बासमती चावल बाजार ने लगाई तेजी की छलांग। जानें कैसा रहा आज बासमती का बाजार
किसान साथियों, इस वक्त देशभर के बासमती चावल बाजार में जो हलचल देखने को मिल रही है, वह सिर्फ व्यापारियों या मिलर्स के लिए नहीं, बल्कि किसानों और एक्सपोर्टर्स — दोनों के लिए बहुत मायने रखती है। पिछले कई महीनों से मंडियों में जो दबाव बना हुआ था, अब वह धीरे-धीरे हट रहा है। खासकर 31 मार्च के बाद से, पुराना स्टॉक जो राइस मिलों और व्यापारियों के पास जमा था, वह 70% तक खत्म हो चुका है। यह एक बड़ा मोड़ था, जिसने बाजार की चाल को तेजी की ओर मोड़ा। अब बात सिर्फ स्टॉक की नहीं है। पाकिस्तान, जो बासमती चावल के निर्यात में भारत का मुख्य प्रतियोगी है, वहां की हालत इस समय बहुत खराब है। पाकिस्तान के पास न तो लोडिंग-अनलोडिंग की सुविधा है, न ही स्थिरता का माहौल। दूसरी तरफ, भारत के चावल निर्यातकों के लिए अब अंतरराष्ट्रीय मांग तेज हो चुकी है, क्योंकि ईरान और इजरायल जैसे देशों में सीजफायर के बाद चावल की खरीदारी तेज हुई है, जिससे कीमतों में अचानक उछाल आया है। RH-10, 1121, 1509 और 1718 जैसी किस्मों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, और कारोबारियों को हर बढ़े हुए भाव पर मुनाफा कमाने का मौका मिल रहा है — वह भी ऐसे समय में जब घरेलू मंडियों में नई आवक बहुत कम हो रही है। जिसके चलते, बारीक चावल की मांग और रेट दोनों में जबरदस्त उछाल आ रहा है। बाजार में आई इस अचानक तेजी के पीछे क्या कारण है और क्या यह तेजी अस्थायी है, इन सब को विस्तार से समझने के लिए चलिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।
बासमती का पुराना स्टॉक खत्म
साथियों, मार्च के अंत तक व्यापारियों और मिलर्स के पास जो पुराना स्टॉक था, वह अब लगभग खत्म हो चुका है, जिसका असर बाजार पर दिखाई देने लगा है क्योंकि अब मिलर्स को माल दोबारा खरीदना पड़ रहा है, और वह भी ज्यादा रेट पर। दरअसल, जब मंडियों में बासमती धान की आवक ज़्यादा होती है, तो कारोबारी बड़े पैमाने पर स्टॉक जमा करते हैं। लेकिन इस बार, ज़्यादा उत्पादन होने के बावजूद, निर्यात की गति धीमी थी और अंतरराष्ट्रीय खरीदारी सुस्त थी। इसके चलते देश में ओवरस्टॉकिंग हो गई थी। लेकिन जैसे ही यह माल धीरे-धीरे कट गया और मिलर्स के गोदाम खाली होने लगे, उसी समय अंतरराष्ट्रीय खरीदार फिर से एक्टिव हो गए। और यह स्थिति अब इस मुकाम पर आ पहुंची है कि नया माल बाजार में कम है, और एक्सपोर्ट की मांग बढ़ती जा रही है। यानी डिमांड-सप्लाई का बैलेंस अब खरीदार के नहीं, विक्रेता के पक्ष में झुक गया है।
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कितनी तेजी आई
अभी के हालात देखकर लगता है कि बाजार में और तेजी आ सकती है। खासकर निर्यातकों की मांग अगर इसी तरह बनी रही, तो RH-10, 1121 और 1509 जैसी किस्मों के दाम और बढ़ सकते हैं। अगर कीमतों की बात करें तो RH-10 चावल का भाव बढ़कर 5200 से 5500 रुपए तक पहुंच गया है। इस किस्म के चावल का भाव पिछले कुछ दिनों में 300 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ चुका है। यह किस्म निर्यातकों के बीच काफी पसंद की जाती है, और अगर मांग इसी तरह बनी रही, तो इसके दाम और बढ़ सकते हैं। वहीं अगर 1121 बासमती चावल की बात करें तो पाकिस्तानी चावल की कमी की वजह से इसकी मांग और बढ़ी है, जिससे इसके दामों में भी तेजी आई है। तथा 1718 सेला चावल ने एक दिन में 500 रुपए की छलांग लगाई और इसका भाव 6700 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। इसके अलावा 1509 बासमती घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों में डिमांड बनी रही, जिससे इसके दामों में भी उछाल आया है।
धान के मंडी भाव
अगर आज के मंडियों के धान के भावों की बात करें तो आज धान 1509 गढ़मुक्तेश्वर में ₹2901, डिबाई में ₹2700–₹2880, बुलंदशहर में ₹2800–₹3001, गंगोह में ₹2700–₹2975, करनाल में ₹2780–₹2825, नरेला में ₹2760, जहांगीराबाद में ₹2851–₹2986, शिकारपुर में ₹2901, और बूंदी में 1718 का भाव ₹3320–₹3550 रुपए प्रति क्विंटल रहा।
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निर्यात बढ़ने का कारण
भारतीय बासमती चावल की डिमांड निर्यात बाजार में कई वजहों से बढ़ी है। सबसे पहली वजह तो यह है कि पाकिस्तान से सस्ते चावल की सप्लाई अब उपलब्ध नहीं है। पाकिस्तान में आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता की वजह से वहां के चावल का निर्यात प्रभावित हुआ है। इसका सीधा फायदा भारतीय किसानों और कारोबारियों को मिल रहा है। दूसरी बड़ी वजह है ईरान और मिडिल ईस्ट में बढ़ती मांग। ईरान ने पिछले दो साल से बहुत बड़ी खऱीद नहीं की है इसलिए मिडिल इस्ट देशों में भारतीय बासमती चावल की काफी डिमांड इस साल निकल रही है, और सीजफायर के बाद इन देशों ने खरीदारी तेज कर दी है। खासकर 1718 सेला चावल की मांग इन बाजारों में सबसे ज्यादा है। तीसरा कारण यह है कि भारतीय चावल की क्वालिटी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। दुनिया भर में भारतीय बासमती को सबसे अच्छी क्वालिटी का माना जाता है, जिसकी वजह से खरीदार इसे प्राथमिकता देते हैं।
क्या आने वाले दिनों में स्थिति बदलेगी
मंडियों में इन दिनों धान की आपूर्ति कम हो रही है। इसकी वजह यह है कि पुराना स्टॉक 31 मार्च तक खत्म हो चुका है, और नए धान की आवक अभी पूरी तरह शुरू नहीं हुई है। इस स्थिति ने बाजार में चावल के दामों को और बढ़ा दिया है। अगर नए धान की आवक तेजी से बढ़ती है, तो हो सकता है कि कीमतों में थोड़ी गिरावट आ जाए। हालांकि इसकी संभावना बहुत कम है। फिलहाल निर्यातकों की मांग ज्यादा है, जिसकी वजह से बाजार में तेजी बनी हुई है। मौजूदा स्थिति को समझा जाए तो बासमती चावल का बाजार इस समय कारोबारियों के लिए गोल्डन ऑपर्च्युनिटी लेकर आया है। कीमतें बढ़ रही हैं, मांग ज्यादा है, और निर्यातक भी एक्टिव हैं। ऐसे में अगर आप चावल के कारोबार से जुड़े हैं, तो हर बढ़े हुए भाव पर मुनाफा कमाने का मौका जाने न दें। साठी धान की आवक ने अभी तक जोर नहीं पकड़ा है ऐसे में भाव के नीचे जाने की कम और उपर जाने की संभावना ज्यादा है। जो साथी रिस्क नहीं लेना चाहते वे बाजार को देखते रहे और अगर बाजार यू टर्न लेता दिखाई दे तो माल निकाल सकते हैं। व्यापार अपने विवेक से करें
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।