60 से 70 दिन की लहसून पर यह स्प्रे कर दो | उत्पादन से भर जाएंगी ट्रॉलियां
अगर लहसुन की फसल 60 से 70 दिन की हो गई है तो इस स्प्रे का करें छिड़काव।
किसान भाईयों, नमस्कार! खेती की दुनिया में हर दिन नई चुनौतियाँ आती हैं और इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सही जानकारी का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। खेती से संबंधित इसी जानकारी को आगे बढ़ते हुए आज हम लहसुन की खेती पर चर्चा करेंगे, जिसे खेती के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में माना जाता है। लहसुन न केवल एक प्रमुख मसाला है, बल्कि इसका औषधीय महत्व भी है, जिससे किसानों के लिए यह एक लाभकारी फसल बन सकती है। लहसुन की खेती की शुरुआत सही बीज से होती है और फिर उसे सही देखभाल, पोषण, और समय पर उपचार देने से ही यह फसल अच्छी तरह से विकसित होती है। अगर आप लहसुन की खेती में रुचि रखते हैं या अपने लहसुन की खेती कर रखी है, तो यह रिपोर्ट आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। इस रिपोर्ट में हम आपको लहसुन के पौधों के बारे में, उनकी सही देखभाल, पौधों में रोगों का उपचार, सही स्प्रे और उर्वरकों का उपयोग कैसे किया जाए, इसके बारे में विस्तार से बताएंगे। इस रिपोर्ट के द्वारा हम आपको एक फसल की स्थिति, उसमें किए गए कार्यों और उसके प्रभाव को समझने में मदद करेंगे। तो चलिए, बिना देर किए, लहसुन की खेती से जुड़ी हर महत्वपूर्ण बात को जानते हैं इस रिपोर्ट के माध्यम से।
लहसुन के खेत की स्थिति
किसान साथियों, हम जब अपने खेत पर जाते हैं, तो वहां के हालात और फसल की स्थिति का सही विश्लेषण करना बेहद जरूरी होता है। लहसुन के पौधों की ग्रोथ पर कई बाहरी तत्व जैसे पानी, मिट्टी की गुणवत्ता, उर्वरक का सही इस्तेमाल और मौसम का प्रभाव पड़ता है। आपको लहसुन की फसल पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है कि लहसुन के पौधों को ठीक से बनने के लिए पर्याप्त धूप, पानी और पोषण प्राप्त हो रहा है या नहीं। आप इस बात का भी ध्यान रखें कि आपने बीज की सफाई सही तरीके से की थी या नहीं ताकि पौधों की अच्छी ग्रोथ हो सके। जब आपके लहसुन के पौधे 70 से 80 दिन की अवस्था में पहुंच जाएं तो आपको कंठ की स्थिति का निरीक्षण करना आवश्यक है। अगर आपको लगे कि कंठ का साइज छोटा है तो उसे बढ़ाने के लिए आपको सही तरीके से उर्वरकों और दवाइयों का उपयोग करना चाहिए। साथ ही जैसे-जैसे फसल बढ़ती है, हमें यह भी देखना आवश्यक होता है कि फसल में किसी प्रकार के कीट या रोग का खतरा तो नहीं है क्योंकि यदि पौधों पर बीमारियाँ लग जाएं तो पौधों का विकास रुक सकता है और फसल का कंठ छोटा रह सकता है, जिसके कारण उसकी क्वालिटी में भी कमी आ सकती है।
बीमारियों से बचाव के उपाय
किसान साथियों, जब हम लहसुन की खेती करते हैं, तो उसमें कई प्रकार की दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है ताकि पौधे स्वस्थ रहें और उनकी ग्रोथ सही तरीके से हो। हम अपने लहसुन के पौधों में कई प्रकार के स्प्रे करते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से कीटनाशक और फंगीसाइड्स शामिल हैं। अगर आपको लहसुन की फसल में फंगस के संकेत दिखाई देते हैं तो पहला दवा जो हमें इस्तेमाल करना है वह काजेथान मिथाइल है, जो फंगल इंफेक्शन को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके साथ ही, हम ऑप्टिमा एनपीके का प्रयोग भी कर सकते हैं, जो पौधों को आवश्यक पोषक तत्वों का संचार करता है और उनकी ग्रोथ को उत्तेजित करता है। इसके अतिरिक्त, हम चिपको का भी प्रयोग कर सकते हैं, जो स्प्रे को पौधों पर अच्छे से चिपकने में मदद करता है। इसके अलावा, आप जैविक कीटनाशक ट्राइकोडर्मा का भी उपयोग कर सकते हैं, जो कीटों और कीड़ों को नियंत्रित करने में प्रभावी है। लहसुन की खेती में मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए न्यूट्रिएंट मिक्स जैसे कोहिनूर मिक्स मैग्नीशियम, सल्फर, बोरान और मिल्क न्यूट्रिएंट्स का भी इस्तेमाल किया जाता है। इन सभी दवाओं का मिलाजुला असर पौधों की सेहत को बेहतर बनाता है और लहसुन के कंद की साइज को बढ़ाने में मदद करता है। लहसुन की खेती में सही स्प्रे डोज का उपयोग और समय पर सिंचाई करना बेहद महत्वपूर्ण है। इसके लिए आप 15 लीटर पानी में कासुबी (500 एमएल), सुपर फोकस (800 ग्राम), सफायर (1 लीटर), ऑप्टिमा एनपीके (1 लीटर) और चिपको (250 मिलीलीटर) का प्रयोग कर सकते हैं। यह स्प्रे फसल को बेहतर बनाता है और लहसुन की गुणवत्ता को सुधारता है।
थ्रिप्स की रोकथाम
किसान साथियों, लहसुन में कीटों का हमला और फंगल इंफेक्शन आम बात है। खासकर, सर्दी के मौसम में थ्रिप्स का अटैक बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, जो लहसुन के पौधों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। हमने इस समस्या को हल करने के लिए लेम डा जैसे कीटनाशकों का उपयोग किया है, जो थ्रिप्स को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा, फंगस के कारण लहसुन के पौधों की पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं। इसे रोकने के लिए हमें सुपर फोकस का इस्तेमाल करना चाहिए, जो कि एक शक्तिशाली फंगीसाइड है और फंगस के संक्रमण को पूरी तरह से खत्म कर देता है। लहसुन की अच्छी फसल के लिए, हमें एंटीबायोटिक का भी प्रयोग करना चाहिए, ताकि बैक्टीरिया संक्रमण को रोका जा सके। इसके लिए हम कासुबी का प्रयोग कर सकते हैं। इस दवा का विशेष प्रभाव यह है कि यह पौधों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है और उनके अंदर ताकत देती है।
उर्वरकों का प्रयोग
किसान भाईयों, लहसुन की फसल में उर्वरकों का सही प्रयोग भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उर्वरकों का सही मात्रा में उपयोग करने से लहसुन की फसल में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति होती है, जिसके कारण फसल के कंद को बढ़ाने में सहायता मिलती है। फसल में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए आप ऑप्टिमा एनपीके का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और बोरान के साथ-साथ जिंक की अच्छी मात्रा होती है। इससे पौधों को ऊर्जा मिलती है, और उनका विकास तेज़ी से होता है। इसके अलावा, अल्विन गोल्ड सुपर का भी प्रयोग किया जाता है, जो पौधों की ग्रोथ को बढ़ाता है और कंद के आकार को मोटा बनाता है। इसके लिए किसान भाई 70% रासायनिक उर्वरक के लिए, एनपीके @ 30:15:15 किलोग्राम/हेक्टेयर + सल्फ़र @ 15 किलोग्राम/हेक्टेयर + ज़िंक @ 6 किलोग्राम/हेक्टेयर + पॉलीफ़ीड @ 1% का पत्ते पर छिड़काव रोपण के 15, 30, और 45 दिन बाद करें। रोपण के 60, 75, और 90 दिन बाद मल्टी-के @ 1% द्वारा पत्ती पर पर्ण छिड़काव करें, जो फसल के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी है।
नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।