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मात्र 5 दिन में गेहूं से पीलापन होगा गायब | अगर खाद पानी देने के बाद भी आपकी गेहूं पीली पड़ रही है तो यह करें इलाज

मात्र 5 दिन में गेहूं से पीलापन होगा गायब | अगर खाद पानी देने के बाद भी आपकी गेहूं पीली पड़ रही है तो यह करें इलाज 
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मात्र 5 दिन में गेहूं से पीलापन होगा गायब | अगर खाद पानी देने के बाद भी आपकी गेहूं पीली पड़ रही है तो यह करें इलाज 

किसान भाइयों, कृषि क्षेत्र में फसलें उगाने के लिए किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं चुनौतियों में सर्दियों में किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहती है गेहूं की पत्तियों का पीला होना। गेहूं की फसल में पत्तियों का पीला पड़ना एक आम समस्या है, खासकर ठंडे मौसम में। यह समस्या न केवल फसल की उपज को प्रभावित करती है, बल्कि पौधों की समग्र स्वास्थ्य स्थिति पर भी बुरा असर डालती है। गेहूं की फसल में पत्तियों का पीला पड़ना किसानों के लिए एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन समय रहते सही कदम उठाकर इस पर काबू पाया जा सकता है। ठंडे मौसम में पौधों को जरूरी पोषक तत्वों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सही उर्वरकों का उपयोग, जलजमाव से बचाव और जैविक उपायों को अपनाना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, किसानों को बुवाई के समय विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि पौधों में विकास रुकने की समस्या न हो। किसानों को कृषि विशेषज्ञों के सुझावों को अपनाकर अपनी फसल को स्वस्थ रखने की कोशिश करनी चाहिए। जब गेहूं की निचली पत्तियां पीली होने लगती हैं, तो यह संकेत होता है कि पौधों में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो रही है। गेहूं की बुवाई आमतौर पर नवंबर के अंत से लेकर दिसंबर तक की जाती है, लेकिन जैसे-जैसे तापमान गिरता है, यह समस्या और गंभीर हो सकती है। विशेष रूप से वे खेत, जहां पराली जलाने की वजह से मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की कमी हो जाती है, वहां यह समस्या और भी ज्यादा देखी जाती है। इस रिपोर्ट में हम गेहूं की पीली पत्तियों के कारणों और इससे निपटने के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। तो चलिए इस विषय पर विस्तार से जानने के लिए पढ़ते हैं आज की यह रिपोर्ट।

ठंड में पत्तियों का पीला पड़ना

किसान भाइयों, गेहूं में पीलापन देखे जाने का सबसे प्रमुख कारण पहले पानी के बाद आता है, जिसमें ठंड और कोहरे की वजह से पत्ते पीले हो जाते हैं। ज़मीन में लौह तत्व की कमी होने पर भी फ़सल में पीलापन आ जाता है। अक्सर यह देखा गया है कि जब गेहूं को पहला पानी दिया जाता है, तो पौधों में पीलापन दिखाई देने लगता है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि, बीजाई के समय खाद का सही संतुलन नहीं बनाया गया होता। खासकर डीएपी (DAP) का इस्तेमाल तो किया जाता है, लेकिन यूरिया (Nitrogen) और जिंक (Zinc) जैसे अन्य तत्वों की कमी हो जाती है। अगर यूरिया और जिंक का सही मात्रा में इस्तेमाल नहीं किया जाता है, तो पौधों को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते और यही कारण बनता है पीलापन का। जब मौसम ठंडा होता है, तो मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीवों की गतिविधि धीमी हो जाती है। इससे पौधों को जरूरी पोषक तत्व, विशेष रूप से नाइट्रोजन, की कमी हो सकती है। नाइट्रोजन की कमी के कारण पौधे अपनी निचली पत्तियों से नाइट्रोजन को ऊपर की ओर स्थानांतरित कर लेते हैं, जिससे निचली पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं। इस स्थिति में यदि समय रहते उपाय न किए जाएं, तो पौधों का विकास रुक सकता है और फसल का उत्पादन भी घट सकता है। इसके अलावा, ठंड और पाले के प्रभाव से पौधों की कोशिकाओं को भी नुकसान हो सकता है। कोशिकाओं में पानी का जमाव होने से जड़ों का विकास रुकता है, जिससे पौधों को पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। साथ ही, लीफ ब्लाइट (leaf blight) और पीली कुंगी (yellow rust) जैसे रोग भी पत्तियों के पीले पड़ने का कारण बन सकते हैं। किसान साथियों, गेहूं के खेतों में पानी का जमाव होना भी पत्तियों के पीले होने का एक प्रमुख कारण है, जो निचली पत्तियों के पीले होने का कारण बनता है। जब पानी खेत में जमा होता है, तो जड़ें प्रभावित होती हैं और पौधे पर्याप्त पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पाते। इसका नतीजा यह होता है कि पौधों का विकास रुक जाता है, और पत्तियां पीली होने लगती हैं। यह समस्या विशेष रूप से उन क्षेत्रों में अधिक देखने को मिलती है, जहां सिंचाई की सुविधाएं ठीक से नहीं हैं या पानी का सही तरीके से प्रबंधन नहीं किया जाता है।

कृषि विशेषज्ञों के सुझाव

दोस्तों, डॉ. संजय कुमार सिंह, जो कि राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के वैज्ञानिक हैं, उन्होंने किसानों के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। गेहूं में पीलापन रोकने के लिए, सबसे पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि खाद का संतुलन सही हो। बीजाई के समय डीएपी (DAP) के साथ-साथ यूरिया और जिंक सल्फेट का सही मात्रा में प्रयोग करें। यूरिया से पौधों को नाइट्रोजन मिलती है, जो उनकी वृद्धि और हरियाली के लिए आवश्यक है, जबकि जिंक सल्फेट से जिंक की कमी पूरी होती है। इसके लिए बेसल डोज़ में जिलेटेड या ऑक्साइड फ़ॉर्म के जिंक का इस्तेमाल करें। बेसल डोज में खेत में जिंक को 1-2 किलो प्रति एकड़ की दर से इसे डाला जा सकता है। अगर यूरिया की बात करें तो किसान भाई बेसल डोज में डीएपी के साथ 20 से 25 किलो यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, जलजमाव को रोकने के लिए किसानों को खेत की सिंचाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पहली सिंचाई बुवाई के 20 से 25 दिन बाद करें और उसके बाद खेत की स्थिति के अनुसार सिंचाई करें। खेत में जलजमाव न हो, यह सुनिश्चित करना जरूरी है।

बायोलॉजिकल उपायों का उपयोग

खेती में रासायनिक उर्वरकों के साथ-साथ बायोलॉजिकल उपायों का उपयोग भी बहुत फायदेमंद हो सकता है। किसान जैविक खाद जैसे गोबर की खाद, वर्मीकंपोस्ट, और ट्राइकोडर्मा का प्रयोग कर सकते हैं, जो मिट्टी की सेहत को सुधारते हैं और पौधों को आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराते हैं। इसके अलावा, पराली जलाने के बजाय, किसान उसे डीकंपोजर से सड़ाकर मिट्टी में मिला सकते हैं। इससे मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ती है और पौधों को बेहतर पोषण मिलता है।

पत्तियों पर छिड़काव के उपाय

किसानों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे पत्तियों पर उर्वरकों का छिड़काव करें, ताकि पौधों को जल्दी पोषक तत्व मिल सकें। यूरिया और मैग्नीशियम सल्फेट का छिड़काव पत्तियों पर करने से पौधों की वृद्धि में सुधार हो सकता है। कभी-कभी गेहूं की पत्तियां चमकदार तो होती हैं, लेकिन उनका हरा रंग हल्का होने लगता है, जो कि मैंगनीज की कमी का संकेत हो सकता है। अगर मैंगनीज की कमी है, तो इसकी पूर्ति के लिए मैंगनीज सल्फेट का इस्तेमाल करें। इसे 500 ग्राम से 1 किलो तक 100 लीटर पानी में मिलाकर रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें। इससे पत्तियों की हरियाली लौटेगी और गेहूं की फसल में सुधार आएगा।

आयरन की कमी

साथियों, गेहूं की पत्तियों के ऊपर के हिस्से में पीलापन होने के कारण आयरन की कमी हो सकती है। इसका इलाज फेरस सल्फेट (Ferrous sulfate) से किया जा सकता है। इसे 500 ग्राम से 1 किलो तक 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ स्प्रे किया जा सकता है। इसके अलावा एक किलोग्राम फेरस सल्फेट, चार किलो यूरिया को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। इससे पत्तियों का पीलापन कम होता है और पौधे हरे-भरे दिखाई देने लगते हैं।

सिंचाई व्यवस्था

किसान साथियों, सर्दियों में गेहूं की फसल को पहले से बचने के लिए सिंचाई का भी अत्यधिक महत्व होता है। अगर आपकी गेहूं की फसल पाले और ठंड के कारण पीली हो रही है तो आपको सही समय देखकर फसल में सिंचाई की व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि सिंचाई करने से पाले का असर कम हो जाता है, लेकिन आप इस बात का ध्यान रखें कि सिंचाई सीमित मात्रा में ही करें क्योंकि अगर खेत में अधिक जल भराव हो जाता है तो वह भी आपकी फसल के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।