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किसानों के लिए यह है 2 लाख लगाकर 7 लाख तक की कमाई करने का सीक्रेट तरीका

पोंक गेहू
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किसान साथियों अभी हाल मे गुजरात स्थित एक गांव के किसान ने पारंपरिक खेती को एक नए आयाम तक पहुंचाया है। वे वर्ष 2017 से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और बिना किसी रासायनिक खाद या कीटनाशक का उपयोग किए फसल उत्पादन कर रहे हैं। प्राकृतिक खेती के प्रति उनकी इस प्रतिबद्धता ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई है। जब अधिकांश किसान गेहूं की पारंपरिक बिक्री कर सीमित लाभ अर्जित कर रहे थे, तब उस किसान भी ने इस अनाज का मूल्यवर्धन कर उसे पोंक (भुना हुआ गेहूं) में बदलने का अनूठा निर्णय लिया। उनके इस नवाचार ने उन्हें खेती से अधिक मुनाफा कमाने का अवसर दिया 

कैसे बढ़ सकते है मुनाफा

गेहूं को सिर्फ उत्पादन कर बेचना और उससे अधिक लाभ कमाना किसानों के लिए हमेशा से चुनौती रहा है। आमतौर पर, बाजार में गेहूं की कीमतें अपेक्षाकृत कम होती हैं और लागत निकालने के बाद किसानों को अधिक लाभ नहीं मिल पाता। कालूभाई ने इस चुनौती को अवसर में बदलते हुए अपने उत्पादन का मूल्यवर्धन किया और गेहूं को पोंक के रूप में बेचना शुरू किया।

पोंक तैयार करने की प्रक्रिया में गेहूं को भूनकर एक स्वादिष्ट और पौष्टिक उत्पाद के रूप में परिवर्तित किया जाता है। इस प्रक्रिया के लिए विशेष तकनीक और अनुभव की आवश्यकता होती है। किसान ने इसे अपनाकर अपने गेहूं का सही उपयोग किया और आज वे इसे 400 रुपये प्रति किलो की दर से बेच रहे हैं।

ये किसान भाई 11 बीघा जमीन पर खेती करते हैं, जिसमें से 5 बीघा में गेहूं, 2 बीघा में मूंगफली और शेष जमीन पर कपास जैसी अन्य फसलें उगाते हैं। उनकी खेती बहुफसलीय प्रणाली पर आधारित है, जिससे उन्हें अलग-अलग मौसमों में निरंतर आय प्राप्त होती है। उनकी प्राकृतिक खेती विधि मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में सहायक होती है,साथ ही फसलों की गुणवत्ता भी बेहतर बनाती है।

कपास की खेती से इस किसान भाई को 2.10 लाख रुपये तक की आमदनी होती है। वहीं, जब बात गेहूं की आती है, तो एक बीघा में सामान्य तौर पर 1.44 लाख रुपये का मुनाफा होता है। 5 बीघा भूमि से लगभग 90 मन (मण) गेहूं का उत्पादन होता है, जिसे जब पोंक में परिवर्तित किया जाता है, तो उसकी बाजार कीमत कई गुना बढ़ जाती है। इस प्रकार, इस किसान भाई को 7.2 लाख रुपये की कुल आय प्राप्त होती है, जिसमें 2 लाख रुपये की खेती की लागत निकालने के बाद भी उन्हें भारी मुनाफा होता है।

पोंक की मांग और बाजार 

हमारे किसान भाई द्वारा तैयार किया गया पोंक केवल स्थानीय बाजारों में ही नहीं, बल्कि पंजाब, दिल्ली, मुंबई और गुजरात जैसे बड़े शहरों में भी बेचा जा रहा है। इसका प्रमुख कारण इसकी उच्च गुणवत्ता और प्राकृतिक खेती की पद्धति है, जिससे यह रसायनमुक्त और स्वास्थ्यवर्धक बनता है। बाजार में इस उत्पाद की मांग निरंतर बढ़ रही है, क्योंकि उपभोक्ता अब स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं और प्राकृतिक उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं। पोंक की लोकप्रियता को देखते हुए कुछ किसान भाई इसे बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की योजना बना रहे हैं, जिससे वे और अधिक किसानों को इस पद्धति से जोड़ने के लिए प्रेरित कर सकें।

नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।