गेहूं की फसल में नाइट्रोजन का क्या है महत्व | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
किसान साथियो गेहूं और अन्य रबी फसलों के लिए नाइट्रोजन की जरूरत सबसे अहम होती है, क्योंकि नाइट्रोजन फसलों की बेहतर बढ़त और उपज बढ़ाने में मदद करता है। अब तक किसान इस जरूरत को पूरा करने के लिए ज्यादातर परंपरागत यूरिया का इस्तेमाल करते आए हैं। लेकिन कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि नैनो यूरिया फसलों के लिए ज्यादा फायदेमंद और कारगर साबित हो सकता है। इफको द्वारा निर्मित नैनो यूरिया, फसलों को जरूरी नाइट्रोजन देकर न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि यह फसल की गुणवत्ता में भी सुधार लाता है।
नैनो यूरिया के फायदे क्या हैं?
नैनो यूरिया एक तरल पदार्थ के रूप में आता है, जिसे पर्यावरण के अनुकूल, किफायती और अधिक उत्पादक बताया जा रहा है। परंपरागत यूरिया के मुकाबले यह कई मायनों में बेहतर है। नैनो तकनीक के जरिए इस यूरिया को बनाया गया है, जिसमें एक साधारण यूरिया के दाने को 55,000 नैनो कणों में विभाजित किया जाता है। इन छोटे-छोटे कणों के कारण नैनो यूरिया पौधों की पत्तियों पर छिड़कने से तुरंत अवशोषित हो जाता है। इससे पौधों को नाइट्रोजन की सही मात्रा मिलती है और यह सीधे उन हिस्सों तक पहुंचता है, जहां इसकी जरूरत होती है।
परंपरागत यूरिया के मुकाबले नैनो यूरिया क्यों बेहतर है?
परंपरागत यूरिया का उपयोग करने पर फसलों को दी गई नाइट्रोजन का केवल 30-40% ही पौधों तक पहुंच पाता है। बाकी का 60-70% नाइट्रोजन वाष्पित होकर, मिट्टी में रिसकर या अन्य प्रक्रियाओं से बर्बाद हो जाता है। यह न केवल फसल की उत्पादकता को कम करता है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है। वायुमंडल में नाइट्रोजन का वाष्पीकरण जलवायु परिवर्तन का कारण बन सकता है, जबकि मिट्टी में रिसने से मिट्टी की गुणवत्ता खराब होती है। नैनो यूरिया इस नुकसान को कम करता है। यह मिट्टी, पानी और हवा को प्रदूषण से बचाने के साथ-साथ फसल को ज्यादा नाइट्रोजन प्रदान करता है।
नैनो यूरिया का इस्तेमाल कैसे करें?
नैनो यूरिया तरल रूप में आता है और यह 500 मिली (आधा लीटर) की बोतल में उपलब्ध है। इसकी क्षमता एक बोरी (45 किलो) परंपरागत यूरिया के बराबर या उससे अधिक है। इसका छिड़काव फसलों की पत्तियों पर करना होता है।
1. पहला छिड़काव: फसल की बोआई या रोपाई के 25-35 दिन बाद करें।
2. दूसरा छिड़काव: फूल आने के एक सप्ताह पहले करें।
फसल की नाइट्रोजन की जरूरत के हिसाब से पानी में इसे मिलाएं:
1. जिन फसलों को कम नाइट्रोजन चाहिए, उनके लिए 2 मिली नैनो यूरिया प्रति लीटर पानी में मिलाएं।
2. जिन फसलों को ज्यादा नाइट्रोजन चाहिए, उनके लिए 4 मिली नैनो यूरिया प्रति लीटर पानी में मिलाएं।
नैनो यूरिया से किसानों को क्या लाभ होगा?
1. खर्च में कमी: नैनो यूरिया तरल अधिक प्रभावी है, इसलिए किसानों को कम मात्रा में इस्तेमाल से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। इससे यूरिया की लागत घटेगी।
2. पर्यावरण के लिए सुरक्षित: यह न केवल फसलों को नाइट्रोजन देता है, बल्कि मिट्टी, पानी और वायु को प्रदूषण से बचाने में मदद करता है।
3. उपज और गुणवत्ता में सुधार: नैनो यूरिया फसलों की बेहतर वृद्धि सुनिश्चित करता है और उपज की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाता है।
4. भंडारण में सुविधा: पारंपरिक यूरिया के मुकाबले नैनो यूरिया को स्टोर करना आसान और सस्ता है।
किसानों के लिए नैनो यूरिया क्यों जरूरी है?
परंपरागत यूरिया के अंधाधुंध उपयोग से खेती, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। इससे मिट्टी की उर्वरता कम हो रही है और फसल उत्पादन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। नैनो यूरिया का इस्तेमाल इन समस्याओं का समाधान हो सकता है। यह आधुनिक स्वदेशी तकनीक पर आधारित एक बेहतर विकल्प है, जो किसानों के लिए एक बड़ी राहत है। इसलिए, यदि किसान नैनो यूरिया को अपनाते हैं, तो वे अपनी फसलों की उपज और मुनाफे को बढ़ा सकते हैं, साथ ही पर्यावरण को भी सुरक्षित रख सकते हैं।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।