दक्षिण-पश्चिम मानसून की समयपूर्व दस्तक से बढ़ी उम्मीदें, कृषि क्षेत्र को मिल सकती है राहत
किसान साथियो और व्यापारी भाइयो, हाल के दिनों में बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर के क्षेत्रों में चक्रवात 'शक्ति' के प्रभाव से भारी वर्षा शुरू हो गई है। भारत मौसम विभाग (IMD) ने इसे देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत का संकेत माना है। इस वर्ष मानसून सामान्य से बेहतर रहने की संभावना है—करीब 105% दीर्घकालिक औसत के मुकाबले (2024 में यह 108% था)। इस अनुमान से ग्रामीण मांग, कॉर्पोरेट प्रदर्शन और ग्रामीण मजदूरी जैसे कई क्षेत्रों में आशा की किरण दिखाई दे रही है।
ग्रामीण मांग और कृषि उत्पादन में मिलेगी मजबूती
एक अच्छे मानसून की भविष्यवाणी हमेशा नीति निर्माताओं, व्यापारियों और विश्लेषकों के लिए राहत लेकर आती है। मजबूत मानसून से कृषि उत्पादन बढ़ता है, जिससे किसानों की आय और ग्रामीण खपत दोनों को बल मिलता है। Nielsen IQ के FMCG सर्वे के अनुसार, 2025 की मार्च तिमाही में कुल वॉल्यूम ग्रोथ 5.1% रही, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र की हिस्सेदारी 8.4% रही जबकि शहरी क्षेत्र की केवल 2.6%। यह तब है जब कंपनियों ने अपने मार्जिन बचाने के लिए दामों में वृद्धि की है।
वाहन क्षेत्र में भी दिखी ग्रामीण मांग की ताकत
ट्रैक्टर और थ्री-व्हीलर जैसे वाहन वर्गों में ग्रामीण खरीद में मजबूती देखी गई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में टू-व्हीलर की मांग सुस्त रही है। इससे स्पष्ट है कि ग्रामीण भारत धीरे-धीरे फिर से बाजार को गति देने की स्थिति में आ रहा है।
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मानसून और कृषि GVA में गहरा संबंध
आंकड़े बताते हैं कि औसत से अधिक वर्षा सीधे तौर पर कृषि सकल मूल्य वर्धन (GVA) में बढ़ोतरी से जुड़ी होती है। RBI के एक अध्ययन के अनुसार, अत्यधिक वर्षा मक्का और दालों जैसे फसलों के लिए नुकसानदेह हो सकती है। हालांकि, 105% वर्षा का स्तर (96-104% के सामान्य दायरे से थोड़ा ही ऊपर) खेती के लिए अनुकूल माना जा सकता है। बीते 40 वर्षों में जब मानसून औसत से 7% या अधिक रहा, तब कृषि GDP में वृद्धि प्रायः 4-6% के भीतर रही है।
कॉरपोरेट क्षेत्र में बढ़ी उम्मीदें
Hindustan Unilever के CEO रोहित जावा ने हाल की एक कॉल में कहा कि मजबूत मानसून, अच्छे कृषि उत्पादन और ग्रामीण मांग की ताकत उनके लिए आगामी तिमाहियों में बाजार में मजबूती की उम्मीद जगाती है। वहीं Nifty FMCG Index जो 2024-25 में कमजोर प्रदर्शन कर रहा था, फरवरी के अंत से अब तक 11% चढ़ चुका है।
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ग्रामीण मजदूरी में सुधार की संभावना
हालांकि ग्रामीण भारत की एक बड़ी चिंता लगातार स्थिर रही मजदूरी है। 2014-15 से 2022-23 तक ग्रामीण मजदूरी में वास्तविक वृद्धि प्रति वर्ष 1% से भी कम रही है। 2006 से 2014 तक यह 6-7% की दर से बढ़ रही थी। Arindam Das और Yoshifumi Usami के एक शोध पत्र के अनुसार, 2014-15 से 2018-19 तक कृषि उत्पादकता की स्थिरता और सूखे जैसी स्थितियों ने मजदूरी वृद्धि को रोक दिया। 2022-23 में निर्माण क्षेत्र में रोजगार बढ़ा, पर मजदूरी नहीं बढ़ी।
अब यदि इस बार का मानसून वाकई 105% स्तर पर रहता है, तो इससे खेतों में काम बढ़ेगा, मजदूरी की मांग बढ़ेगी और इसका लाभ निर्माण क्षेत्र तक भी पहुंचेगा।
इस बार का मानसून सिर्फ खेतों के लिए नहीं, बल्कि समग्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ा संजीवनी बन सकता है—जो न सिर्फ FMCG और वाहन कंपनियों के कारोबार को, बल्कि गांवों में आम लोगों की जेबों को भी राहत देगा।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।