस्थान में 2250 से लेकर 2500 तक हर भाव में की गई। बाद में गेहूं नहीं मिलने पर प्राइवेट कंपनियां पीछे हट गई। यही कारण है कि सरकार को टारगेट के हिसाब से गेहूं नहीं मिल पाया। केंद्र सरकार के पास किसानों का वहीं गेहूं पहुंचा जो प्राइवेट सेक्टर में नहीं बिक पाया। सरकार को हरियाणा में 77 लाख मीट्रिक टन और पंजाब से 135 लाख मीट्रिक टन  सबसे ज्यादा गेहूं मिला। अब सरकार द्वारा ओपन मार्केट सेल स्कीम के अंतर्गत गेहूं की बिक्रि 1 अगस्त से की जानी थी लेकिन सरकार इस पर अभी तक आखिरी निर्णय ले नहीं पाई है, जिससे रोलर फ्लोर मिलो, एवं आटा चक्कियों में गेहूं की भारी कमी आ गई है। सरकार द्वारा खुले बाजार में गेहूं की बिक्री 2300 से 2325 रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बेची जानी है यही कारण की गेहूं के भाव 70/80 रूपए प्रति क्विंटल बढ़कर 2725/2730 रूपए प्रति क्विंटल हो गए हैं आने वाले समय में गेहूं में तेजी मंदी का फैसला सरकार के खुले बाजार में बिक्री पर बनाई गई योजना से होगा। अगर बाजार में सरकारी गेहूं लेट पहुंचता है तो गेहूं के दामों में 50/75 रूपए प्रति क्विंटल की तेजी और देखने को मिल सकती है बाजार में सरकारी सप्लाई जितनी जल्दी आएगी उतना ही गेहूं के तेजी पर रोक लगेगी नहीं तो गेहूं के भाव 2800 के आंकड़े को भी छू सकते हैं।

सरकार की निर्भरता
गेहूं की बिक्री पर सरकार की निर्भरता कई कारणों से है:

- बफर स्टॉक: सरकार गेहूं का बफर स्टॉक रखती है, जो कि खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इस स्टॉक का उपयोग कीमतों को नियंत्रित करने और आपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिए किया जा सकता है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य: सरकार गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करती है, जो कि किसानों को उनकी फसल का न्यायोचित मूल्य दिलाने में मदद करता है।
- निर्यात नीति: सरकार गेहूं के निर्यात पर नीतियां बनाती है, जो कि कीमतों को प्रभावित कर सकती हैं।

सरकार के कदम
सरकार गेहूं की बिक्री को नियंत्रित करने और कीमतों को स्थिर रखने के लिए कई कदम उठा सकती है:
- बफर स्टॉक का उपयोग: सरकार अपने बफर स्टॉक का उपयोग करके कीमतों को नियंत्रित कर सकती है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि: सरकार एमएसपी में वृद्धि करके किसानों को उनकी फसल का न्यायोचित मूल्य दिलाने में मदद कर सकती है।
- निर्यात नीति में बदलाव: सरकार निर्यात नीति में बदलाव करके कीमतों को प्रभावित कर सकती है।

गेहूं में आगे क्या है उम्मीद
किसान साथियो विदेशी बाजारों में गेहूं के भाव में हो रही गिरावट के बावजूद भारत में गेहूं के भाव में कोई कमी नहीं आ रही है। बढ़िया उत्पादन होने के बाद भी रबी सीज़न में सरकार को पर्याप्त गेहूं नहीं मिला। इसकी वज़ह गेहूं का भाव MSP से उपर बना रहना थी। पिछले साल भी सरकार को लक्ष्य के हिसाब से गेहूं नहीं मिला था जिसके कारण गेहूं का बफर स्टॉक प्रभावित हुआ है। यही कारण है कि सरकार ने अभी तक OMSS के जरिए गेहूं बेचना शुरू नहीं किया है। हमारा मानना है कि आने वाले समय में सरकार गेहूं की बिक्री शुरू कर देगी और गेहूं के भाव पर लगाम लग जाएगी। इसलिए जिन साथियो के पास माल है वे इसे थोड़ा हल्का कर सकते हैं। व्यापार अपने विवेक से करें

Note: साथियों रिपोर्ट में दी गई जानकारी सार्वजनिक त्थयौ के आधार पर इकट्ठा की गई है किसान भाई व्यापार अपने बुद्धि और विवेक से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।