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तुवर खरीद में लक्ष्य से पिछड़ रही है सरका, सुस्त बाजार से दबाव

तुवर खरीद में लक्ष्य से पिछड़ रही है सरका, सुस्त बाजार से दबाव
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किसान साथियो और व्यापारी भाइयो, केंद्र सरकार ने 2024-25 के खरीफ सीजन के अंतर्गत तुवर की सरकारी खरीद के लिए बड़ी योजना को स्वीकृति दी है। आंध्रप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना समेत देश के नौ प्रमुख उत्पादक राज्यों में कुल 13.22 लाख टन तुवर की खरीद को मंजूरी दी गई है। परंतु अब तक की खरीद इस अनुमान से काफी पीछे है। 30 अप्रैल 2025 तक नाफेड और एनसीसीएफ द्वारा संयुक्त रूप से केवल 4.60 लाख टन तुवर की खरीद ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अंतर्गत हो पाई है।

इस खरीद में कर्नाटक द्वारा घोषित बोनस और बाजार में भावों का एमएसपी से नीचे आना मुख्य कारण रहे हैं। वहीं केंद्रीय बफर स्टाक के लिए 22 अप्रैल तक 5.92 लाख टन तुवर की खरीद की जा चुकी थी। इससे संकेत मिलता है कि सरकारी एजेंसियों की ओर से खरीद धीरे-धीरे तो हो रही है, परंतु लक्ष्य की तुलना में अब भी बहुत पीछे है।

सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए तुवर का एमएसपी ₹7550 प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। आमतौर पर जनवरी से अप्रैल के बीच तुवर की आवक चरम पर होती है, इसके बाद मंडियों में इसकी आवक घटने लगती है। वर्तमान समय में प्रमुख उत्पादक राज्यों जैसे कर्नाटक और महाराष्ट्र की मंडियों में तुवर की आवक बनी हुई है, परंतु दाल-दलहन बाजार में कुल मिलाकर सुस्ती का माहौल बना हुआ है, जिससे निजी व्यापारियों की मांग कमज़ोर है।

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सरकार ने तुवर के शुल्क-मुक्त आयात की समय सीमा को 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दिया है। इस वर्ष म्यांमार में तुवर का उत्पादन बेहतर हुआ है, लेकिन वहां से निर्यात के लिए ऑफर मूल्य भारतीय बाजार भाव के अनुरूप घटता-बढ़ता रहता है, जिससे व्यापारिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है। अफ्रीकी देशों, विशेषकर मोजांबिक और मलावी में तुवर का स्टॉक कम रह गया है और वहां से नई फसल अगस्त से पहले उपलब्ध नहीं हो पाएगी, जिससे आपूर्ति पक्ष से भारत को थोड़ी राहत मिलने की संभावना है।

फिलहाल सरकार पीएसएस (प्राइस सपोर्ट स्कीम) के तहत खरीद कर रही है, लेकिन यदि यह प्रयास असफल रहता है, तो मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत खुले बाजार में प्रचलित मूल्य पर खरीद की योजना को लागू किया जा सकता है। आंध्रप्रदेश में तुवर की खरीद की समयसीमा 22 मई तक बढ़ा दी गई है, जिससे किसानों को और अवसर मिल सके।

वर्तमान परिस्थिति में तुवर की कीमतों में हल्का सुधार संभव है, लेकिन बाजार में मौजूदा सुस्ती के चलते कोई बड़ी तेजी की उम्मीद करना जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए किसानों और व्यापारियों को सलाह है कि वे भावों में सुधार का लाभ लें, लेकिन अत्यधिक तेजी के अनुमान पर भारी स्टॉकिंग से बचें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।