पुराने तरीके छोड़ो यह है फ़सल को पाले के बचाने का कारगर तरीका | देखें पूरी जानकारी
किसान साथियो अब वह समय आ गया है जब राजस्थान, मध्य प्रदेश हरियाणा में फसलों पर पाले के कारण नुकसान होने का खतरा बढ़ गया है । धनिया, मटर, सरसों, आलू, टमाटर की फसल खराब होने की संभावना बढ़ गई है। सरसों, गेहूं, जो, गन्ने के ऊपर भी असर आ सकता है। पाला के कारण पौधे की पत्तियाँ, फूल, फल सब कुछ बर्बाद हो जाता है। पाले से नुकसान होने के डर किसानों के हाथ पांव फूल जाते हैं। फसलों में बड़ा नुकसान होने के चान्सेस हैं भी । नुकसान से बचने और नुकसान होने के बाद क्या करे? सही नॉलेज आपके नुकसान को कम कर सकती है। आज की रिपोर्ट में हम फ़सल को पाले से बचाने और असर होने के बाद जल्दी रिकवरी लाने के बारे में जानने वाले हैं। अगर पाले का असर कुछ फसल के ऊपर आ गया है तो बाद में फसल के ऊपर क्या करे ? पहले पहले क्या करे, कौन से न्यूट्रिएंट्स डालें बाद में क्या करें ताकि दुबारा फुटाव और हरियाली शुरू हो जाए।
पाला कैसे करता है नुकसान
किसान साथियो सबसे पहले हम पाले के बारे में समझते हैं। साथियो ओस के कण जब पत्तों के ऊपर गिरते हैं और ठंड के कारण ठोस बर्फ़ में तब्दील हो जाते हैं, उसको पाला गिरना कहते हैं। यह बाहरी पाला तो हमें दिखता है लेकिन जो नहीं दिखता वो यह है कि पाला पड़ने से पौधों के अंदर पत्तों के अंदर तने के अंदर जो सेल्स (कोशिका) होते है और उन सेल्स के अन्दर जो पानी होता है वह भी बर्फ़ में तब्दील हो जाता है। पौधों के अंदर दो सेल्स के बीच की जो जगह होती है वह जब पानी जमता है तो घनत्व ज्यादा हो जाता है तो सेल्स की वाल टूटने लग जाती है। पौधों की विभिन्न क्रियाएं जैसे कार्बन डाइऑक्साइड का लेना, ऑक्सीजन का छोड़ना, वाष्प उत्सर्जन आदि करने में काफी मुश्किलें आती है जिसके कारण सबसे पहले पौधों के नाजुक पत्तों में नुकसान होता है फिर बड़े पत्तों में होता है फिर तने में भी नुकसान होता हैं। इससे बचाव के कई उपाय हैं। जिससे नुकसान को कम किया जा सकता है। बचा जा सकता है।
किस फ़सल में कितना नुकसान
दोस्तो पाले के कारण गेहूं में नुकसान 20% तक हो सकता है। सरसों, जीरा, धनिया, सॉफ्ट फईम, मटर, चना, गन्ने में 30 से 40% तक नुकसान हो सकता है। सब्जियों की बात करें तो आलू, टमाटर, बैंगन और मिर्च में 40-60 परसेंट तक नुकसान हो सकता है। फ्रूट की फसलों में भी नुकसान हो सकता है। पाले के कारण पत्ते, फूल, तना, फल गल जाते हैं जिसके बाद बैक्टिरीअल डिज़ीज़ के चान्सेस ज्यादा हो जाते हैं। सब्जियों की फसल में बिमारी का प्रकोप बढ़ने के ज्यादा चान्सेस रहते हैं।
आसान नहीं है परम्परागत तरीकों को अपनाना
साथियो कुछ तरीके बताये जाते हैं लेकिन उनको अपनाना सरल नहीं हैं। ओस से फसल को बचाने के लिए कुछ लोग कहते हैं कि पॉलीथीन से या पराली से ढक दो। लेकिन यह आसान काम नहीं है। धुआं करने की सलाह दी जाती है लेकिन इतने बड़े खेत में धुआं करना भी आसान नहीं है। रस्सी को पकड़कर उसको हिला दो जिससे ओस पत्तों से नीचे गिर जाएगी। ठंड में ये करना भी आसान नहीं है।
क्या हैं पाले से बचाने के कारगर तरीके
साथियो कई तरीके हैं लेकिन इनमें कारगर तरीका यह है कि आप जो है ना हल्की सिंचाई कर दो, कुछ फायदा होता है। दो तीन और आसान तरीके भी हैं। पाले से बचने के लिए कुछ दवाइयों की सहायता ली जा सकती है। सल्फर का स्प्रे किया जा सकता है। 400-500 ग्राम सल्फर ले लो 80% डब्ल्यूडीजी वाली 150-160 लीटर पानी में 1% सल्फर का सल्यूशन स्प्रे कर दो। ऐसा करने से फसल का तापमान बढ़ जाता है। पत्ते तने के अंदर का पानी बर्फ़ में तब्दील नहीं होता है।
सल्फर कितनी है कारगर
यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि सल्फर का स्प्रे का कुछ घंटों तक ही असर रहता है। पाला रात को पड़ता है तो स्प्रे हमे शाम के समय करनी चाहिए। साथियो अब समस्या यह है कि अब कैसे पता चले कि आज रात को पाला पड़ने वाला है। तो दोस्तो जब रात का तापमान जो 3 या 4 डिग्री से कम होने की संभावना हो। इसके अलावा ऊपर आसमान साफ दिख रहा हो और हवा नहीं चल रही हो। तो साथियो ये तीन बातें है तापमान कम हो, आसमान साफ हो और हवा नहीं रही है तो पाला पड़ने की संभावना होने का अंदाजा जाता है।
यूरिया और गंधक कितना मददगार
उपर बताये गये स्प्रे के अलावा आप दो किलो यूरिया का स्प्रे भी कर सकते हो। 100 से 120 लीटर पानी में 2 किलो यूरिया स्प्रे करने से भी फायदा होता है। यदि आप हल्की सिंचाई कर रहे हो, सिंचाई की भी रिकमेन्डेशन है कि आप हल्का पानी लगा दो तो उसे पौधों के अंदर का जो पानी है वो बर्फ़ नहीं बनता। आप हल्की सिंचाई कर रहे हो तो आप 10 किलो यूरिया में तीन किलो सल्फर मिलाकर डाल सकते हो। यूरिया और सल्फर का प्रयोग करने से फायदा होता है । इससे फसल को दुबारा फुटाव करने में मदद मिलेगी । फसल जल्दी ठीक होने के चांस बढ़ते हैं । दोस्तो इसके अलावा गंधक का एक तेजाब होता है, जिसे सल्फ्यूरिक एसिड कहते हैं। आप इसका 1% का स्प्रे कर सकते है। 100 लीटर पानी में 100 ग्राम सल्फ्यूरिक एसिड मिलाकर स्प्रे करना है। सल्फर से भी तापमान फ़सल का बढ़ जाता है। और पाले का नुकसान कम होता है।
नुकसान से उभारने के लिए क्या करें
तो साथियो अगर आपकी फसल में पहले का असर पहले से हो चुका है तो अब आपके लिए यह जरूरी है कि आप कुछ ऐसा करें जिससे आपकी फसल दोबारा उसी धारा में आ जाए। ऐसा करने के लिए आपको फसल को कुछ एक्स्ट्रा पोषण देना होगा। ध्यान यह रखना है कि इस समय फसल कमजोर है और आपको बहुत ज्यादा न्यूट्रिशन नहीं देना है । शुरुआत में आपको थोड़ा-थोड़ा न्यूट्रिशन देना है और जब दोबारा फूल पत्ती का फूटाव शुरू हो जाए तो आप इसे बढ़ा सकते हैं। न्यूट्रीशन देने के लिए आपको अपने खेत में फास्फोरस और बोरोन का स्प्रे करना चाहिए। बोरोन पौधे के अंदर एक्टिविटी को बढ़ा देता है सेल्स डिविजन में मदद करता है और होने वाले नुकसान को कम कर देता है। एक एकड़ में 100 ग्राम से ज्यादा बोरोन नहीं देना चाहिए। फास्फोरस भी ट्रांसपोर्ट में मदद करता है इसलिए NPK का इस्तेमाल करना चाहिये। जिंक का प्रयोग भी करना चाहिए लेकिन ध्यान यह रखना है कि चिलेटिड जिंक का इस्तेमाल करना है। क्योंकि फास्फोरस के साथ जिंक नहीं मिलाया जाता। इन सब चीजों को डालने के बाद आप फ़सल की 100% रिकवरी के लिए आप सी वीड का प्रयोग कर सकते हैं।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।