2025 में आपके ऐरिया में कोन सी गेहूं की किस्म देगी सबसे ज्यादा उत्पादन | इस रिपोर्ट में जाने
किसान साथियो, रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी, शिवशंकर वर्मा ने किसानों को गेहूं की खेती में उन्नत किस्मों का चयन करने का सुझाव दिया है। डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद से बीएससी एजी करने के बाद, वर्मा जी ने कृषि क्षेत्र में दस साल का अनुभव हासिल किया है। उनके अनुसार, उन्नत किस्मों का चयन करने से न केवल फसल उत्पादन में वृद्धि होती है, बल्कि फसल रोगों और कीटों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है, जिससे किसानों को बेहतर उत्पादन और कम नुकसान सुनिश्चित होता है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
गेहूं की नई 8 उन्नत किस्में
कृषि वैज्ञानिक शिवशंकर वर्मा के अनुसार, गेहूं की आठ नई उन्नत किस्में विकसित की गई हैं। ये किस्में न केवल कम समय में अधिक उपज देती हैं बल्कि विभिन्न प्रकार के रोगों के प्रति भी प्रतिरोधी हैं। इनमें से HD 2967 किस्म उत्तरी भारत के लिए बेहद उपयुक्त मानी जाती है। यह पीला रतुआ, भूरा रतुआ और कंडुआ जैसे रोगों के प्रति सहनशील है और किसानों को अच्छी उपज देती है। इसके अलावा, HD 3086 किस्म सूखे की स्थिति और उच्च तापमान को सहन करने की क्षमता रखती है, खासकर उत्तर भारत के लिए यह बेहतर विकल्प है। इन नई किस्मों के आने से किसानों को बेहतर मुनाफा कमाने का अवसर मिलेगा और कृषि क्षेत्र में नई क्रांति आएगी।
हरियाणा और पंजाब में लगाई जाने वाली किस्में
साथियो, WH 1105 और PBW 343 गेहूं की किस्में हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। WH 1105 विभिन्न प्रकार के रोगों के प्रति प्रतिरोधी है और अधिक उपज देने की क्षमता रखती है। वहीं, PBW 343 जल्दी पकने वाली किस्म है और किसानों को अधिक उत्पादन देती है। ये दोनों ही किस्में इन राज्यों के किसानों के लिए बेहतर विकल्प मानी जाती हैं क्योंकि ये न केवल रोगों से फसल को बचाती हैं बल्कि अच्छी उपज भी देती हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
विभिन्न राज्यों के लिए उपयुक्त गेहूं की उन्नत किस्में
गेहूं की खेती के लिए विभिन्न क्षेत्रों की जलवायु और मिट्टी की अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने विभिन्न क्षेत्रों के लिए उपयुक्त गेहूं की किस्में विकसित की हैं। उदाहरण के लिए, DBW 187 (करण वंदना) पूर्वी और मध्य भारत के लिए उपयुक्त है, जिसे उच्च उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जाना जाता है। HDCSW 18 उत्तर-पश्चिमी भारत के लिए उपयुक्त है और इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। राजस्थान और गुजरात के सूखे क्षेत्रों के लिए राज 3765 उपयुक्त है, क्योंकि यह सूखे की स्थिति में भी अच्छी पैदावार देती है और अनाज की गुणवत्ता भी अच्छी होती है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए HI 1544 (पुसा उजाला) उपयुक्त है, जो सूखा सहनशील होने के साथ-साथ अधिक उपज देने वाली भी है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।