विश्व चावल बाजार रुझान |
किसान साथियों और व्यापारी भाइयों, चावल बाजार में एक बार फिर से बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, और इस बार बदलाव की बागडोर भारत के हाथ में है। भारत सरकार द्वारा गैर-बासमती चावल के सभी निर्यात अनुबंधों को एपीडा (APEDA) के साथ पंजीकृत करना अनिवार्य करने का प्रस्ताव दिया गया है। यह वही प्रक्रिया है जो बासमती चावल के निर्यात पर पहले से लागू है। इसका मकसद चावल निर्यात को अधिक ट्रेसबल और गुणवत्ता नियंत्रित बनाना है, ताकि भारत की वैश्विक साख और मजबूत हो सके।
इसके साथ-साथ बासमती चावल के अनुबंधों के लिए पंजीकरण शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव भी सामने आया है। यह अतिरिक्त राशि परीक्षण प्रयोगशालाओं और बीज प्रसंस्करण केंद्रों की स्थापना जैसे अवसंरचनात्मक कार्यों में लगेगी, जिससे निर्यात क्षेत्र को दीर्घकालिक लाभ मिल सकता है। हालांकि अल्पकाल में यह निर्यातकों के लिए लागत और प्रशासनिक दबाव बढ़ा सकता है, लेकिन दीर्घकाल में यूरोप और ब्रिटेन जैसे देशों में भारतीय चावल की पहुंच और मजबूत होगी, जहां गुणवत्ता मानक और ट्रेसबिलिटी अनिवार्य शर्त है।
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भारत में स्थिर भाव, निर्यात मांग अच्छी
इस बीच, वियतनाम और भारत दोनों जगह चावल के भाव में कोई बदलाव नहीं देखा गया है। भारत, वियतनाम, थाईलैंड और पाकिस्तान जैसे देश अब भी दुनिया के प्रमुख चावल निर्यातक बने हुए हैं। भारत की 2024-25 की फसल सामान्य अनुमान के अनुरूप है। अफ्रीका और मध्य पूर्व से चावल की मांग लगातार बनी हुई है। पिछले साल की तुलना में वैश्विक भंडारण थोड़ा कम हुआ है, लेकिन अब भी आरामदायक स्थिति में है।
मौसम की भूमिका
भारत में मानसून का समय पर आगमन हुआ है और पूर्वी एवं दक्षिणी राज्यों में औसत से अधिक वर्षा का पूर्वानुमान है, जिससे खरीफ फसलों की बुवाई को लाभ मिलेगा। हालांकि कुछ क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा भी बना हुआ है। वहीं, वियतनाम और थाईलैंड में सूखा समाप्त हो रहा है और बारिश से मिट्टी की नमी सुधर रही है। पाकिस्तान में सिंचाई व्यवस्था सामान्य है और तापमान भी औसत के आसपास बना हुआ है।
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निवेशकों के लिए रणनीतिक सलाह
निर्यातक साथियों को भारत सरकार की नई नीति पर ध्यान देना होगा, खासकर गैर-बासमती चावल की नई पंजीकरण प्रक्रिया के चलते संभावित देरी या रुकावटों के लिए तैयारी जरूरी है। जो खरीदार भारत से माल लेते हैं, वे भविष्य में प्रशासनिक देरी या शुल्क वृद्धि से बचने के लिए अग्रिम खरीद की रणनीति अपना सकते हैं।
फिलहाल वियतनाम और भारत में भाव स्थिर हैं, जिससे सामान्य ग्रेड के लिए खरीदी का यह अच्छा समय है। यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के आयातकों को भी भारत के नए ट्रेसबिलिटी और निरीक्षण मानकों के अनुरूप खुद को ढालना होगा। चावल बाजार फिलहाल स्थिर है लेकिन नीति बदलाव, मौसम और निर्यात मांग में तेजी आने के कारण निकट भविष्य में इसमें हलचल संभव है। भारतीय निर्यातकों के लिए यह एक अवसर भी है और एक चुनौती भी। यदि समय रहते नई व्यवस्थाओं के अनुरूप खुद को ढाल लिया गया, तो भारत का चावल निर्यात और सशक्त हो सकता है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।