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गेहूं में दूसरी और तीसरी सिंचाई पर रखें इन बातों का ध्यान | नहीं तो होगा बड़ा नुकसान

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गेहूं में दूसरी और तीसरी सिंचाई पर रखें इन बातों का ध्यान | नहीं तो होगा बड़ा नुकसान

किसान साथियों, गेहूं की फसल का सही तरीके से पालन-पोषण करने के लिए सिंचाई का बहुत महत्व है। सही समय पर सिंचाई करने से फसल का उत्पादन बेहतर होता है, जबकि अगर गलत समय पर या ज्यादा पानी दिया जाए, तो इससे फसल को नुकसान भी हो सकता है। गेहूं की फसल के लिए पानी की ज़रूरत बहुत होती है, खासकर जब फसल में क्राउन (छत्रक), जड़ें और बालियां निकल रही होती हैं। अगर इन समयों पर गेहूं को पर्याप्त पानी नहीं मिलता, तो उसकी वृद्धि रुक सकती है और उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए हर किसान को यह समझना बेहद जरूरी है कि गेहूं की फसल में पानी कब और कितना देना चाहिए, ताकि फसल स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाली हो। साथ ही, यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि सिंचाई का तरीका और समय क्या होना चाहिए, ताकि जलवायु और मिट्टी के प्रकार के हिसाब से सबसे अच्छा नतीजा मिल सके। आइए, तो चलिए आज की रिपोर्ट में हम गेहूं की फसल की सिंचाई से जुड़ी सभी बातों पर विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे और साथ ही सही समय पर और सही मात्रा में सिंचाई करने से फसल को होने वाले फायदे के बारे में भी चर्चा करेंगे, तो चलिए इस विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।

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सिंचाई का सही समय

पहली सिंचाई
दोस्तों, गेहूं की फसल के उत्पादन के लिए सिंचाई का महत्व फसल में पहली सिंचाई से ही आरंभ हो जाता है। यदि आपने अपनी फसल में पहली सिंचाई समय पर कर दी है, तो उससे शुरू से ही पौधों का सही प्रकार से विकास शुरू हो जाता है। इसलिए जब आप गेहूं की फसल की बुवाई करते हैं, तो पहली सिंचाई 20 से 25 दिन बाद करनी चाहिए। इस समय फसल को बढ़ने के लिए पर्याप्त नमी चाहिए, जिससे उसके विकास में रुकावट न आए। बुवाई के बाद इस सिंचाई से गेहूं के पौधे अच्छे से स्थापित हो जाते हैं।

दूसरी सिंचाई
साथियों, गेहूं की फसल में पहली सिंचाई के बाद दूसरी सिंचाई लगभग 40 से 45 दिनों के बीच करनी चाहिए। यह समय तब होता है जब गेहूं की फसल में पत्तियों का विकास हो रहा होता है और इसकी ग्रोथ तेज़ हो रही होती है। इस समय फसल में पानी देने से पौधों को अच्छे से पोषण मिलता है, जिससे वे अधिक मजबूत होते हैं। और फसल बालियां बनने की तरफ तेजी से बढ़ती है। गेहूं की फसल में दूसरी सिंचाई बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि फसल में दूसरी सिंचाई लगभग आपके फसल के कुल उत्पादन को निर्धारित करने में अहम भूमिका निभा सकती है।

तीसरी सिंचाई
दोस्तों, गेहूं की फसल में तीसरी सिंचाई का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। फसल में तीसरी सिंचाई का समय लगभग 60 से 65 दिनों के बीच होता है। क्योंकि इस समय गेहूं की बालियां (अर्थात अनाज के दाने) बनना शुरू होती हैं, और इनको पूरी तरह से विकसित होने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। अगर इस समय पानी की कमी होती है, तो बालियां ठीक से नहीं बन पातीं और बालियों में बनने वाला दाना भी कमजोर रह जाता है, जिसके कारण दाने में वजन नहीं बन पाता और उसका उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इसलिए फसल में सिंचाई का समय पर ध्यान रखें और आवश्यकता अनुसार सही समय पर फसल को पानी दें।

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ध्यान रखने योग्य बातें

किसान साथियों, जब आप अपने गेहूं की फसल में सिंचाई करते हैं, तो आपको सिंचाई करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि पानी का इस्तेमाल सही तरीके से हो और फसल को अधिकतम लाभ मिले। आज आपको यहां पर हम कुछ ऐसे सुझाव दे रहे हैं, जिनका पालन करके आप अपने गेहूं के उत्पादन को बेहतर बना सकते हैं:

सिंचाई का समय
दोस्तों, फसल में सिंचाई करते समय सबसे पहला और महत्वपूर्ण बिंदु है सिंचाई का समय। किसान भाई हमेशा यह ध्यान रखें कि गेहूं की फसल में सिंचाई शाम के समय की जाए। शाम को सिंचाई करने से पानी ज्यादा देर तक मिट्टी में रह पाता है, और फसल को बेहतर नमी मिलती है। दिन में तेज़ धूप के कारण पानी जल्दी वाष्पित हो जाता है, जिससे नमी पूरी तरह से नहीं मिल पाती। इसके अलावा, सिंचाई करते समय यह सुनिश्चित करें कि खेत में पानी का जलभराव न हो। जलभराव से न केवल फसल के विकास में रुकावट आती है, बल्कि इससे फसल के जड़ प्रणाली पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ज्यादा पानी से फसल की जड़ें सड़ सकती हैं और इसकी वृद्धि रुक सकती है, जिसके कारण आपकी फसल पीली पड़नी शुरू हो जाती है। साथ ही, सिंचाई करते वक्त इस बात का भी ध्यान रखें कि खेत में पानी को इस तरह फैलाएं कि सुबह तक खेत में पानी न रहे। अगर रात भर पानी खेत में पड़ा रहता है, तो यह फसल को नुकसान पहुंचा सकता है, जैसे कि गेहूं की पत्तियां पीली पड़ सकती हैं। यह फसल के स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। दोस्तों, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सिंचाई की आवृत्ति मिट्टी के प्रकार पर भी निर्भर करती है। अगर खेत की मिट्टी भारी है, तो वहां पानी की आवश्यकता कम होती है, जबकि हल्की मिट्टी में पानी जल्दी अवशोषित हो जाता है, इसलिए आपको ज्यादा बार सिंचाई करनी पड़ सकती है। इसलिए आप अपनी फसल में मिट्टी की स्थिति को देखकर सिंचाई का अंतराल तय करें। साथ में इस बात का भी ध्यान रखें कि अगर सिंचाई से पहले बारिश हो जाती है, तो सिंचाई का समय आगे बढ़ाया जा सकता है। क्योंकि बारिश से खेत में पहले से ही नमी हो जाती है, जिससे सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। इसके अलावा, एक सिंचाई से दूसरी सिंचाई के बीच का अंतराल सही रखें क्योंकि सही समय पर की हुई सिंचाई आपकी फसल के उत्पादन को बढ़ाने में लाभकारी होती है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि गेहूं की फसल में ड्रिप और फव्वारा सिंचाई विधि का इस्तेमाल करना चाहिए। क्योंकि इन विधियों से जहां एक तरफ आपके पानी की बचत होती है, वहीं दूसरी तरफ फसल को पानी की मात्रा समान रूप से प्राप्त होती है, जिससे फसल में जलभराव का खतरा नहीं रहता और ड्रिप और फव्वारा विधि से सिंचाई करने पर आपका समय भी काफी बचता है। साथ ही इन विधियों का उपयोग करने से आपको गेहूं की फसल में अच्छी पैदावार मिलती है।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।