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लाल या सफ़ेद, कौन सी पोटाश देगी आपकी फसल को देगी सही पोषण, जानिए इस रिपोर्ट में

potash use in wheat
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किसान साथियों, फसल में बुवाई से लेकर पकाई तक फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति हेतु अनेक प्रकार के उर्वरकों की आवश्यकता होती है। इन्हीं पोषक तत्वों में एक महत्वपूर्ण तत्व पोटाश भी है। खेती में इस्तेमाल होने वाला पोटाश, जिसे वैज्ञानिक रूप से पोटैशियम कार्बोनेट के नाम से जाना जाता है, कृषि में अत्यधिक महत्व रखता है। यह पौधों के विकास के लिए आवश्यक कई पोषक तत्वों में से एक है, विशेषकर पोटैशियम (K) का स्रोत होने के कारण। पोटाश का प्रयोग न केवल फसलों की उपज बढ़ाने के लिए किया जाता है, बल्कि यह मिट्टी के स्वास्थ्य को भी बनाए रखने में मदद करता है। आज की दुनिया में, जब खाद्य उत्पादन का दबाव बढ़ रहा है, तब पोटाश की उपयोगिता और भी अधिक बढ़ जाती है। पोटाश का सही उपयोग करने से फसलों की गुणवत्ता में सुधार होता है, फसल की बीमारियों के प्रति सहनशीलता बढ़ती है, और जल प्रबंधन में भी सहायता मिलती है। यह खनिज विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए आवश्यक है, जैसे कि धान, गेहूं, मक्का, सब्जियाँ और फल। पोटाश का उपयोग फसल के बेहतर विकास के लिए बहुत ही जरूरी होता है। यह सरसों जैसी फसल में तेल की मात्रा को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। आमतौर पर पोटाश बाजार में दो प्रकार की मिलती है - एक लाल रंग की और एक सफेद रंग की। लेकिन कई किसान भाइयों को इस बात का पता नहीं होता कि उनकी फसल के लिए कौन सी पोटाश सही है। अपनी फसल के लिए कौन सी पोटाश का चयन करें, इस बात को लेकर कई किसान भाइयों के मन में संशय बना रहता है। दरअसल, दोनों ही प्रकार के पोटाश की फसलों में आवश्यकता होती है। इनमें अलग-अलग गुण होने के कारण फसलों के हिसाब से आप इनका चयन कर सकते हैं। इस रिपोर्ट में, हम पोटाश के महत्व, इसके प्रकार, फसल उत्पादन में इसके लाभ, इसकी सही मात्रा के उपयोग, और आपकी फसल के लिए कौन सी पोटाश सही रहती है, के बारे में चर्चा करेंगे। इन सबके बारे में पूरी जानकारी लेने के लिए आइए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।

पोटाश के प्रकार
दोस्तों, पोटाश दो प्रकार की होती है - लाल और सफेद, लेकिन इन दोनों के गुण अलग-अलग होने के कारण विभिन्न प्रकार की फसलों में इनका उपयोग आवश्यकता के अनुसार किया जाता है। आइए जानते हैं दोनों पोटाश में अंतर क्या है और कौन सी फसल में कौन सी पोटाश का उपयोग करना सही होता है।

1. लाल पोटाश
किसान साथियों, लाल पोटाश (MOP) का रासायनिक नाम पोटेशियम क्लोराइड (KCl) है, जिसमें लगभग 60% पोटेशियम और 40% क्लोराइड होता है। लाल पोटाश का लंबे समय तक अधिक उपयोग करने से मिट्टी में क्लोराइड का स्तर बढ़ सकता है, जो मिट्टी की गुणवत्ता और जल निकासी को प्रभावित करता है। खारे पानी वाले क्षेत्रों में इसका अधिक मात्रा में प्रयोग हानिकारक होता है। इसमें सल्फर नहीं होता और इसकी कम लागत इसे गेहूं, मक्का, धान, गन्ना, सोयाबीन, दालें और मूंगफली जैसी सामान्य फसलों के लिए उपयुक्त बनाती है। क्लोराइड की अधिक मात्रा होने के कारण यह क्लोराइड-संवेदनशील फसलों के लिए अनुकूल नहीं है, लेकिन यह उन फसलों में उपयोगी है जो क्लोराइड सहन कर सकती हैं। इसकी उपस्थिति से मिट्टी में क्लोराइड का स्तर बढ़ सकता है। लाल पोटाश सफेद पोटाश की अपेक्षा मूल्य में भी काफी किफायती होता है।


2. सफेद पोटाश
किसान भाइयों, सफेद पोटाश (SOP) का रासायनिक नाम पोटेशियम सल्फेट (K2SO4) है, जिसमें 50% पोटेशियम और 18% सल्फर होता है, जबकि इसमें क्लोराइड नहीं होता। सल्फर की उपस्थिति इसे विशेषकर आलू, टमाटर, अंगूर, संतरा, केले, मिर्च और बागवानी फसलों के लिए लाभकारी बनाती है, क्योंकि इसमें मौजूद सल्फर फसलों की गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक है। क्लोराइड की अनुपस्थिति इसे संवेदनशील फसलों के लिए बेहतर बनाती है। इसका उपयोग उन फसलों में किया जाता है जहां गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार की अत्यधिक आवश्यकता होती है। इसमें क्लोराइड न होने के कारण यह मिट्टी में क्लोराइड के स्तर का संतुलन बनाए रखता है, जो फसल के लिए काफी फायदेमंद है। यह खारे पानी वाले क्षेत्रों में भी काफी अच्छे परिणाम देता है। सफेद पोटाश, लाल पोटाश की तुलना में अधिक महंगा होता है।


पोटाश का महत्व
किसान साथियों, पोटाश फसल के उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पोटाश हमारी फसल में पौधों के विकास और वृद्धि को बेहतर करने में सहायक होता है। पोटाश आपकी फसल में जल संतुलन को बनाए रखने की क्षमता भी प्रदान करता है। यह पौधों की कोशिकाओं में जल की मात्रा बनाए रखने में मदद करता है, जिसके कारण अगर किसी कारण से फसल की सिंचाई में थोड़ी बहुत देरी भी हो जाए, तो यह पौधों को सूखे और अन्य तनाव का सामना करने में सहायक होता है। पोटाश में फसल की गुणवत्ता को बढ़ाने के भी गुण होते हैं। यह फलों और सब्जियों वाली फसल में शर्करा का स्तर बढ़ाता है, जिससे उनका स्वाद और गुणवत्ता बेहतर बनती है, और बाजार में उनके भाव भी अच्छे मिलते हैं। क्योंकि बढ़िया गुणवत्ता वाले फलों और सब्जियों की बाजार में मांग अधिक रहती है, इससे आपकी आय में वृद्धि होती है। पोटाश में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है, जो फसलों को कई प्रकार की बीमारियों और कीटों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। यह पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है, जिसके कारण फसल बीमारियों से बचकर अधिक उत्पादन और बढ़िया गुणवत्ता वाली बन जाती है। साथियों, पोटाश का उपयोग मिट्टी की संरचना को बेहतर बनाने में भी सहायता करता है। यह मिट्टी के pH को भी संतुलित करता है और मिट्टी की पानी धारण करने की क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे फसलों को पर्याप्त जल मिलता है और खेत में लगातार नमी बनी रहती है।

पोटाश की सही मात्रा
दोस्तों, आपको अपनी फसल में पोटाश का सही मात्रा में उपयोग करना बहुत ही जरूरी है। यदि आप अपनी फसल में पोटाश की अधिक मात्रा का उपयोग करते हैं तो यह आपकी फसल को नुकसान भी पहुंचा सकता है और मिट्टी के pH मान के संतुलन को बिगाड़कर मिट्टी के स्वास्थ्य को भी हानि पहुंचा सकता है। इसीलिए आप अपनी फसल में पोटाश का उपयोग संतुलित मात्रा में ही करें। इसके लिए आप आमतौर पर गेहूं की फसल में 40 से 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पोटाश का उपयोग कर सकते हैं। अगर आप धान की फसल में पोटाश का उपयोग कर रहे हैं तो यह मात्रा 50 से 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर कर सकते हैं और यदि आप सरसों की फसल में पोटाश का उपयोग कर रहे हैं तो आप 35 से 45 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पोटाश का उपयोग कर सकते हैं। अगर आप सब्जी वर्गीय फसलों में पोटाश का उपयोग कर रहे हैं तो आपको पोटाश की मात्रा 60 से 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर लेनी है।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।