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रुपये ने आज डॉलर से किए दो-दो हाथ | जानें कैसे छुड़ाए छक्के

रुपये ने आज डॉलर से किए दो-दो हाथ | जानें कैसे छुड़ाए छक्के
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दोस्तों, भारत में विदेशी मुद्रा बाजार में इस सप्ताह की शुरुआत में कई अहम घटनाएँ घटीं, जो रुपया और डॉलर के बीच के रिश्ते को प्रभावित करने वाली थीं। पिछले कुछ दिनों में रुपया ने डॉलर के मुकाबले थोड़ी मजबूती दिखाई, लेकिन फिर भी वैश्विक परिस्थितियाँ और घरेलू आर्थिक कारक इसमें जटिलताएँ पैदा कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में रुपया डॉलर के मुकाबले मिश्रित रुझान दिखा। मंगलवार, 18 फरवरी को रुपया 86.98 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था, जो कि 10 पैसे की गिरावट को दर्शाता है। इस गिरावट का मुख्य कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में वृद्धि थी। इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से हस्तक्षेप की कमी ने भी रुपया पर दबाव डाला। लेकिन, बुधवार, 19 फरवरी को स्थितियाँ थोड़ी बदल गई। और रुपया में मामूली उछाल देखने को मिला और इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में यह 86.85 तक पहुंच गया था। इस वृद्धि के पीछे मुख्य कारण था अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में गिरावट और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत। इस मजबूती को बरकरार रखते हुए आज यानी 20 फरवरी, 2025 को भी रुपया ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 19 पैसे की बढ़त दर्ज की और दिन की शुरुआत में रुपया 86.79 प्रति डॉलर के स्तर पर कारोबार कर रहा था। अब इस सप्ताह के दौरान डॉलर और रुपए के बीच चल रही उतार-चढ़ाव की लड़ाई में देखने वाली बात यह होगी कि सप्ताह के आखिर में पलड़ा किसका भारी रहता है। इसके अलावा इस रिपोर्ट में हम पिछले कुछ दिनों में हुई प्रमुख घटनाओं का भी विश्लेषण करेंगे, जिसमें रुपया के हालिया उतार-चढ़ाव, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में घटाव शामिल हैं। साथ ही हम यह भी जानेंगे कि इन घटनाओं ने भारतीय मुद्रा को कैसे प्रभावित किया और आने वाले दिनों में इसका क्या असर हो सकता है।

रुपया में उछाल

साथियों, आज यानी 20 फरवरी, 2025 को रुपया ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 19 पैसे की बढ़त दर्ज की और शुरुआत में 86.79 प्रति डॉलर के स्तर पर कारोबार कर रहा था। यह बढ़त मुख्य रूप से कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और अमेरिकी डॉलर की कमजोरी के कारण आई। विदेशी मुद्रा के कारोबारियों ने बताया कि हालाँकि घरेलू बाजारों में सुस्ती बनी हुई थी, फिर भी डॉलर की कमी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने भारतीय मुद्रा को थोड़ा सहारा दिया। इस वृद्धि के बावजूद, यह भी सच है कि घरेलू निवेशकों के बीच एक नकारात्मक रुझान देखा गया है, जो कि विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी के कारण है। इस गिरावट के बावजूद, रुपया का 86.79 पर पहुंचना एक सकारात्मक संकेत था, जो आने वाले दिनों में भारतीय मुद्रा के मजबूत होने की संभावना को व्यक्त करता है।

डॉलर इंडेक्स में गिरावट

साथियों, पिछले कुछ दिनों में डॉलर इंडेक्स में गिरावट ने भी रुपये को समर्थन दिया। डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाता है, 0.16 प्रतिशत की गिरावट के साथ 107 पर बंद हुआ था। यह गिरावट अमेरिकी केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति के कारण हो रही है, जो फिलहाल ब्याज दरों में कटौती के प्रति सतर्क रुख अपनाए हुए है। इसके अलावा, डॉलर इंडेक्स में पिछले एक महीने में लगभग 1.18 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे वैश्विक बाजार में डॉलर की मांग में कमी आई है। और इसका प्रभाव रुपया पर भी दिखा, क्योंकि भारतीय मुद्रा को इस गिरावट से लाभ हुआ और रुपया थोड़ी मजबूती दिखाने में सफल रहा।

कच्चे तेल की कीमतों में कमी

दोस्तों, कच्चे तेल की कीमतें पिछले कुछ दिनों में हल्की गिरावट का रुख दिखा रही हैं, जो रुपया के लिए एक सकारात्मक संकेत है। 20 फरवरी, 2025 को ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.34 प्रतिशत घटकर 75.78 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। कच्चे तेल की कीमतों में यह नरमी भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इससे व्यापार घाटे में कमी आने की संभावना बढ़ जाती है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होता है, और इससे रुपया मजबूत होता है। यदि यह गिरावट जारी रहती है, तो रुपया के लिए और भी बेहतर संकेत मिल सकते हैं, क्योंकि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीदें पैदा होती हैं।

विदेशी पूंजी की निकासी

हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और डॉलर इंडेक्स में गिरावट ने रुपये को मजबूती दी, फिर भी विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निरंतर निकासी ने बाजार को प्रभावित किया है। बुधवार, 19 फरवरी को एफआईआई ने 1,881.30 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जिससे घरेलू बाजार में नकारात्मक असर पड़ा। विदेशी निवेशकों की निकासी और घरेलू बाजारों में सुस्ती ने रुपये की बढ़त को सीमित कर दिया। इस तरह के कारक रुपया को दबाव में डालते हैं, लेकिन दूसरी ओर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और डॉलर इंडेक्स में कमजोरी ने भारतीय मुद्रा को कुछ सहारा दिया है।

भविष्य की संभावनाएँ

दोस्तों, रुपया की हालिया ताकत, विशेष रूप से डॉलर के मुकाबले, एक दिलचस्प संकेत है। पिछले कुछ दिनों में रुपया ने वैश्विक मुद्रा बाजार में अपनी ताकत को साबित किया है। यह एक संकेत है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के मौजूदा रुझान और नीतियों का रुपया पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हालांकि, यह कहना जल्दबाजी होगी कि रुपया पूरी तरह से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत हो चुका है, क्योंकि विदेशी निवेशकों की निरंतर निकासी और घरेलू आर्थिक कारक अभी भी भारतीय मुद्रा के लिए चुनौती बने हुए हैं। फिर भी, यह उम्मीद की जा रही है कि यदि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट आती है, और डॉलर इंडेक्स पर दबाव बना रहता है, तो रुपया को और मजबूती मिल सकती है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।