75 मण का उत्पादन देने वाली गेहूं की किस्म आ गई है | जाने पूरी डिटेल्स
किसान साथियो खरीफ की फसल कटाई के बाद, किसान रबी की फसलों, विशेषकर गेहूं की खेती की ओर रुख करते हैं। गेहूं भारत में एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है, और लाखों किसानों की आजीविका इससे जुड़ी हुई है। गेहूं की उन्नत किस्मों का उपयोग करके किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की कई नई किस्में विकसित की हैं जो अधिक उत्पादन देती हैं और रोगों के प्रति प्रतिरोधी होती हैं। ऐसी ही एक नई किस्म है एचडी 3385, जिसे करनाल गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित किया गया है। आइए जानते हैं कि इस किस्म की क्या विशेषताएं हैं और यह किसानों के लिए क्यों फायदेमंद हो सकती है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
गेहूं की एक नई उम्मीद एचडी-3385 किस्म
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने गेहूं की एक नई उन्नत किस्म, एचडी-3385, विकसित की है। इस किस्म को इसकी उच्च उत्पादकता और रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण देश के सभी गेहूं उत्पादक क्षेत्रों के लिए अनुशंसित किया गया है। परीक्षणों से पता चला है कि इस किस्म की औसत उत्पादन क्षमता 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। एचडी-3385 कई तरह से अन्य गेहूं की किस्मों से बेहतर है। यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, जैसे कि अचानक तापमान में वृद्धि, को सहन करने में सक्षम है। इससे किसानों को फसल नुकसान से बचाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, यह किस्म रतुआ और अन्य रोगों के प्रति भी प्रतिरोधी है, जिससे किसानों को कीटनाशकों के उपयोग को कम करने में मदद मिलेगी। गेहूं में लगने वाले करनाल बंट रोग के प्रति भी यह किस्म प्रतिरोधी है। यह रोग गेहूं के दानों को नुकसान पहुंचाता है और उत्पादन को कम करता है। एचडी-3385 के विकास से इस रोग के कारण होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। आईएआरआई ने इस किस्म के बीज का उत्पादन बढ़ाने के लिए 70 बीज उत्पादक संस्थाओं के साथ अनुबंध किया है। इससे किसानों को आसानी से और कम समय में यह बीज उपलब्ध हो सकेगा। एचडी-3385 के प्रसार से देश में गेहूं उत्पादन बढ़ाने और किसानों की आय में वृद्धि करने में मदद मिलेगी।
सभी परीक्षणों में सफल रही गेहूं नई एचडी-3385 किस्म
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय स्टेशन करनाल के अध्यक्ष एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. शिवकुमार यादव ने बताया कि उत्तर भारत के राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, एनसीआर दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एचडी-3385 गेहूं की नई किस्म की बुवाई के लिए अक्टूबर अंत और नवंबर के पहले सप्ताह (25 अक्टूबर से 5 नवंबर तक) का समय सबसे उपयुक्त है। इस दौरान तापमान की स्थिति भी इस फसल के लिए अनुकूल होती है। किसानों को बीज वितरण के समय इस किस्म की खेती के लिए आवश्यक तकनीकी जानकारियां भी प्रदान की जाएंगी। संस्थान ने इस किस्म के बीज को बढ़ावा देने के लिए 70 बीज संस्थाओं के साथ समझौता किया है। इस वर्ष इन संस्थाओं को बीज उपलब्ध कराया जाएगा ताकि उत्पादन बढ़ सके। संस्थान का लक्ष्य है कि कम से कम समय में अधिक से अधिक किसानों तक इस नई किस्म का बीज पहुंचाया जाए। इसके अलावा, किसानों को अन्य अनुशंसित गेहूं की किस्मों की बुवाई के लिए भी उपयुक्त समय और तापमान का ध्यान रखना चाहिए। रात का तापमान 16 से 20 डिग्री सेल्सियस और दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
एचडी 3385 किस्म की क्या है खासियत और कितना होता है उत्पादन
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) ने गेहूं की एक नई किस्म HD 3385 विकसित की है जो गर्मी सहनशीलता के लिए जानी जाती है। यह किस्म पारंपरिक किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादक है। HD 3385 की औसत उपज क्षमता 59.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि अधिकतम उपज 73.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक दर्ज की गई है। यह HD 2967 किस्म से 15%, HD 3086 किस्म से 10%, DBW 222 से 9% और DBW 187 से 6.7% अधिक उत्पादन देती है। इस किस्म के पौधे की ऊंचाई लगभग 98 सेंटीमीटर होती है। HD 3385 किस्म येलो, ब्राउन और ब्लैक रस्ट जैसे प्रमुख रोगों के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी है। इसके अलावा, इस किस्म में टिलरिंग की समस्या नहीं देखी गई है, जिससे किसानों को बेहतर उत्पादन मिलता है। यह नई किस्म भारतीय किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां तापमान बढ़ रहा है और पारंपरिक गेहूं की किस्में अच्छी तरह से प्रदर्शन नहीं कर रही हैं। HD 3385 किस्म न केवल किसानों की आय बढ़ा सकती है बल्कि खाद्य सुरक्षा को भी सुनिश्चित करने में मदद कर सकती है।
भारत बना गेंहू के मामले में आत्मनिर्भर
भारत में गेहूं की खेती का क्षेत्रफल लगातार बढ़कर लगभग 31 मिलियन हेक्टेयर तक पहुंच गया है, और देश का सालाना गेहूं उत्पादन 112.92 मिलियन टन तक पहुंच चुका है। यह उपलब्धि भारत को न केवल गेहूं में आत्मनिर्भर बनाती है बल्कि हमें विश्व के प्रमुख गेहूं उत्पादक और निर्यातक देशों में भी शामिल करती है। देश की 140 करोड़ से अधिक की आबादी की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में गेहूं की अहम भूमिका है। यह उपलब्धि देश के कृषि वैज्ञानिकों, किसानों और श्रमिकों की कड़ी मेहनत और समर्पण का परिणाम है। हालांकि, देश के मुख्य गेहूं उत्पादक राज्य उच्च उपज देने वाले नए बीजों की मांग करते रहते हैं। इस दिशा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आई.सी.ए.आर.) के विभिन्न अनुसंधान संस्थान लगातार नए और बेहतर किस्मों के विकास पर काम कर रहे हैं।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।