मध्यप्रदेश से गेहूं की सरकारी खरीद को लेकर आई नई अपडेट | जाने क्या मिल रहे हैं खरीद के रुझान
किसान साथियों मध्य प्रदेश सरकार ने गेहूं उत्पादकों को बड़ी राहत प्रदान करते हुए रबी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अनाज बेचने हेतु पंजीकरण की समयसीमा को 31 मार्च से बढ़ाकर 9 अप्रैल कर दिया है। राज्य के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने इस निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार किसानों की सुविधा और व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु यह कदम उठा रही है। पहले पंजीकरण की अंतिम तिथि 31 मार्च तय की गई थी, परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और दस्तावेजी प्रक्रियाओं में आने वाली बाधाओं को देखते हुए किसानों की ओर से बार-बार समय सीमा बढ़ाने की मांग की जा रही थी। सरकार की ओर से इस मांग को सकारात्मक रूप से स्वीकार करते हुए यह निर्णय लिया गया है ताकि कोई भी किसान सरकारी खरीद प्रक्रिया से वंचित न रह जाए। यह समयवृद्धि किसानों को सरकारी दर पर गेहूं विक्रय का अवसर प्रदान करती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति को स्थायित्व मिल सकेगा और उन्हें मंडियों में दलालों के शोषण से भी राहत मिलेगी।
बोनस समेत समर्थन मूल्य पर आकर्षक दर
मध्य प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद 2,425 रुपये प्रति क्विंटल के निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है, साथ ही प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को अतिरिक्त 175 रुपये प्रति क्विंटल का प्रोत्साहन बोनस भी दिया जा रहा है। इस प्रकार कुल मिलाकर 2,600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से किसानों से गेहूं खरीदा जा रहा है, जो खुले बाजार की कीमतों की तुलना में कहीं अधिक लाभप्रद है। यह बोनस किसानों की मेहनत का सम्मान है और सरकार की तरफ से एक आर्थिक सहयोग भी, जो उत्पाद लागत और लाभ के बीच संतुलन बनाने में सहायक होता है। यह नीति विशेष रूप से उन कृषकों के लिए लाभदायक है जिनकी उपज अधिक होती है लेकिन उन्हें खुले बाजार में वाजिब मूल्य नहीं मिल पाता। सरकार द्वारा दिए जा रहे इस प्रोत्साहन से किसान अपनी फसल को सही समय पर बेच पाने के लिए प्रेरित होंगे और भविष्य में खेती को एक लाभदायक व्यवसाय के रूप में देख पाएंगे।
रिकॉर्ड तोड़ पंजीयन
मध्य प्रदेश सरकार की पहल का सकारात्मक असर स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। 31 मार्च 2025 तक प्रदेशभर में कुल 15,09,324 किसानों ने गेहूं बेचने के लिए ऑनलाइन पोर्टल अथवा नजदीकी किसान सेवा केंद्रों के माध्यम से पंजीयन करा लिया है। यह संख्या दर्शाती है कि किसान अब सरकारी योजनाओं के प्रति अधिक सजग हो चुके हैं और लाभ लेने हेतु तत्पर भी। पंजीयन प्रक्रिया को डिजिटल माध्यम से सुगम बनाकर सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसानों को भी लाभ से जोड़ने की कोशिश की है। पंजीकरण के बाद किसानों को SMS और पोर्टल के माध्यम से सूचना दी जा रही है कि कब और कहां उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए जाना है, जिससे अनावश्यक भीड़ और अव्यवस्था से बचा जा सके। ऐसे कदम प्रशासन की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाते हैं और किसानों को व्यवस्था पर विश्वास करने में मदद करते हैं। जिन किसानों ने अभी तक नामांकन नहीं कराया है, उनके पास 9 अप्रैल तक का समय है—यह अवसर उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
लाखों टन अनाज की सरकारी खरीद पूरी
अब तक राज्य सरकार 1,25,631 किसानों से कुल 10,25,735 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद कर चुकी है, जो कि एक रिकॉर्ड उपलब्धि है। सरकार का दावा है कि गेहूं उपार्जन की प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के सुचारू रूप से चल रही है। किसानों को उपार्जित गेहूं का भुगतान भी समय पर किया जा रहा है। अब तक सरकार द्वारा कुल 1,794 करोड़ 82 लाख रुपये किसानों के खातों में जमा किए जा चुके हैं, जिससे किसानों को आर्थिक राहत मिली है। भुगतान की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के लिए सरकार ने डिजिटल बैंकिंग प्रणाली का सहारा लिया है, जिससे भुगतान सीधे किसानों के खातों में हो रहा है और बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो गई है।
👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट
👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव
👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें
About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।