आलू की खेती से कम लागत में बढ़िया मुनाफा लेना है तो बस यह एक पोस्ट देख लो
दोस्तों भारतीय किसान हमेशा नई तकनीकों और फसलों के साथ प्रयोग करते रहते हैं। आलू की खेती इनमें से एक ऐसी फसल है कोई भी किसान मालामाल हो सकता है इन दिनों आलू के भाव भी अच्छे मिल रहे है आलू जो न केवल हमारी रोजमर्रा की ज़रूरतों को पूरा करती है, इसलिए आलू की डिमांड कभी कम नहीं होती है दिसम्बर मे आए आलू की मिनिमम कीमत 30 से 35 रु तक मिल जाती है यही नहीं उच्य क्वालिटी के आलू का भाव 40 रु/किलो तक भी पहुच जाता है | इसलिए आलू की खेती को सही तैयारी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने से उत्पादन को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। किसान, जो आलू की खेती में रुचि रखते हैं, उन्हें सही बीज का चयन, खाद का उपयोग, और समय पर फसल की कटाई का ध्यान रखना चाहिए। इस लेख में हम आलू की खेती के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझेंगे, ताकि इससे बेहतर और लाभदायक उत्पादन मिल सके |
खेत की तैयारी और खाद का सही मात्रा मे प्रयोग
आलू की अच्छी पैदावार के लिए खेत की सही तैयारी सबसे जरूरी कदम है। जमीन को भुरभुरी और उपजाऊ बनाना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि आलू की जड़ें आसानी से फैल सकें। आलू की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी (Sandy Loam Soil) सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इस मिट्टी में जल निकासी (Drainage) अच्छी होती है और यह आलू की जड़ों को पर्याप्त पोषण और वायु प्रदान करती है। मिट्टी की पीएच (pH) वैल्यू 5.5 से 7 के बीच होनी चाहिए। खेत की जुताई मिट्टी को भुरभुरी बनाने और खरपतवार को खत्म करने के लिए जरूरी है।खेत की जुताई कम से कम दो बार करनी चाहिए और मिट्टी को अच्छी तरह से पलटकर उसमें हवा और नमी बनाए रखना चाहिए।
पहली जुताई गहरी करनी चाहिए, जिससे मिट्टी में छिपे कीट और बीज नष्ट हो जाएं। इसके बाद, मिट्टी को 2-3 बार हल्की जुताई करके समतल और भुरभुरी बनाया जाता है। अंतिम जुताई के बाद खेत में पाटा (Leveler) चलाकर उसे समतल कर दें, ताकि पानी का जमाव न हो। खेत में जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करें। आलू की फसल अधिक पानी जमा होने से सड़ सकती है। खेत की तैयारी करते समय सिंचाई की नालियां बना लें।
जैविक खाद का उपयोग जमीन की उर्वरता को बनाए रखने के लिए बेहद फायदेमंद होता है। प्रति हेक्टेयर लगभग 30 टन जैविक खाद (गोबर की खाद) डालने से मिट्टी भुरभुरी रहती है इससे फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
रासायनिक खाद का उपयोग संतुलित मात्रा में करना चाहिए। आलू की फसल के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश आवश्यक तत्व हैं। आलू की बुआई से पहले खेत में 200 किलो डीएपी (Diammonium Phosphate) प्रति हेक्टेयर डालें। पोटाश (Muriate of Potash) का उपयोग 150 किलो प्रति हेक्टेयर करें। नाइट्रोजन (Nitrogen) की आवश्यकता पूरी करने के लिए 150 किलो यूरिया (Urea) को दो बार में डालें—पहली बार बुआई के समय और दूसरी बार फसल के 30 दिन बाद। और आलू की जड़ों और कंदों के विकास के लिए जिंक और सल्फर बेहद जरूरी हैं। 25 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर खेत में डालें।
इनका उपयोग मिट्टी की जांच के बाद ही करें, ताकि ज़रूरत से अधिक खाद न डालें। गलत मात्रा में खाद का उपयोग फसल के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
बीज का चयन और बुआई की विधि
आलू की खेती में सही बीज का चयन बहुत मायने रखता है। उन्नत किस्म के बीज, जो उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों से मंगाए जाते हैं जैसे कि कुफरी चिपसोना और कुफरी ज्योति, प्रति एकड़ 90 क्विंटल तक उत्पादन देती हैं। उच्च उत्पादन क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं। किसान को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बीज रोगमुक्त और स्वस्थ हों। ताकि एक अच्छी किस्म की खेती मिल पाए
प्रति एकड़ जमीन के लिए 10-12 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है। बीज को हमेशा 2% कैप्टान (Captan) या मैनकोजेब (Mancozeb) के घोल में 30 मिनट तक डुबोकर उपचारित करें। बुआई से पहले बीजों को फफूंदनाशक (fungicide) से उपचारित करना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की बीमारी से बचा जा सके। बुआई के लिए 4-6 इंच गहराई के गड्ढे बनाए जाते हैं और बीजों को उचित दूरी पर रोपित किया जाता है। पंक्तियों के बीच 60 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 15-20 सेंटीमीटर का फासला रखें।
आलू की खेती का एक बड़ा फायदा यह है कि फसल जल्दी तैयार हो जाती है। सामान्यतः 70-80 दिनों में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इस छोटी अवधि के कारण किसान साल में दो से तीन बार आलू की खेती कर सकते हैं।
फसल की समय पर कटाई करना बहुत जरूरी है। देरी से कटाई करने पर आलू का आकार और गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। कटाई के बाद आलू को कुछ दिनों तक धूप में सुखाना चाहिए, ताकि उनके छिलके मजबूत हो जाएं और वे अधिक समय तक सुरक्षित रहें
लागत और मुनाफे का गणित
आलू की खेती की सबसे बड़ी खासियत है इसकी कम लागत और अधिक मुनाफा। एक एकड़ जमीन पर आलू की खेती में लगभग 25,000 से 30,000 रुपये की लागत आती है। यदि फसल की गुणवत्ता अच्छी हो और समय पर बाजार में बेची जाए, तो इससे लगभग 1 लाख रुपये तक की कमाई की जा सकती है।
मांग और आपूर्ति के आधार पर आलू के दाम बदलते रहते हैं। दिसंबर के महीने में आलू की अधिक मांग होती है और किसानों को अच्छी कीमत मिलती है। वर्तमान में आलू का भाव 40 रुपये प्रति किलो है। हालांकि, नई फसल आने के बाद यह कीमत घटकर 10-20 रुपये प्रति किलो हो जाती है।
इस समय कैसा चल रहा आलू का बाजार
इस वक्त मंडी मे आलू की कीमत बहुत अच्छी मिल रही है मंडियों मे चिपसोना आलू का भाव 1,200-1,400 रु प्रति कट्टा (50 किलो) , सूर्या आलू का भाव 1,400-1,500 रु प्रति कट्टा (50 किलो) , और एलआर आलू ₹28-30 प्रति किलो पर बिक रहा है। नए आलू की आवक पंजाब, होशियारपुर, और संभल जैसे क्षेत्रों से बढ़ रही है, जिसमें गुणवत्ता और आकार बेहतर है। वहीं, पुराने शुगर-फ्री आलू सीमित मात्रा में उपलब्ध है लेकिन माँग बनी हुई है। छोटे आकार के आलू और उच्च गुणवत्ता वाले "पीला सोना" व "काला सोना" आलू ₹850-900 प्रति क्विंटल के दाम पर बिक रहे हैं। सर्दी के मौसम में हल्के बदलाव के साथ छोटे आलू की माँग बढ़ी है, जबकि चिप्स और टिक्की के लिए उपयुक्त एलआर आलू की डिमांड बहुत है। अगले 10-15 दिनों में संभल और अन्य क्षेत्रों से नई खेप की आवक से बाजार में आ जायेगी तब भाव और भी अच्छे मिल सकते है
फसल की गुणवत्ता और बाजार की रणनीति
उच्च गुणवत्ता वाली फसल बाजार में ज्यादा मांग में रहती है। इसके लिए किसानों को उचित बीज और खाद का उपयोग करना चाहिए। फसल को समय पर पानी देना और फसल की देखभाल करना आवश्यक है।कटाई के बाद आलू को सही तरीके से संग्रहित करना चाहिए। किसान अगर फसल को सही समय पर बेचते हैं, तो उन्हें अच्छे दाम मिल सकते हैं।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।