इन फसलों के बीच पर मिल रही है 80% की सब्सिडी | आवेदन प्रक्रिया है चालू | ऐसे करें अप्लाई
किसान साथियों वैशाली जिले के किसानों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है कि वे कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें। बिहार सरकार के कृषि विभाग ने किसानों को गरमा फसल की खेती को बढ़ावा देने के लिए 80% अनुदान पर बीज वितरण की घोषणा की है। यह योजना उन किसानों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगी, जो रबी और खरीफ की मुख्य फसलों के अलावा अतिरिक्त उत्पादन से अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं। सरकार ने इस योजना के तहत मूंग, मक्का, तिल और सूर्यमुखी की खेती के लिए प्रखंडवार लक्ष्य तय किए हैं। इस वर्ष के लिए कुल 10 हजार हेक्टेयर भूमि पर गरमा फसलें उगाने का लक्ष्य रखा गया है।
रबी फसलों की कटाई के बाद और खरीफ की बुवाई से पहले की अवधि को गरमा फसलों के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। यह समय किसानों के लिए एक अतिरिक्त अवसर प्रदान करता है, जिससे वे अपनी भूमि का अधिकतम उपयोग कर सकते हैं। गरमा फसलें कम समय में तैयार हो जाती हैं और इनसे किसानों को जल्दी लाभ प्राप्त होता है। विशेष रूप से मूंग, मक्का, तिल और सूर्यमुखी की फसलें लगभग तीन महीने में तैयार हो जाती हैं, जिससे किसानों को तेजी से आर्थिक लाभ मिलता है। इस पहल से किसानों की आय में वृद्धि होने के साथ-साथ कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा, जिससे राज्य की खाद्य सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी।
सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य और वितरण प्रक्रिया
बिहार सरकार के कृषि विभाग ने हर प्रखंड के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है ताकि गरमा फसल की खेती का अधिकतम विस्तार किया जा सके। योजना के तहत प्रत्येक किसान को अधिकतम दो हेक्टेयर (पाँच एकड़) तक के बीज अनुदान पर उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि अधिक से अधिक किसान इस योजना का लाभ उठा सकें। बीज वितरण की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रणाली शुरू की गई है। किसानों को राज्य बीज निगम की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होगा, जिसके बाद उन्हें अपने पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी प्राप्त होगा। इस ओटीपी को प्रस्तुत कर वे अपने नजदीकी प्रखंड के चिन्हित बीज विक्रेता से अनुदानित दर पर बीज प्राप्त कर सकते हैं।
कृषि विभाग की तैयारी
कृषि विभाग ने इस योजना को सफल बनाने के लिए पूरी तरह से तैयारियां कर ली हैं। किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें आवश्यक तकनीकी सहायता, मार्गदर्शन और प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है। जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि अप्रैल से जून की अवधि गरमा फसल की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है। इस दौरान खेत खाली रहते हैं और किसान इनका उपयोग कर अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। कृषि वैज्ञानिक भी किसानों को गरमा फसल की उन्नत तकनीकों के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं ताकि वे उच्च गुणवत्ता और अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें।
किसानों के लिए एक स्वर्णिम अवसर
कृषि विभाग की इस पहल से वैशाली जिले के किसानों को एक नया अवसर प्राप्त हुआ है। यह योजना न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाएगी, बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगी। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे जल्द से जल्द ऑनलाइन आवेदन करें और इस योजना का अधिकतम लाभ उठाएं। इससे वे अपनी भूमि का सर्वोत्तम उपयोग कर कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे |