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सरकारी रेट पर धान बेचना चाहते हैं तो ये रिपोर्ट जरूर देख लें

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किसान साथियों , धान की कटाई, मड़ाई और भंडारण का सही प्रबंधन न केवल फसल की गुणवत्ता को सुनिश्चित करता है, बल्कि किसान की आय में भी सीधा असर डालता है। खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान अब हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में पक कर तैयार हो चुकी है। मौसम विभाग के अनुसार, अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक कई राज्यों में बारिश की संभावना है। इस स्थिति में धान की कटाई के दौरान कुछ महत्वपूर्ण सावधानियों का पालन करना आवश्यक है ताकि फसल की उपज की गुणवत्ता बनाए रखी जा सके और सरकारी क्रय केंद्रों पर धान आसानी से बेचा जा सके।

यदि बारिश के कारण खेत में पानी भर गया है, तो कटाई से 7-10 दिन पहले खेत से पानी निकाल देना चाहिए ताकि कटाई मशीन से आसानी से की जा सके। धान की कटाई के समय खेत में अत्यधिक पानी या नमी नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करें कि धान के दानों में नमी का स्तर 20-22 प्रतिशत के बीच हो, क्योंकि यह स्तर कटाई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।

नमी का स्तर धान में मौजूद पानी की मात्रा को इंगित करता है, जिसे प्रतिशत में मापा जाता है। अगर धान में नमी अधिक हो, तो चावल की उपज कम हो जाती है, और अपरिपक्व, टूटे या निम्न गुणवत्ता वाले दानों की संख्या बढ़ जाती है। वहीं, कटाई में देरी से धान की फसल जमीन पर गिर सकती है, जिससे उसकी गुणवत्ता प्रभावित होती है। बारिश के दौरान धान की बालियां खेतों में गिरने से गुणवत्ता खराब हो सकती है। इसलिए सूखे मौसम में ही धान की कटाई करना चाहिए।

कटाई के बाद धान का प्रबंधन

कटाई के बाद अलग-अलग किस्मों के धान को अलग-अलग रखना चाहिए ताकि उनकी शुद्धता बनी रहे और मिश्रण से बचा जा सके। धान के दानों में नमी की उचित जांच के लिए नमी मीटर का उपयोग करना चाहिए, ताकि तुरंत परिणाम मिल सकें। अगर धान को अधिक गीला काटा गया है, अगर धान को अधिक गीला काटा गया है, तो मशीन से कटाई में कठिनाई और नुकसान की संभावना बढ़ जाती है। गीले धान को काटने से मशीन में फंसने और टूटने का खतरा रहता है, जिससे कटाई की प्रक्रिया धीमी और महंगी हो सकती है। इसके अलावा, भंडारण के दौरान अधिक नमी वाला धान खराब हो सकता है, जिससे फफूंद और अन्य संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, कटाई के बाद धान को अच्छी तरह से सुखाना और उचित नमी स्तर पर लाना आवश्यक है ताकि भंडारण के दौरान उसकी गुणवत्ता बनी रहे।

मिलिंग के दौरान गुणवत्ता

मिलिंग के दौरान धान की नमी का गलत स्तर चावल की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। अगर अनाज को जरूरत से अधिक सुखा दिया गया हो, तो उसका वजन घट सकता है और अगर नमी बहुत कम हो, तो मिलिंग के दौरान धान टूट सकता है, जिससे किसान को आर्थिक नुकसान हो सकता है।

मड़ाई और भंडारण

अगर कटाई के बाद खेत की मड़ाई मजदूरों द्वारा की जा रही है, तो इसे जल्द से जल्द मड़ाई कर औसाई करना चाहिए। इसके बाद धान को किसी सुरक्षित स्थान पर रख दें ताकि बारिश या नमी से बचाया जा सके।

कटाई-सुखाई में कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखे

धान की कटाई और सुखाई का सही प्रबंधन फसल की गुणवत्ता और उत्पादन की सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक है। मशीन से धान की कटाई तब की जाती है जब उसमें 20-22 प्रतिशत नमी होती है, लेकिन इस नमी स्तर पर धान को न तो भंडारण किया जा सकता है और न ही मिलिंग के लिए भेजा जा सकता है। इसलिए धान की नमी को उपयुक्त स्तर तक कम करना आवश्यक है।

लंबी अवधि के लिए धान को भंडारित करने के लिए उसमें 12 प्रतिशत नमी होनी चाहिए, जबकि अल्पावधि भंडारण के लिए यह 14 प्रतिशत तक हो सकती है। अगर धान का उपयोग बीज के रूप में करना है, तो नमी का स्तर 12 प्रतिशत से कम होना चाहिए। वहीं, अगर इसे मिलिंग के लिए भेजा जा रहा है, तो नमी का स्तर 13-14 प्रतिशत होना चाहिए, ताकि चावल टूटने से बचा रहे।

पारंपरिक रूप से धान को सौर ऊर्जा से सुखाया जाता रहा है, लेकिन अब बिजली चालित शुष्कीकरण यंत्र भी उपलब्ध हैं। धान की कटाई के बाद 24 घंटों के भीतर इसे सुरक्षित नमी स्तर तक सुखाना जरूरी होता है ताकि इसकी गुणवत्ता बनी रहे। धान को अत्यधिक तेज धूप में नहीं सुखाना चाहिए, क्योंकि इससे मिलिंग के दौरान दानों के टूटने की संभावना बढ़ जाती है।

धान को सुखाने के लिए सीमेंट फर्श या तिरपाल का उपयोग करना चाहिए, जिससे सुखाने की प्रक्रिया समान रूप से हो सके। यदि हाथ से धान की थ्रेशिंग की जा रही है, तो धान का नमी स्तर 20 प्रतिशत से कम होना चाहिए ताकि बालियों को आसानी से डंठल से अलग किया जा सके।

धान बेचने से पहले की जरुरी बातों

उत्तर प्रदेश में 1 अक्टूबर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धान की खरीद सरकारी क्रय केंद्रों पर शुरू होगी। सरकारी क्रय केंद्रों पर धान बेचने के लिए किसानों को कुछ आवश्यक दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, जैसे कि बैंक पासबुक, खतौनी, आधार कार्ड और मोबाइल नंबर। इन्हें किसी ऑनलाइन सेंटर पर पंजीकरण कराकर ही किसान धान बेचने के पात्र होते हैं।

धान बेचने से पहले यह सुनिश्चित करें कि उसमें नमी का स्तर 17 प्रतिशत से अधिक न हो। इसके अलावा, धान के दाने साफ-सुथरे होने चाहिए और वे टूटे, बदरंग या अंकुरित नहीं होने चाहिए। इन दानों की मात्रा 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि ऐसा होने पर धान की गुणवत्ता कम हो जाती है।

धान के दानों में 3 प्रतिशत से अधिक सिकुड़े या अपरिपक्व दाने नहीं होने चाहिए। अगर धान की दूसरी प्रजाति का मिश्रण 10 प्रतिशत से अधिक हो जाता है, तो क्रय केंद्र धान को खरीदने से इनकार कर सकते हैं। सरकार ने इस वर्ष धान की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित किया है। ग्रेड 'ए' धान के लिए 2320 रुपये प्रति क्विंटल का रेट और सामान्य धान के लिए 2300 रुपये प्रति क्विंटल का मूल्य तय हुआ है

पंजीकरण करने और बिक्री प्रक्रिया

धान बेचने के लिए किसान को जिले में खोले गए सरकारी क्रय केंद्रों पर जाकर धान बेचने की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसके लिए उन्हें बैंक पासबुक, खतौनी, आधार कार्ड और मोबाइल नंबर चाहिए | इसके साथ  किसान भाइयो को साइबर कैफे में जाकर पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण के बाद ही किसान धान बेचने के लिए पात्र होंगे।

समापन में, धान की कटाई के दौरान नमी और गुणवत्ता का ध्यान रखना जरूरी है ताकि उपज की गुणवत्ता बनी रहे | इन सभी बातों का ध्यान रखकर किसान अपनी उपज का सही मूल्य प्राप्त कर सकते हैं और अपनी फसल की गुणवत्ता को बनाए रख सकते हैं।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।