मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट | जानिए 15 जनवरी तक कहां कहां होगी बारिश
दोस्तों आने वाले दिनों में बंगाल की खाड़ी में बन रहे हैं दो सिस्टम। इनकी वजह से देश के कई क्षेत्रों में होने वाली है भारी बारिश। जैसा कि पहले अनुमान लगाया गया था कि लानी प्रभाव के कारण भारत में कड़ी ठंड, भारी बारिश, और हिमपात देखने को मिलेगा, वह दिसंबर के पहले पखवाड़े तक दिखाई नहीं दिया। लेकिन इसके बाद परिस्थितियां बदलने लगीं। उत्तर की ठंडी हवाएँ, जो मध्य और मध्य एशिया के क्षेत्रों से लेकर यूरोप तक सक्रिय थीं, भारत के मैदानी और पहाड़ी इलाकों तक पहुँचीं। इन हवाओं के चलते तापमान में गिरावट शुरू हुई। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, और मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में पारा लुढ़का। इसके साथ ही पहाड़ों पर बर्फबारी हुई, जिससे उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, और ओडिशा तक ठंड का प्रभाव देखा गया। महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में भी तापमान सामान्य से नीचे दर्ज किया गया। हालांकि, यह कहना उचित होगा कि लानी के प्रभाव से ठंड की जो तीव्रता अपेक्षित थी, वह नजर नहीं आई। अब भी कई क्षेत्रों में तापमान सामान्य या उससे थोड़ा ऊपर बना हुआ है। इसी वजह से ठंड के उस प्रभाव, जैसे लगातार कोहरा, गलन भरी हवाएँ, और अत्यधिक ठंडक का अनुभव कम हुआ है।
पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय
इस बीच, एक नया पश्चिमी विक्षोभ (WD) सक्रिय हो रहा है। इस वीडियो को तैयार करते समय, 10 से 20 जनवरी तक के मौसम का पूर्वानुमान यह संकेत देता है कि देश के कई हिस्सों में दो ठंडी लहरें आएंगी। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से उत्पन्न हो रहे दो निम्न दबाव प्रणाली (लो-प्रेशर सिस्टम) उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ते हुए मौसम में बदलाव लाएँगे।
पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश या ओलावृष्टि की संभावना बनी हुई है। यह प्रणाली राजस्थान, पंजाब, और पाकिस्तान से सटे इलाकों में हवा के प्रवाह को बाधित करके बादलों के निर्माण को बढ़ावा देगी। इससे मैदानी क्षेत्रों में बारिश की गतिविधियाँ शुरू होंगी। इसके आलवा दक्षिण भारत में, यह प्रणाली तमिलनाडु के तटीय इलाकों से होते हुए केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र, और तेलंगाना तक बारिश आ सकती है।
राजस्थान और अन्य राज्यों का मौसम का हाल
आगामी दिनों में, विशेष रूप से राजस्थान के पूर्वी और पश्चिमी भागों में बारिश की संभावना है। राजस्थान से इस मौसम प्रणाली का प्रभाव 11 जनवरी को शुरू होगा। इसके बाद यह प्रणाली पंजाब से होते हुए हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश को प्रभावित करेगी। 13 जनवरी तक इसका असर रहेगा, और फिर यह प्रणाली आगे बढ़ जाएगी।
12 जनवरी से हवाओं का रुख बदलना शुरू होगा, जिसके परिणामस्वरूप पंजाब और राजस्थान में न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी। 13 और 14 जनवरी को ठंडी हवाओं का प्रवाह आगे बढ़ेगा, जिससे मौसम में परिवर्तन आएगा। मकर संक्रांति और लोहड़ी के अवसर पर, पंजाब से लेकर बिहार और उत्तर प्रदेश तक अधिकांश क्षेत्रों में ठंड का असर थोड़ा कम हो सकता है। इस बार प्रयागराज में महाकुंभ के पहले स्नान के दौरान अत्यधिक ठंड नहीं रहने की संभावना है क्योंकि पश्चिमी दिशा की ठंडी हवाओं का प्रवाह निरंतर नहीं रहेगा, जिससे कुछ राहत महसूस की जा सकती है।
15 जनवरी के आसपास एक नई स्थिति बनेगी
इसके बाद 15 जनवरी के आसपास एक नई स्थिति बनने की संभावना है। यह प्रणाली महाराष्ट्र से शुरू होकर मध्य प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, उत्तर प्रदेश और संभवतः हरियाणा को प्रभावित करेगी। इसके बाद, 15 जनवरी के बाद उत्तर-पश्चिमी दिशा से ठंडी हवाएँ चलनी शुरू होंगी, जिससे तापमान में पुनः गिरावट आएगी। इन हवाओं में निरंतरता देखने को मिलेगी।
"चिल्लई कलाँ" जम्मू-कश्मीर में उस स्थिति को कहते हैं जब घाटी में तापमान जमाव बिंदु (0° सेल्सियस) से नीचे चला जाता है। इस दौरान, डल झील समेत घाटी के अन्य जलस्रोत जमने लगते हैं। "चिल्लई कलाँ" तब माना जाता है जब न्यूनतम तापमान -8° से -9° सेल्सियस तक गिर जाता है।
इस वर्ष, "चिल्लई कलाँ" की शुरुआत 20 जनवरी के आसपास हुई थी, जब रात के समय कई स्थानों पर तापमान -10° सेल्सियस तक दर्ज किया गया। जब रात का तापमान -10° सेल्सियस तक गिर जाता है, तब "चिल्लई कलाँ" की घोषणा होती है। दिन में इस दौरान अधिकतम तापमान भी सामान्य से काफी कम रहता है।
दिल्ली के मौसम का मिजाज
यदि हम दिल्ली की बात करें, तो यहां का तापमान जब 16-15 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है, तो लोग इसे बहुत सर्द महसूस करते हैं। आमतौर पर सर्दियों में दिन का तापमान 9 डिग्री सेल्सियस से नीचे ही रहता है। यहां तक कि यदि आसमान बिल्कुल साफ हो और तेज धूप हो, तब भी दिन का तापमान 9 डिग्री से अधिक नहीं जा पाता। इस प्रकार की स्थिति विशेष रूप से 20 दिसंबर के आसपास शुरू होती है, जिसे "चिल्ले कलां" कहा जाता है। यह अवधि लगभग 40 दिनों तक चलती है, जो 29 जनवरी को समाप्त होती है।
चिल्ले कलां के दौरान, जम्मू-कश्मीर के अधिकांश क्षेत्रों में तापमान शून्य से 7-8 डिग्री सेल्सियस नीचे रहता है। डल झील और अन्य जल स्रोत इस समय पूरी तरह जम चुके होते हैं। इन क्षेत्रों से आने वाली ठंडी हवाएं मैदानी इलाकों जैसे मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड, और उत्तर प्रदेश के तापमान को भी प्रभावित करती हैं। जैसे-जैसे हवाओं का रुख बदलता है, ठंड बढ़ती और घटती रहती है।
आगामी मौसम की संभावनाएं
आने वाले 10 दिनों के दौरान, भारत के विभिन्न हिस्सों में व्यापक बारिश होने की संभावना है। दक्षिणी हवाओं के प्रभाव से तमिलनाडु, केरल, लक्षद्वीप, और कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों में बारिश की गतिविधियां तेज हो सकती हैं। 11 से 13 जनवरी के बीच उत्तर भारत के हिस्सों में भी हल्की बारिश और ओलावृष्टि की संभावना है।
15 से 16 जनवरी के बीच मध्य महाराष्ट्र, कोकण, मराठवाड़ा, और गुजरात के तटीय क्षेत्रों में बारिश शुरू हो सकती है। यह धीरे-धीरे मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, और उत्तर प्रदेश के इलाकों तक पहुंचेगी। इस दौरान, दिन का तापमान कम रहेगा और बारिश के बाद रात का तापमान और भी गिर सकता है।
राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, और हरियाणा में 11 जनवरी को हल्की वर्षा और ओलावृष्टि हो सकती है।
इस दौरान, ठंडी हवाएं और कम तापमान की स्थिति बनी रहेगी। ओलावृष्टि फसलों और मवेशियों को नुकसान पहुंचा सकती है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर रखें और स्वयं भी खुले में काम करने से बचें।
बारिश के बाद घना कोहरा छाने की संभावना है, जो रेल, सड़क, और हवाई यातायात को प्रभावित कर सकता है। शीतलहर के कारण मवेशियों, फसलों, और आम जनजीवन पर प्रभाव पड़ सकता है। पाला पड़ने की संभावना कम है, लेकिन यदि यह स्थिति बनती है, तो फसलों की सुरक्षा के लिए रात में सिंचाई करना लाभदायक होगा।
सौजन्य : मौसम विभाग
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।