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कपास की फसल में गुलाबी सुंडी रोग लगने पर क्या करे | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

कपास की फसल में गुलाबी सुंडी रोग लगने पर क्या करे | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
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किसान साथियो हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में गुलाबी सुंडी का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है, जिससे कपास की फसल को भारी नुकसान हो रहा है। हरियाणा के हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, भिवानी और चरखी दादरी जिलों में गुलाबी सुंडी का प्रकोप सबसे अधिक है। पिछले वर्ष भी गुलाबी सुंडी ने किसानों को काफी नुकसान पहुँचाया था।चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने गुलाबी सुंडी, सफेद मक्खी, उखेड़ा, और जड़ गलन जैसे कीटों और रोगों की समस्याओं के समाधान के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में कृषि विभाग के अधिकारियों और फील्ड स्टाफ को नवीनतम और वैज्ञानिक तरीकों से अवगत करवाया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि रहे।

आने वाले दिनों में करे फसल का बचाव
साथियो प्रो. काम्बोज ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले दो महीने कपास की फसल की सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बताया कि गुलाबी सुंडी के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारी सतर्कता से कार्य कर रहे हैं। इस दिशा में विश्वविद्यालय की टीम ने जिले के 40 से अधिक गांवों में सर्वेक्षण पूरा कर लिया है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा दी गई सिफारिशों के अनुसार अपनी कपास की फसल में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग करें।

प्रो. काम्बोज ने बताया कि कपास की फसल में आने वाली विभिन्न बीमारियों की रोकथाम के लिए पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कृषि विश्वविद्यालय आपसी तालमेल के साथ सतर्कता से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कपास उत्पादन को बढ़ाने और फसल को कीट एवं रोग मुक्त करने के लिए विश्वविद्यालय, प्रदेश का कृषि विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, केंद्रीय कपास शोध संस्थान (सीआईसीआर, सिरसा) और कपास से जुड़ी कंपनियों को मिलकर एकजुटता से काम करना होगा।

फसल को गुलाबी सुंडी से कैसे बचाए
साथियो नरमा की फसल में गुलाबी सुंडी की निगरानी के लिए प्रति एकड़ दो फेरोमॉन ट्रैप लगाएं या साप्ताहिक अंतराल पर कम से कम 150-200 फूलों का निरीक्षण करें। टिण्डे बनने की अवस्था में प्रति एकड़ 20 टिण्डों को तोड़कर और फाड़कर गुलाबी सुंडी की जांच करें। अगर तीन रातों में प्रति ट्रैप 12-15 गुलाबी सुंडी के प्रौढ़ मिलते हैं या पांच से दस प्रतिशत फूल या टिण्डे ग्रसित पाए जाते हैं, तो कीटनाशकों का उपयोग करें।

कीटनाशकों में प्रोफेनोफॉस 50 ईसी की 3 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में या क्यूनालफॉस 25 ईसी की 3-4 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। सफेद मक्खी और हरे तेला का प्रकोप होने पर, फलोनिकामिड 50 डब्ल्यूजी की 60 ग्राम मात्रा या एफिडोपायरोप्रेन 50 जी/एल की 400 मिली मात्रा प्रति एकड़ में मिलाकर छिड़काव करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।