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सरसों की खेती से सही मायने में फायदा लेना है तो अभी से ये तीन काम कर लें

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सरसों की खेती से सही मायने में फायदा लेना है तो अभी से ये तीन काम कर लें

किसान भाइयों, कृषि के क्षेत्र में सुधार और किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार लगातार नई योजनाएं और उपायों पर काम कर रही है। इन प्रयासों का सबसे बड़ा असर तिलहन की खेती पर देखा जा सकता है, जिसमें सरसों की खेती प्रमुख है। खासकर बिहार जैसे राज्य में जहां सरसों की खेती बड़े पैमाने पर होती है, ऐसे क्षेत्रों में किसानों को बेहतर तकनीक और उन्नत किस्मों से बेहतर फसल प्राप्त करने के लिए दिशा-निर्देश की आवश्यकता है। सरसों की खेती के मामले में, अगर किसान कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखें तो उनकी फसल का उत्पादन बढ़ सकता है और तेल की मात्रा भी बेहतर हो सकती है। सरसों की फसल के लिए ऐसे ही तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं का पालन करके किसान अपनी सरसों की फसल को अधिक उत्पादक बना सकते हैं। यह तीन महत्वपूर्ण उपाय उन्नत किस्मों का चयन, सल्फर का सही उपयोग और पानी का प्रबंधन हैं। इन तीन चीजों का ध्यान रखना सरसों की उपज में न सिर्फ वृद्धि करेगा, बल्कि उसकी गुणवत्ता को भी बेहतर बनाएगा। इसके अलावा, सरकार और कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से सरसों की खेती में नई तकनीकों को अपनाकर किसान अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं और देश की कृषि व्यवस्था में भी सुधार ला सकते हैं। तो चलिए, आज की इस रिपोर्ट में हम उन तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करेंगे, जिनसे सरसों की फसल में न सिर्फ गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि उपज भी दोगुनी-तीगुनी हो सकती है। तो इन बिंदुओं को विस्तार से समझने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।

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उन्नत किस्म का चयन
किसान साथियों, अगर किसान सरसों की अच्छी उपज चाहते हैं, तो सबसे पहले उन्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि वह हमेशा उन्नत किस्म का चयन करें। क्योंकि कई बार लोकल किस्में अधिक उत्पादन नहीं दे पातीं और किसानों को अपनी मेहनत का पूरा फल नहीं मिलता। उदाहरण के लिए, जहानाबाद में जब किसान लोकल किस्मों की सरसों उगाते थे, तो वे 10-12 किलो प्रति कट्ठा उपज ही ले पाते थे। लेकिन जैसे ही उन्हें कृषि विज्ञान केंद्र से उन्नत किस्में मिलीं, जैसे कि पंत श्वेता, आरएच 725 और डीआरएमआर, उनकी उपज में तीन गुना तक की वृद्धि देखी गई। यही नहीं, अब इन किस्मों से उपज 40 किलो प्रति कट्ठा तक हो रही है। किसान इन किस्मों का चयन करके अच्छी गुणवत्ता की सरसों प्राप्त कर सकते हैं। उन्नत किस्मों का चयन करने से उत्पादन में न सिर्फ वृद्धि होती है, बल्कि फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है, जिससे बीमारियों का खतरा कम होता है और फसल की गुणवत्ता बेहतर रहती है। इसके अलावा, उन्नत किस्म के चयन के साथ-साथ आपको बिजाई के समय बीज को उपचारित करके बुवाई करनी चाहिए। बीज को उपचारित करने के लिए आपको थायरस या केप्टान नामक दवा से 2 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से सरसों के बीज को उपचारित करना चाहिए।

तेल की मात्रा
किसान साथियों, सरसों का तेल उसकी गुणवत्ता और तेल की मात्रा पर निर्भर करता है। किसानों को यह ध्यान रखना चाहिए कि सल्फर का उपयोग सरसों में तेल की मात्रा को बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए सरसों की फसल में सल्फर का उपयोग जरूर करना चाहिए। इसके लिए सल्फर को बुआई के समय ही सरसों के बीजों में मिलाना चाहिए। क्योंकि यह बीजों में अच्छे से समा जाता है और फसल के बढ़ने के साथ-साथ तेल की मात्रा भी बढ़ाता है। अक्सर किसान इस बात को नजरअंदाज करते हैं और सल्फर का प्रयोग नहीं करते, जिससे तेल की गुणवत्ता और मात्रा में कमी होती है। सल्फर का सही उपयोग करने से सरसों की फसल में न सिर्फ तेल की मात्रा बढ़ेगी, बल्कि इसकी गुणवत्ता भी बेहतर होगी। सल्फर का प्रयोग फसल के स्वस्थ विकास में भी सहायक है, जिससे बीमारियों का खतरा कम होता है और फसल में हरियाली बनी रहती है। सल्फ़र से सरसों के बीजों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है। इसके अलावा, सल्फ़र से सरसों के पौधों में क्लोरोफ़िल का निर्माण होता है। और साथ ही सल्फ़र से सरसों के फूल आने के बाद उसमें दाना भी बढ़ता है। सरसों की फसल में सल्फर का उपयोग करने की अगर सही मात्रा की बात करें तो आप सरसों की फसल में 10 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से सल्फर का उपयोग कर सकते हैं।

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पानी प्रबंधन
किसान भाइयों, पानी का सही प्रबंधन सरसों की फसल के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। खासकर, फलियां आने के समय, जब सरसों में फूल आने के बाद फलियां विकसित होने लगती हैं, तब यह समय नाजुक होता है। इस समय पानी की कमी से पौधों का विकास रुक सकता है और उत्पादन प्रभावित हो सकता है। इसलिए किसानों को अपनी फसल को उचित समय पर और सही मात्रा में पानी देना चाहिए। अगर किसान सरसों की उन्नत किस्मों का उपयोग कर रहे हैं, तो पानी का ध्यान रखना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। क्योंकि अच्छे किस्मों के लिए पर्याप्त जल की आवश्यकता होती है, ताकि पौधे अपनी पूरी क्षमता से बढ़ सकें और अधिक उपज दे सकें। इसके अलावा, सरसों की कई किस्म अधिक सिंचाई वाली होती हैं, जिनमें सही समय पर सिंचाई करनी आवश्यक होती है। क्योंकि अगर आप उसमें समय पर सिंचाई नहीं करेंगे तो पानी की कमी से पौधों का विकास रुक सकता है और फसल का उत्पादन कम हो सकता है। इसलिए, पानी के सही प्रबंधन से ही किसानों को सर्वोत्तम परिणाम मिल सकते हैं।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।