सर्दियो में भिंडी की खेती से कमा सकते हैं लाखों | जानिए क्या है सबसे जरूरी बात
सर्दियों में भिंडी की खेती करने का सही तरीका क्या है, जानिए इस रिपोर्ट में
किसान भाइयों, नमस्कार। आज हम एक ऐसे विषय पर चर्चा करेंगे, जो ठंड के मौसम में भिंडी की खेती से जुड़ा हुआ है। भिंडी, जिसे हम आमतौर पर लेडी फिंगर के नाम से भी जानते हैं, सब्जी वर्गीय फसलों में भिंडी एक महत्वपूर्ण फसल है। आमतौर पर भिंडी की बिजाई गर्मियों के मौसम में की जाती है लेकिन ठंडे मौसम में इसकी खेती के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है। ठंड के मौसम में भिंडी की खेती करने के कई फायदे हो सकते हैं, लेकिन इसमें कई चुनौतियां भी होती हैं। ठंडी के दिनों में भिंडी की फसल के विकास की गति धीमी हो सकती है, और इससे उत्पादकता में भी गिरावट हो सकती है। इस समय भिंडी की वृद्धि में रुकावट आती है, और इसकी देखभाल में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है। हालांकि, अगर सही तरीके से खेती की जाए तो इस मौसम में भी भिंडी की अच्छी फसल ली जा सकती है। सर्दियों में बाजार में भी भिंडी का अच्छा खासा भाव मिलता है गर्मियों की फसल होने के कारण सर्दियों में भिंडी की बिजाई बहुत कम है किसान करते हैं जिसके कारण सर्दियों में मंदिरों में भिंडी की डिमांड अधिक बढ़ जाती है जो इसके मूल्य वर्दी का कारण होती है। किसान भाई, यह जानना जरूरी है कि ठंड में भिंडी की खेती कैसे की जाए ताकि फसल अच्छी हो सके और बाजार में अच्छी कीमत मिल सके। इसके लिए आपको सही खेती की तकनीकों, फसल के प्रबंधन, और बाजार के रेट्स के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि कैसे ठंड के दिनों में भिंडी की खेती की जा सकती है, क्या समस्याएं आती हैं, और इसे कैसे सफल बनाया जा सकता है। इन सब बातों पर विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त करने के लिए चलिए पढ़ते हैं आज की यह रिपोर्ट।
ठंड में भिंडी की खेती के लिए सही समय
किसान भाइयों ठंड के मौसम में भिंडी की खेती शुरू करने का सही समय आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर का होता है। यह समय सबसे अच्छा होता है जब आप भिंडी की बुवाई कर सकते हैं, ताकि फसल ठंड में भी अच्छे से उग सके। ठंडी के महीनों में पौधों को ठंडी से बचाने के लिए कुछ अतिरिक्त उपायों की आवश्यकता हो सकती है। सही जलवायु, जैसे हल्की ठंडक और ठंडी हवाओं का सामना करने के लिए भिंडी की फसल को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।
भूमि की तैयारी
किसान साथियों ठंड में भिंडी की खेती के लिए मिट्टी का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। ठंडे मौसम में भिंडी को हल्की चिकनी और जल निकासी वाली मिट्टी में सबसे अच्छा बढ़ाव मिलता है। यदि आपकी ज़मीन रेतीली या उपजाऊ है, तो इसमें भिंडी की फसल अच्छी तरह से उग सकती है। इसमें उर्वरक की भी आवश्यकता होती है, ताकि पौधों की वृद्धि में कोई रुकावट न हो।ठंडी के मौसम में भिंडी को अच्छी तरह से बढ़ने के लिए मिट्टी की नमी और सही तापमान की जरूरत होती है। इसके लिए मिट्टी की pH स्तर लगभग 6 से 7 के बीच होनी चाहिए। बेहतर परिणाम के लिए बुवाई से पहले मिट्टी में खाद या कम्पोस्ट का उपयोग करना चाहिए। यदि आपकी भूमि की उर्वरता कम है, तो आपको पहले खाद और पोषक तत्वों की कमी को पूरा करना होगा। इसके लिए डीएपी पोटाश और सल्फर का उपयोग फायदेमंद रहता है। इस समय में, किसान भाई फसल की जड़ प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए उचित सिंचाई की व्यवस्था भी करते हैं। बिना ड्रिप और मल्चिंग के खेती करने से यह ध्यान रखना होता है कि मिट्टी में नमी बनी रहे और पौधों की बढ़ोतरी में कोई रुकावट न आए।
भिंडी की बुवाई
किसान भाइयों भिंडी की बुवाई का तरीका थोड़ा अलग हो सकता है जब आप सर्दियों में इसकी खेती कर रहे हों। सर्दियों में सबसे पहले आपको बीज की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। केवल उच्च गुणवत्ता वाले बीज का ही उपयोग करें, जो ठंड के मौसम में भी उग सकें।बुवाई के समय, बीज को 2 से 3 इंच की गहराई में बोना चाहिए, किसानों को कम समय में तैयार होने वाली किस्म का चयन करना चाहिए। उसके बाद बीजों को बोने से पहले उपचारित करना आवश्यक है। भिंडी की फसल में बिजाई के लिए प्रत्येक कड़े 1.5 से 2 किलोग्राम बीजों की आवश्यकता होती है। भिंडी की बुवाई में पौधों की दूरी और लाइन से लाइन की दूरी का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। आमतौर पर पौधों के बीच 1 से 1.5 फीट की दूरी रखी जाती है, और लाइन से लाइन की दूरी 2 से 3 फीट होती है। यह सुनिश्चित करता है कि पौधों को पर्याप्त जगह मिल सके और वे अच्छे से बढ़ सकें। इसके बाद, फसल की देखभाल के दौरान नमी की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि भिंडी अधिक पानी और नमी की जरूरत नहीं होती है।
खाद की मात्रा
किसान भाइयों भिंडी की फसल में बढ़िया उत्पादन लेने के लिए बिजाई से पहले एक एकड़ ज़मीन में भिंडी की फ़सल के लिए करीब 6-8 टन गोबर की खाद देनी चाहिए। पोषक तत्वों की सही मात्रा में पूर्ति के लिए नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ोरस, और पोटाश की खाद भी देनी चाहिए। भिंडी की फसल में नाइट्रोजन की मात्रा 32 किलोग्राम, फास्फोरस की मात्रा 24 किलोग्राम और पोटाश की मात्रा 24 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से डालनी चाहिए। नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फ़ॉस्फ़ोरस और पोटाश की पूरी मात्रा, बुआई से पहले ज़मीन में देनी चाहिए। नाइट्रोजन की बाकी मात्रा को दो भागों में बांटकर, 30-40 दिनों के अंतराल पर देना चाहिए। फसल में बिजाई से 10-15 दिनों के बाद 19:19:19 की 4-5 ग्राम प्रति लीटर पानी की स्प्रे करनी चाहिए। फूल निकलने से पहले और फिर फल बनने के समय 00:52:34 की 50 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी की स्प्रे करनी चाहिए। फूल बनने के समय 13:00:45 (पोटाश्यिम नाइट्रेट) की 100 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी की स्प्रे करनी चाहिए। इससे आपकी फसल का अच्छी प्रकार से विकास होगा साथ ही रोगों से फसल को बचाने में भी मदद मिलेगी जिससे आपकी फसल के उत्पादन और गुणवत्ता में अत्यधिक वृद्धि होगी।
सिंचाई और जल निकासी की व्यवस्था
किसान साथियों भिंडी की खेती करते समय आपको इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि सिंचाई का सही तरीका और जल निकासी की व्यवस्था ठंड के मौसम में भिंडी की खेती के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है। ठंडे महीनों में पानी की आवश्यकता कम हो जाती है, लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि फसल को पर्याप्त पानी मिले ताकि पौधे सही से विकसित हो सकें। इसके लिए नदी से पानी लाकर ओपन चैनल के जरिए सिंचाई की जाती है। हालांकि, इसमें यह ध्यान रखना होता है कि पानी की अधिकता से पौधों की जड़ों में सड़न न हो। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें। सर्दियों में भिंडी में 20 से 25 दिनों के अंतराल पर हल्की सिंचाई करनी चाहिए। खेत में नमी की मात्रा कम ना हो इसके लिए खरपतवारों को हटाने पर भी पूरा ध्यान होना चाहिए। जब फसल 40 से 50 दिनों की हो जाए तो पहली निराई-गुड़ाई करें। दूसरी निराई-गुड़ाई का काम फसल के 70 से 90 दिनों के हो जाने पर करना चाहिए। एक्सपर्ट बताते हैं कि सर्दियों में भिंडी की फसल में अधिक पानी देने की जरूरत नहीं होती बल्कि अधिक निराई-गुड़ाई करने से पौधों को अच्छी बढ़वार मिलती है।
रोगों और कीटों की समस्या
किसान साथियों ठंड के मौसम में भिंडी में पीत शिरा रोग (येलो वेन मोजैक वायरस) और चूर्णिल आसिता नामक रोग गंभीर होता है। येलो मोजैक वायरस बीमारी में भिंडी की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और फल भी पीले पड़ने लगते हैं। इससे पौधे की बढ़वार रुक जाती है। इसके रोकथाम के लिए किसानों को ऑक्सी मिथाइल डेमेटान 25 प्रतिशत ईसी या डाइमिथोएट 30 प्रतिशत ईसी की 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में या इमिडाइक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल या एसिटामिप्रिड 20 प्रतिशत एसपी की 5 मिली प्रति ग्राम मात्रा 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करना चाहिए। चूर्णिल आसिता रोग में भिंडी की निचली पुरानी पत्तियों पर हल्के सफेद धब्बे बनने लगते हैं या पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं। ये धब्बे बहुत तेजी से फैलते हैं। इस रोग का नियंत्रण न करने पर पैदावार 30 प्रतिशत तक कम हो सकती है। इस रोग के नियंत्रण के लिए घुलनशील गंधक 2.5 ग्राम मात्रा या हेक्साकोनोजोल 5 प्रतिशत ईसी की 1.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर 2 या 3 बार 12-15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए। ठंड के मौसम में भिंडी में पाउडरी मिल्ड्यू और फल के दाग-धब्बों जैसी समस्याएं आ सकती हैं। इन बीमारियों से बचने के लिए नियमित रूप से फंगी साइड का उपयोग करना चाहिए। भिंडी की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू रोग के नियंत्रण के लिए बैसिलस सबटिलिस 2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। फसल को रोग मुक्त करने के लिए समय-समय पर रोगनाशक दवाइयों का छिड़काव करके इन समस्याओं को कंट्रोल किया जा सकता है। इसके साथ ही, यदि पौधों में कोई कीट लगते हैं, तो उनके नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का भी उपयोग किया जाता है।
मार्केट में भिंडी का मूल्य और कीमत: किसान भाइयों, ठंड के महीनों में भिंडी की बिजाई बहुत कम किसान करते हैं, जिसके कारण इन दिनों में मंडियों में भिंडी के मूल्य में काफी उतार-चढ़ाव हो सकता है। आमतौर पर ठंड के मौसम में भिंडी की कीमत थोक भाव 35 से 50 रुपये प्रति किलो तक हो सकती है, जो मुनाफे के लिहाज से किसानों के लिए काफी फायदेमंद है। कई बार तो सर्दियों में भिंडी की कीमत इससे ऊपर भी चली जाती है, जो किसानों की आय को और अधिक बढ़ा सकती है। आमतौर पर भिंडी की फसल 60 से 70 दिन में तोड़ने लायक हो जाती है। अगर उत्पादन औसत की बात करें तो प्रति एकड़ भिंडी की फसल से आप 50 से 55 क्विंटल का उत्पादन ले सकते हैं। अगर आप फसल की सही प्रकार से देखभाल करते हैं और उच्च किस्म के बीजों का उपयोग करते हैं, तो उत्पादन औसत 80 क्विंटल तक भी पहुंच सकता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट
👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव
👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें
About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।