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स्टोर करने के बाद साल भर खराब नहीं होती ये प्याज | जाने इसकी खासियत

स्टोर करने के बाद साल भर खराब नहीं होती ये प्याज | जाने इसकी खासियत
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भारत में सदियों से किसान प्याज की खेती कर रहे हैं। इतने समय से लगातार प्याज की खेती करने के बावजूद प्याज के किसानों का अभी तक उद्धार नहीं हो पाया है। इसकी वजह यह है कि जितना फायदा प्याज की व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों और आढ़तियों को होता है उतना फायदा किसान को नहीं मिलता है। आज हम आपको ऐसी प्याज की खेती के बारे में बताने वाले हैं जो आपको मध्यम वर्ग से उच्च वर्ग में लेकर जाने का माद्दा रखती है।

रेड प्याज की विशेषताएं
रेड प्याज की यह खासियत है कि यह अन्य किस्मों की तुलना में अधिक टिकाऊ होती है। इसका हल्का लाल रंग और गोल आकार इसे बाजार में अलग पहचान दिलाते हैं। यह प्याज कम दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को जल्दी लाभ मिल सकता है। इस किस्म की प्याज में प्राकृतिक मिठास होती है और इसे सालभर तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इस प्याज की स्टोरेज क्षमता इसकी लोकप्रियता को और बढ़ाती है, और यह सालभर बाजार में अच्छी कीमत पर बिकती है।

खेती के लिए आवश्यक तैयारी
रेड प्याज की खेती के लिए सही जानकारी होना जरूरी है, ताकि खेती करते समय किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। इस प्याज की बुआई का उपयुक्त समय नवंबर का आखिरी सप्ताह होता है। इसके अलावा, इस किस्म की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी को सर्वोत्तम माना गया है।

इस किस्म की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि बुआई के समय गोबर की खाद का प्रयोग किया जाए, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। गोबर की खाद के अलावा, अगर मिट्टी में संतुलित पोषक तत्वों की कमी हो तो अन्य जैविक खाद का उपयोग भी लाभकारी हो सकता है।

बुआई और फसल की देखभाल
 रेड प्याज की बुआई के बाद यह फसल 100 दिनों के भीतर पककर तैयार हो जाती है। बुआई के बाद नियमित सिंचाई और समय-समय पर खरपतवार की सफाई आवश्यक होती है ताकि फसल का विकास सुचारू रूप से हो सके। सिंचाई का ध्यान रखना चाहिए कि अत्यधिक पानी देने से फसल को नुकसान न पहुंचे।

बीज का चयन
बुआई के लिए हमेशा इस उन्नत किस्म के बीजों का ही प्रयोग करें, ताकि उत्पादन में गुणवत्ता और मात्रा बनी रहे। इसके साथ ही, बेहतर अंकुरण के लिए प्रमाणित बीजों का चयन करना चाहिए, जिससे फसल की उत्पादकता में सुधार हो।

रेड प्याज की पैदावार
इस किस्म की प्याज की पैदावार सामान्यतः अन्य किस्मों की तुलना में अधिक होती है। एक हेक्टेयर में रेड प्याज की खेती से लगभग 250 से 300 क्विंटल प्याज प्राप्त किया जा सकता है। इस प्याज की गुणवत्ता और लंबे समय तक स्टोरेज की क्षमता इसे बाजार में एक बेहतर विकल्प बनाती है, जिससे किसानों को इसकी अच्छी कीमत प्राप्त होती है।

 रेड प्याज की खेती से किसान आसानी से लाखों रुपये की आय अर्जित कर सकते हैं। इसकी सालभर बाजार में मांग बनी रहती है और इसकी दीर्घकालिक ताजगी के कारण किसान इसे लंबे समय तक रख सकते हैं, जिससे उन्हें आवश्यक समय पर अच्छी कीमत मिल सकती है।

सिंचाई: प्याज की इस किस्म के लिए नियमित और नियंत्रित सिंचाई जरूरी है। बुआई के बाद हल्की सिंचाई करें और उसके बाद हर 10-15 दिन पर सिंचाई करते रहें।

खरपतवार नियंत्रण: फसल के विकास के लिए खेत में किसी प्रकार के खरपतवार को न बढ़ने दें। इसके लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें।

कीट और रोग नियंत्रण: रोग और कीटों से बचाव के लिए जैविक उपचारों का प्रयोग करें या कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार कीटनाशकों का उपयोग करें।

नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।