साल 2025 में बदल जाएगा ठंड का पैटर्न | जाने क्या कहती है WMO की रिपोर्ट
दोस्तों इस समय, पूरे उत्तर भारत में ठंड का कहर देखा जा रहा है। शीतलहर ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को बुरी तरह से जकड़ा हुआ है। लोग इस बर्फीली ठंड से राहत पाने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन इस बीच एक बड़ी चेतावनी भी सामने आई है, जो हमें भविष्य में गर्मी से भी अधिक गंभीर चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार कर रही है।
दुनिया के सबसे प्रमुख मौसम विज्ञान संगठन WMO (विश्व मौसम विज्ञान संगठन) ने 2024 और 2025 के तापमान को लेकर एक गंभीर चेतावनी जारी की है। संगठन के मुताबिक, 2024 में रिकॉर्ड तोड़ने वाला तापमान 2025 में भी जारी रह सकता है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि ग्रीनहाउस गैस (GHG) का स्तर रिकॉर्ड हाई लेवल तक पहुंच चुका है, जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग की प्रक्रिया तेज हो रही है। इस चेतावनी में यह भी कहा गया है कि आने वाले साल में भीषण गर्मी पड़ सकती है
2025 होगा सबसे गर्म साल
WMO का कहना है कि 2025, 2024 और 2023 की तरह तीन सबसे गर्म सालों में से एक हो सकता है। इन वर्षों में तापमान रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकता है और यह ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते स्तर के कारण हो सकता है। यह भविष्यवाणी लोगों के लिए एक बड़ी चिंता का कारण बन सकती है, क्योंकि तापमान का इतना बढ़ना जीवन को कठिन बना सकता है। 2024 को सबसे गर्म साल बनने की संभावना के चलते यह साफ है कि पेरिस समझौते के तहत तय की गई सीमा, यानी औसत वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी, पहली बार पार की जाएगी।
पेरिस समझौते का लक्ष्य
पेरिस समझौते के तहत, वैश्विक औसत तापमान को औद्योगिककरण से पहले के स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने का लक्ष्य था। इसके अलावा, इस समझौते में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान वृद्धि को सीमित रखने की बात भी की गई थी। लेकिन, अब यह उम्मीद बहुत कमजोर होती जा रही है कि हम इस लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे। यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी अपने न्यू ईयर संदेश में कहा कि पृथ्वी पर अब तक के सबसे गर्म दस साल पिछले दस सालों में ही आए हैं, जिसमें 2024 भी शामिल है।
2024 और 2025: एक वैश्विक खतरा
2024 और 2025 का तापमान बढ़ने का कारण ग्रीनहाउस गैसों का अत्यधिक उत्सर्जन है, जिसे बढ़ती मानव गतिविधियों जैसे कार्बन उत्सर्जन, वृक्षों की अंधाधुंध कटाई, और औद्योगिकीकरण से जोड़ा जा सकता है। जैसे-जैसे हम इन गैसों का उत्सर्जन बढ़ाते जा रहे हैं, पृथ्वी का तापमान भी बढ़ता जा रहा है। यह न केवल ग्लोबल वॉर्मिंग के रूप में सामने आ रहा है, बल्कि इससे जलवायु परिवर्तन (climate change) की स्थिति भी पैदा हो रही है, जिसका असर हम देख सकते हैं - जैसे अधिक गर्मी, भारी बर्फबारी, सूखा, बाढ़, और अप्रत्याशित मौसम।
समय की कमी
यह भी स्पष्ट हो रहा है कि पेरिस समझौता के लक्ष्यों को पूरा करना अब मुश्किल होता जा रहा है। इसके बावजूद, यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का मानना है कि हमें इस बर्बादी के रास्ते से बाहर निकलने का एकमात्र उपाय अपनी जीवनशैली को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि हमें ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना होगा, और इसके लिए सरकारों, उद्योगों और आम लोगों को मिलकर काम करना होगा। हमें अपनी ऊर्जा जरूरतों को स्थायी और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से पूरा करने के प्रयासों को तेज करना होगा।
अंत में क्या?
आने वाले सालों में, अगर ग्लोबल वॉर्मिंग की गति यही बनी रही, तो हम एक ऐसी स्थिति में पहुंच सकते हैं, जहां गर्मी का सामना करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। इस गर्मी के थपेड़ों से बचने के लिए हमें तुरंत कदम उठाने होंगे, ताकि हम अपने आने वाले वर्षों को सुरक्षित और स्थिर बना सकें। हमें यह समझना होगा कि यह सिर्फ एक मौसम नहीं है, बल्कि यह हमारे पूरे पर्यावरण और हमारे जीवनशैली पर असर डालने वाला है। अगर हमें इस संकट से बचना है, तो हमें जलवायु परिवर्तन से जूझने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।