गेहूं की बुवाई करते समय रखे इन बातो का खास ख्याल | जाने पूरी जानकरी इस रिपोर्ट में
किसान साथियो बिहार के जमुई जिले में किसानों ने नवंबर महीने की शुरुआत के साथ ही गेहूं की बुवाई की तैयारियां शुरू कर दी हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, नवंबर का पहला पखवाड़ा गेहूं की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। इस दौरान तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है जो कि गेहूं के बीजों के अंकुरण के लिए आदर्श है। यदि बुवाई का काम नवंबर के अंत तक टल जाता है, तो इससे फसल के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए जिन किसानों ने अभी तक गेहूं की बुवाई शुरू नहीं की है, उन्हें विशेषज्ञों की सलाह पर अमल करते हुए जल्द से जल्द इस काम में जुट जाना चाहिए।
गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए इन बातो का रखे ख्याल
कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डॉ. मुकुल कुमार के अनुसार, गेहूं की एक अच्छी फसल लेने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। मिट्टी की गुणवत्ता, नमी का स्तर, बीज की गुणवत्ता और बुवाई की गहराई, ये सभी कारक गेहूं की पैदावार को प्रभावित करते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, दोमट मिट्टी गेहूं की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा, बुवाई से पहले मिट्टी का परीक्षण करवाकर उसमें आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करना भी जरूरी है। खेत में नमी का स्तर भी महत्वपूर्ण है। बहुत अधिक पानी से खेत में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, जिससे बीज सड़ सकते हैं और अंकुरण में समस्या आ सकती है। इसलिए, इन सभी कारकों पर ध्यान देकर ही किसान अच्छी गुणवत्ता और मात्रा में गेहूं का उत्पादन कर सकते हैं।
गेहूं की बुवाई करने से पहले इन बातो का रखें ख्याल
गेहूं की फसल को सफलतापूर्वक उगाने के लिए कुछ विशेष परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। सबसे पहले, बीजों के अंकुरण के लिए आदर्श तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस होता है। यदि तापमान बहुत कम होगा तो बीज धीरे-धीरे अंकुरित होंगे। इसके अलावा, खेत में नमी का स्तर भी महत्वपूर्ण है। खेत में नमी बनी रहनी चाहिए लेकिन जलभराव की स्थिति नहीं होनी चाहिए क्योंकि अधिक पानी से बीज सड़ सकते हैं। मिट्टी के प्रकार के संदर्भ में, दोमट मिट्टी गेहूं की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है और इसका पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। बीजों को 3 से 5 सेंटीमीटर की गहराई में बोना चाहिए और सभी बीज एक समान गहराई पर हों ताकि सभी बीज एक साथ अंकुरित हो सकें। बीजों को बुवाई से पहले उपचारित करना भी आवश्यक है ताकि बीज रोगों से सुरक्षित रहें। अंत में, मिट्टी का परीक्षण करवाना भी महत्वपूर्ण है ताकि यह पता चल सके कि मिट्टी में फॉस्फोरस, नाइट्रोजन, जिंक और पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों की मात्रा पर्याप्त है या नहीं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखकर गेहूं की खेती से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।