खड़ी फसल में डीएपी का उपयोग करना चाहिए या नहीं | जानें इस रिपोर्ट में
किसान भाइयों, हम सब जानते हैं कि खेती के इस आधुनिक युग में रासायनिक उर्वरकों का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है। रासायनिक उर्वरकों के बिना किसानों के लिए खेती करना लगभग असंभव हो गया है। किसान भाई फसल में अधिक पैदावार लेने के लिए आंख मूंद कर कई प्रकार के रासायनिक उर्वरकों का उपयोग बहुत अधिक मात्रा में करने लगे हैं, लेकिन अगर उर्वरकों का उपयोग सही मात्रा और सही समय पर न किया जाए तो किसान का फसल पर आने वाला खर्च तो बढ़ता ही है, साथ ही वह उर्वरक अपना काम भी सही प्रकार से नहीं कर पाते। फसल में सही खाद का इस्तेमाल महत्वपूर्ण होता है। खासकर किसानों द्वारा खड़ी फसलों में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए अक्सर विभिन्न प्रकार के उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें यूरिया, जिंक, सल्फर, और डीएपी जैसे प्रमुख उर्वरक शामिल हैं। इनमें से डीएपी (डीअमोनियम फास्फेट) एक बहुत ही प्रचलित और उपयोगी उर्वरक माना जाता है। हालांकि, इसके प्रयोग को लेकर अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या खड़ी फसल में डीएपी का इस्तेमाल करना सही है, या यह केवल पैसे की बर्बादी साबित होता है? आज की रिपोर्ट में हम इस बात पर गहराई से जानने की कोशिश करेंगे, तो चलिए डीएपी खाद की सही और संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।
क्या है डीएपी
किसान भाइयों, डीएपी एक प्रकार का रासायनिक उर्वरक है जो नाइट्रोजन (Nitrogen) और फास्फोरस (Phosphorus) के प्रमुख स्रोत के रूप में कार्य करता है। इस उर्वरक में नाइट्रोजन की मात्रा लगभग 18% और फास्फोरस की मात्रा 46% होती है। यह दोनों तत्व फसलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नाइट्रोजन पौधों में हरा-भरा विकास करता है, जबकि फास्फोरस जड़ों के विकास, फूलों और फलों के उत्पादन में सहायक होता है। जब किसान डीएपी का इस्तेमाल करते हैं, तो उनका मुख्य उद्देश्य पौधों में फास्फोरस की कमी को पूरा करना होता है, क्योंकि फास्फोरस मिट्टी में बहुत स्थिर रहता है और आसानी से पौधों तक नहीं पहुंच पाता। इसलिए इसे उचित समय पर सही मात्रा में देना जरूरी होता है। हालांकि, बहुत से किसान डीएपी का इस्तेमाल खड़ी फसल में करते हैं, जो कि पूरी तरह से फायदेमंद नहीं होता।
खड़ी फसल में डीएपी का इस्तेमाल
किसान साथियों, खड़ी फसलों में डीएपी का इस्तेमाल एक सामान्य प्रथा है, क्योंकि डीएपी की कमी के कारण कई किसान भाई बुवाई के समय खेत में डीएपी नहीं डाल पाए और उसकी पूर्ति के लिए वह बाद में खड़ी फसल में डीएपी का उपयोग करते हैं। लेकिन डीएपी का उपयोग खड़ी फसल में करने से पहले आपको इसके फायदे और नुकसान को समझना आवश्यक है। यदि हम डीएपी के गुणों को समझें, तो खड़ी फसल में यह केवल नाइट्रोजन का अच्छा स्रोत है, जो फसल में हरा-भरा विकास और ताजगी लाता है, लेकिन फास्फोरस का पौधों तक पहुंचना मुश्किल होता है। खड़ी फसल में डीएपी डालने से जो फास्फोरस है, वह सिर्फ मिट्टी की सतह पर ही रह जाता है और जड़ों तक नहीं पहुंच पाता। इसके कारण, जड़ों का विकास ठीक से नहीं हो पाता और फास्फोरस की कमी पूरी नहीं हो पाती। इसलिए आप डीएपी का उपयोग हो सके तो बुवाई के समय ही करें। अगर आपको बुवाई के समय डीएपी उपलब्ध नहीं होती है, तो आप अन्य उर्वरकों के जरिए फास्फोरस की कमी को पूरा कर सकते हैं। इसके अलावा, यदि किसान खड़ी फसल में यूरिया का इस्तेमाल करें, तो नाइट्रोजन की सही मात्रा पौधे को जल्दी मिल सकती है। यूरिया से पौधों में हरा-भरा विकास होता है, जिससे किसानों को एक प्रकार की ताजगी और वृद्धि का एहसास होता है।
डीएपी के फायदे
किसान भाइयों, डीएपी में मौजूद नाइट्रोजन और फास्फोरस दोनों ही पौधों के लिए महत्वपूर्ण तत्व होते हैं। जहां नाइट्रोजन पौधों में हरे पत्तों और ताजगी का विकास करता है, वहीं फास्फोरस पौधों के जड़ों का विकास और फूलों एवं फलों की संख्या बढ़ाने में मदद करता है। फास्फोरस का सही संतुलन पौधों के तनों की मोटाई और विकास को बढ़ावा देता है। डीएपी में मौजूद फास्फोरस पौधों की जड़ों को मजबूत करने का कार्य करती है। इसलिए ज्यादातर, डीएपी का उपयोग बुवाई के समय किया जाता है, जिससे यह बीजों के पास होता है और जड़ों के जरिए पौधों में पहुंचता है। इससे फास्फोरस की आवश्यकता पूरी होती है और पौधों में मजबूती और स्थिरता आती है।
खड़ी फसल में डीएपी का नुकसान
किसान भाइयों, डीएपी एक ऐसा उर्वरक है जो घुलनशील नहीं होता। इसलिए जब खड़ी फसलों में डीएपी का इस्तेमाल किया जाता है, तो फास्फोरस का लाभ सही से नहीं मिलता है। डीएपी का फास्फोरस सिर्फ मिट्टी की सतह पर रहता है, जबकि पौधों की जड़ें जमीन के अंदर गहरी होती हैं। इससे जड़ों को फास्फोरस का लाभ नहीं मिल पाता। इस स्थिति में, नाइट्रोजन का असर दिखाई देता है, जो पौधों में हरेपन और ताजगी की वृद्धि करता है, लेकिन फास्फोरस के अभाव में पौधों की जड़ें और तने पूरी तरह से मजबूत नहीं हो पाते। साथ ही, डीएपी एक महंगा उर्वरक होता है और यदि आप इसे खड़ी फसल में डाल रहे हैं, तो आपका खर्च ज्यादा हो सकता है, जबकि इससे अपेक्षित परिणाम भी नहीं मिल पाते। इसका मतलब यह है कि यदि आप डीएपी का उपयोग खड़ी फसलों में करते हैं, तो यह सिर्फ पैसों की बर्बादी साबित हो सकता है।
डीएपी का सही इस्तेमाल
किसान भाइयों, अगर आप चाहते हैं कि डीएपी का सही फायदा मिले, तो इसे बुवाई के समय इस्तेमाल करें। जब आप बुवाई के समय डीएपी डालते हैं, तो यह बीज के पास होता है और पौधों की जड़ों तक आसानी से पहुंच सकता है। इस प्रकार, डीएपी का फास्फोरस पौधों को अच्छे से मिल पाता है और जड़ों का विकास भी सही तरीके से होता है। यही कारण है कि कृषि विशेषज्ञ हमेशा यह सलाह देते हैं कि खड़ी फसल में डीएपी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, बल्कि इसे बुवाई के समय ही डालना चाहिए।
यूरिया का विकल्प
साथियों, यदि आप खड़ी फसलों में फास्फोरस की कमी को पूरा करना चाहते हैं, तो यूरिया का उपयोग बेहतर विकल्प हो सकता है। यूरिया में नाइट्रोजन की उच्च मात्रा होती है, जो फसल में ताजगी और वृद्धि लाने में मदद करता है। यूरिया का इस्तेमाल खड़ी फसलों में सिंचाई के समय किया जा सकता है, जिससे नाइट्रोजन जल्दी पौधों को मिल जाता है, जो पूरी तरह तो नहीं, लेकिन कुछ हद तक पौधों में फास्फोरस की कमी को पूरा करने में मदद करता है।
चिटेड फॉस्फेट और नैनो डीएपी
किसान भाइयों, अगर आपने बुवाई के समय अपने खेत में फास्फोरस की मात्रा नहीं डाली है और अगर आपको फसल में फास्फोरस की कमी पूरी करनी है, तो आप चिटेड फॉस्फेट (chitted phosphate) का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह पानी में घुलने योग्य होता है और जड़ों तक आसानी से पहुंच सकता है। इसके अलावा, नैनो डीएपी का उपयोग भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जो पानी में घुलने योग्य होता है और इसे फोलियर स्प्रे के रूप में पौधों पर छिड़का जा सकता है। इससे पौधों को फास्फोरस की कमी पूरी हो सकती है। खड़ी फसल में फास्फोरस की कमी को पूरा करने के लिए यह सबसे उत्तम उपाय हैं। इसके उपयोग के लिए आप सामान्य तौर पर प्रति छिड़काव के लिए नैनो डीएपी (तरल) @ 250 मिली-500 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करें। अच्छी पत्तियों की अवस्था (टिलरिंग/ब्रांचिंग) पर नैनो डीएपी @ 2-4 मिली प्रति लीटर पानी में डालें। लंबी अवधि और उच्च फास्फोरस की आवश्यकता वाली फसलों में फूल आने से पहले नैनो डीएपी का एक अतिरिक्त छिड़काव किया जा सकता है। नैनो डीएपी का उपयोग आप बीज उपचार के माध्यम से भी कर सकते हैं। बीज उपचार के लिए नैनो डीएपी @ 3-5 मिली प्रति किलोग्राम बीज को आवश्यक मात्रा में पानी में घोलकर 20-30 मिनट के लिए छोड़ दें, ताकि बीज की सतह पर नैनो डीएपी की परत चढ़ जाए; इसके बाद छाया में सुखाकर फिर बीजों की बुआई कर दें।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य ले।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।