क्या कल के बाद बढ़ जाएंगे DAP के रेट | जाने क्या है सही खबर
किसान साथियो खेती में यूरिया के बाद सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले उर्वरक डीएपी की कीमतों में आने वाले महीने में बढ़ोतरी होने की संभावना है। वर्तमान में, किसानों को 50 किलोग्राम का एक बैग डीएपी 1350 रुपये में मिल रहा है, लेकिन यह कीमत 200 रुपये तक बढ़ सकती है। डीएपी की कीमतों में यह वृद्धि डीएपी के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले फास्फोरिक एसिड और अमोनिया की कीमतों में 70% तक की बढ़ोतरी के कारण है। केंद्र सरकार किसानों को डीएपी सस्ते दाम पर उपलब्ध कराने के लिए 3500 रुपये प्रति टन की सब्सिडी देती है, लेकिन यह सब्सिडी 31 दिसंबर को समाप्त हो रही है। इस सब्सिडी के खत्म होने के बाद डीएपी की कीमतों में और अधिक बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि अभी तक रेट बढ़ाने को लेकर खबर की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिल पायी है
भारत सरकार देती है उर्वरकों पर सब्सिडी
भारत सरकार ने किसानों को उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और उर्वरक उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए अप्रैल 2010 से पोषक-तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना लागू की है। यह योजना मुख्य रूप से फॉस्फेट और पोटाश युक्त उर्वरकों पर केंद्रित है। इस योजना के तहत, सरकार उर्वरक निर्माता कंपनियों को वार्षिक आधार पर सब्सिडी प्रदान करती है। एनबीएस योजना की एक खास बात यह है कि पीएंडके उर्वरकों का क्षेत्र नियंत्रण मुक्त है, जिसका अर्थ है कि उर्वरक निर्माता कंपनियां बाजार की मांग के अनुसार उर्वरकों का उत्पादन और आयात करने के लिए स्वतंत्र हैं। किसानों को सस्ते दामों पर डीएपी उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी (एनबीएस) के अलावा विशेष अनुदान की भी व्यवस्था की है। यह विशेष अनुदान किसानों को डीएपी पर मिलने वाली राहत को और बढ़ाता है। हालांकि, इस विशेष अनुदान की अवधि सीमित है और यदि इसे बढ़ाया नहीं जाता है, तो नए साल से डीएपी की कीमतों में बढ़ोतरी होने की संभावना है। वर्तमान में, खरीफ मौसम में डीएपी पर प्रति टन 21,676 रुपये की सब्सिडी दी जा रही है, जिसे रबी मौसम के लिए बढ़ाकर 21,911 रुपये कर दिया गया है।
सरकार सब्सिडी नहीं देती है तो क्या होगा
यदि सरकार विशेष सब्सिडी को जारी रखने पर विचार नहीं करती है, तो इसका बोझ सीधे तौर पर उद्योग जगत और अंततः उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। हाल के समय में डॉलर के मुकाबले रुपये का लगातार अवमूल्यन हो रहा है। वैश्विक बाजार में डीएपी की कीमत 630 डॉलर प्रति टन है, लेकिन रुपये के कमजोर होने के कारण इसकी आयात लागत में लगभग 1200 रुपये प्रति टन का इजाफा हो गया है। अगर इसी बीच सब्सिडी भी हटा ली जाती है तो प्रति टन लागत में लगभग 4700 रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा। इसका सीधा असर खाद की कीमतों पर पड़ेगा और किसानों को प्रति बैग लगभग 200 रुपये अधिक खर्च करने पड़ सकते हैं।
पिछले दो सालो से डीएपी खाद की कीमतों हो रही है वृद्धि
पिछले दो वर्षों में डीएपी खाद की कीमतों में लगातार वृद्धि देखी गई है। पहले जहां किसानों को डीएपी प्रति बैग 1200 रुपये में मिलता था, वहीं अब इसकी कीमत बढ़कर 1350 रुपये प्रति बैग हो गई है। देश में डीएपी की कुल मांग लगभग 93 लाख टन है, जिसमें से अधिकांश हिस्सा आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। हाल ही में वैश्विक बाजार में डीएपी की कीमतों में उछाल आया, जिससे उद्योगों को भारी नुकसान हुआ और नतीजतन डीएपी का आयात प्रभावित हुआ। इस कारण देश में डीएपी की कमी की स्थिति उत्पन्न हो गई। हालांकि, सरकार के समय पर हस्तक्षेप से आयात में तेजी आई और किसानों को डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित की गई।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।